क्या कांग्रेस सरकार वंदना के अधिग्रहित भूमि को करेगी वापस?

न्यूज एक्शन। टाटा इस्पात संयंत्र के लिए आदिवासी बाहुल्य बस्तर जिले की लोहांडीगुड़ा क्षेत्र में जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी उन्हें उनकी जमीन जल्द वापस की जाएगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों से किए अपने वादे का उल्लेख करते हुए अधिकारियों का इसके लिए जरूरी प्रक्रिया जल्द पूरी करने और मंत्री परिषद की आगामी बैठक में प्रस्ताव लाने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में बस्तर की तर्ज पर कोरबा जिला के छुरी स्थित वंदना पावर संयंत्र के लिए अधिग्रहित भूमि को भी किसानों को लौटाने की मांग अब फिर से तेज होने लगी है। छुरी में स्थित वंदना पावर संयंत्र शुरू होने से पहले ही बंद हो गया। गांव के किसानों ने रोजगार पाने अपनी जमीने संयंत्र प्रबंधन को दे दी थी, लेकिन न संयंत्र शुरू हुआ और न ही उनकी जमीन उन्हें खेती किसानी के लिए वापस मिली। ऐसे में अब छुरी के सैकड़ों किसानों को कांग्रेस सरकार से उम्मीद है कि उन्हें भी बस्तर की तर्ज पर वंदना अधिग्रहित भूमि वापस मिल जाएगी।
सन् 2008 में वदंना विद्युत लिमिटेड के 540 मेगावाट विद्युत संयंत्र और एक अन्य संयंत्र के लिए पांच गांवों की जमीन किसानों की अधिग्रहित की गई। छुरी, गांगपुर, सलोरा, दर्राभाठा और झोरा की 260.899 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया। विद्युत संयंत्र लगाने के लिए भी शासन द्वारा दी गई पूरी सुविधा का लाभ प्रबंधको द्वारा उठाया गया और संयंत्र खड़ा कर लिया गया। यहां 363 किसानों की भूमि चली गई। किसानों ने रोजगार के साधन मिलने के उद्देश्य से अपनी जमीन उद्योग लगाने के लिए दे दी। लेकिन शायद उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उद्योग चालू होने के पहले ही बंद हो जाएगा। आज आलम यह है कि मुआवजा राशि तो मिली लेकिन रोजगार के साधन छिन गए। चूंकि सारी भूमि खेतिहर थी और यहां सिंचाई का पर्याप्त साधन होने के कारण पर्याप्त मात्रा में अच्छी किस्म का धान किसानों द्वारा पैदा किया जाता था। भूमि चले जाने के कारण अब किसानों के हाथों में कुछ नहीं रह गया है। एक तरह से सड़क पर आ गए है। कुछ लेागों को संयंत्र में नौकरी भी ठेका मजदूरों के रूप में दी गई थी लेकिन पांच साल पहले उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और कईयों को तो छ: छ: माह की पगार भी नहीं मिली।
संयंत्र के निर्माण में प्रबंधन द्वारा 522 करोड़ रूपए निवेश का दावा किया गया है। सर्वाधिक प्रभावित छुरी के ग्रामीण हुए है और किसानी योग्य भूमि चले जाने के बाद अब उनके पास रोजगार का साधन भी नहीं रह गया है। किसानों ने यह सोचकर भूमि दी थी कि क्षेत्र का विकास होगा और रोजगार के साधन उपलब्ध होगें। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और विद्युत संयंत्रो से एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं हुआ और अंतत: प्रबंधन ने चालू होने के पहले ही संयंत्र को बंद कर दिया। इसके पीछे कोई कारण अब तक नहीं बताया गया है। संयंत्र में कुछ गिने चुने लोग ही रह गए है जो कि सिर्फ रखवाली का कार्य ही कर रहे है। हालांकि कबाड़ चोरों की नजर यहां भी लगी हुई है। छुरी और प्रभावित गांव के किसानों का कहना है कि अगर विद्युत संयंत्र चालू नहीं किया जाता है तो हमारी जमीन को वापस कर दिया जाए।

उद्योग विभाग जारी कर चुका है नोटिस
उद्योग विभाग द्वारा निर्धारित समय पर विद्युत संयंत्र चालू नहीं करने के लिए प्रबंधन को नोटिस जारी कर चुका है। साथ ही जमीन की रजिस्ट्री में दी गई छूट को भी वापस करने का निर्देश जारी किया जा चुका है। इसके खिलाफ प्रबंधन द्वारा राज्य प्राधिकरण में अपील की गई है जिस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। इसी तरह छुरी नगर पंचायत का संपत्तिकर भी करोड़ों रूपए वंदना विद्युत लिमिटेड के ऊपर बकाया है। जिसे पटाने के लिए कई बार नोटिस जारी की जा चुकी है।

बैंक ने चस्पा किया नोटिस
वंदना विद्युत लिमिटेड द्वारा छुरी में विद्युत संयंत्र स्थापित करने के लिए बैंकों से ऋण लिया गया। लेकिन बैंकों का ऋण अब तक नहीं पटाया गया। बैंक द्वारा प्रबंधकों को दिए गए पते पर नेाटिस भेजने का कार्य किया गया। लेकिन उक्त पते पर प्रबंधकों के नहीं मिलने के कारण बैंक ने वंदना विद्युत लिमिटेड के 540 मेगावाट विद्युत संयंत्र के मुख्य गेट पर नोटिस चस्पा कर दी गई है। हालांकि नोटिस में बैंक का नाम स्पष्ट नजर नहीं आ रहा है। क्योंकि करीब छ: माह पहले यह नोटिस चस्पा की गई है। कुलमिलाकर यहीं कहा जा सकता है कि अब प्रबंधन के लिए एक तरफ कुंआ है तो दूसरी तरफ खाई। इन दो पाटों के बीच में पांच गांव के किसान पीस रहे है और उनके समक्ष रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गई है।

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