चपड़ा कारखाना व ईंट भट्ठो में खप रहा चोरी का कोयला
न्यूज एक्शन। एसईसीएल की विभिन्न कोयला खदानों से व्यापक पैमाने में कोयला की चोरी की जा रही है। खदानों से चुराए गए कोयला को पहले ट्रकों के माध्यम से दीगर जिलों में खपाया जाता था। इसमें पकड़े जाने का खतरा होने के साथ सेटिंग तगड़ी चाहिए होती थी। जिसका तोड़ कोयला चोरों ने कुछ इस तरह से निकाल लिया है कि स्थानीय स्तर पर ही चोरी के कोयला को खपाया जा रहा है। चोरों ने ट्रक की बजाए अब ट्रैक्टरों, पिकअप और छोटा हाथी में चोरी का कोयला लोड कर उसे कुछ चपड़ा कारखाना सहित जिले के विभिन्न ईंट ईंट भट्ठो में खपाया जा रहा है। ट्रकों को भरने में जहां 5 से 6 घंटे लगते थे। मजदूर भी ज्यादा लगते थे। ऐसे में टै्रक्टर, पिकअप और छोटा हाथी चोरी के कोयले से 15 मिनट में ही लोड हो जाता है। पलक झपकते ही निर्धारित स्थान से चोरी का कोयला वाहनों में लोड होने के साथ चपड़ा कारखाना और ईंट ईंट भट्ठो में आसानी से खप जाता है। ऐसा नहीं कि इस बात की जानकारी पुलिस और खनिज विभाग को नहीं है। बल्कि चर्चा तो इस बात की है कि खाकी और खनिज विभाग के कुछ अधिकारियों के सह पर ही धंधा गुलजार हो रहा है। यही कारण है कि तमाम शिकायतों के बाद भी चपड़ा कारखाना और ईंट ईंट भट्ठो की जांच न तो खनिज विभाग करता है और न ही पुलिस के अधिकारी छापामार कार्रवाई करते हैं। वैसे भी जिले में बिना अनुमति के अवैध रूप से ईंट ईंट भट्ठ संचालित हो रहे हैं। इनमें कोयला कहां से आ रहा है। इसकी जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। यही हाल चपड़ा कारखानों का भी है। चपड़ा कारखानों और इंडस्ट्रीयल एरिया में संचालित कारखानों मेंं धातु गलाने के लिए कोयला कहां से पहुंच रहा है।