सीएम का आदेश भी दरकिनार, डीडी स्कूल का बेजा कब्जा कायम
न्यूज एक्शन। डीडीएम स्कूल प्रबंधन द्वारा शासकीय भूमि पर बेजा कब्जा कर बाउंड्रीवाल का निर्माण कराया गया है। इससे साफ है कि प्रबंधन को किसी का डर या भय नहीं है। यहां तक कि सीएम द्वारा भूमाफियाओं व बेजा कब्जाधारियों पर दिए गए कार्रवाई के आदेश की भी धज्जियां उड़ाई जा रही है। इससे पहले कलेक्टर से शिकायत पर हुई जांच में स्कूल प्रबंधन द्वारा 53 डिसमिल जमीन पर अवैधानिक कब्जा किया जाना स्पष्ट हो चुका है। जिला कलेक्टर ने अवैध निर्माण हटाने आदेशित किया था। इस आदेश को एक साल से भी अधिक समय हो चुके हैं, लेकिन रसूदखदार का बेजा कब्जा अब भी कायम है। शायद मातहत अधिकारियों ने कलेक्टर के इस आदेश पत्र को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया है। अब प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल द्वारा दिए गए निर्देश का पालन करते हुए क्या रसूखदार का बेजा कब्जा तोड़ा जाएगा।
न्यायालय कलेक्टर कोरबा छत्तीसगढ़ पीठासीन अधिकारी मो. कैसर अब्दुल हक द्वारा पुनरीक्षण प्र.क्र.-12/बी-121/ 2017-18 में 15.12.2017 को आदेश पारित किया गया है कि सीमांकन प्रतिवेदन दिनांक 08.12.2017 के अनुसार शासकीय भूमि खसरा नंबर 3/1क में से 53 डिसमिल पर कमल नारायण सिंह द्वारा खेल मैदान एवं बाउंड्रीवाल बनाकर अवैध कब्जा होना पाया गया है।
कलेक्टर ने नजूल तहसीलदार एवं नगर पालिक निगम को निर्देशित किया था कि शासकीय भूमि खसरा नंबर 3/1क में से रकबा 53 डिसमिल अवैधानिक कब्जा को संहिता की धारा 248 के तहत नियमानुसार अतिक्रमण हटाया जाए। यह आदेश कलेक्टर द्वारा 15 दिसंबर 2017 को दिया गया था, लेकिन अब तक इस आदेश का पालन नहीं किया जा सका है। बेजा कब्जाधारी का बेजा कब्जा अब भी कायम है। जिससे शासन, प्रशासन की छवि धूमिल होती रही है। अब जब सत्ता परिवर्तन हो गया है तो इस मामले में रसूखदार के बेजा कब्जा तोडऩे की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की उम्मीद है।
आबंटित कराने का किया प्रयास
सूत्र बताते हैं कि शासकीय भूमि पर बेजा कब्जा उजागर होने के बाद फिर उसी जमीन को आबंटित कराने का प्रयास किया जा रहा है। अगर ऐसे प्रकरण में बेजा कब्जाधारी द्वारा बेजा कब्जा स्पष्ट होने के बाद उसी जमीन को कब्जाधारी को आबंटित कर दिया जाता है तो फिर ऐसे मामलों में बेजा कब्जाधारियों के हौसले बढ़ जाएंगे। देखा देखी में अन्य बेजा कब्जाधारी भी अपने बेजा कब्जा को विभिन्न संस्थाओं व उपक्रमों के नाम पर आबंटित कराने का नया फंडा शुरू कर देंगे।
कलेक्टर को किया गुमराह
बेजा कब्जाधारी द्वारा कलेक्टर को आबंटन प्रक्रिया के तहत सभी विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने की जानकारी उपलब्ध कराई गई है। कंडिका-3 में इसका उल्लेख भी किया गया है। परंतु एसईसीएल द्वारा किसी प्रकार की अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलना संभव नहीं है। क्योंकि एसईसीएल के पत्र क्रमांक एसईसीएल/को/मुमप्र/ अनापप्र/04/ 371, दिनांक 04.02.04 में खसरा नंबर 3/1क को एसईसीएल द्वारा माईनिंग लीज एवं सरफेस राईट के अधीन बताया गया है। इस भूमि का किसी भी प्रकार के हस्तांतरण पर अनापत्ति प्रमाण पत्र देना संभव नहीं होने का उल्लेख किया गया है। ऐसे में साफ है कि बेजा कब्जाधारी ने अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के मामले में कलेक्टर को भी गुमराह किया है।
आमजनों को मिलेगी राहत
शिकायतकर्ता ने जनहित को लेकर रसूखदार बेजा कब्जा के खिलाफ शिकायत करने की मुहिम छेड़ी थी। जिसमें शिकायतकर्ता को कामयाबी मिली है। यह मामला जनहित से जुड़ा हुआ है। बेजा कब्जाधारी ने अतिक्रमण कर आमजनों के आम रास्ते को बंद कर दिया है। बेजा कब्जा टूटते ही 20 से 25 लोग जिनकी जमीनें पीछे है उन्हेें आने जाने का रास्ता मिल जाएगा। साथ ही यह मार्ग कब्जा मुक्त होने के बाद आमजन के लिए सुलभ रूप से सुचारू हो सकेगा।
सीएम ने भू-माफियाओं पर दिए कार्रवाई के निर्देश
छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कल वीडियो कॉन्फें्रसिंग के माध्यम से जिला कलेक्टरों की बैठक ली थी। इस बैठक मेें उन्होंने भूमाफियाओं एवं शासकीय भूमि पर कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के कड़े निर्देश दिए हैं। माना जा रहा है कि सीएम के आदेश के बाद जिले के भूमाफियाओं पर कार्रवाई तेज की जाएगी। संभावना यह भी है कि डीडीएम स्कूल का बेजा कब्जा भी इसकी जद में आएगा। एक साल से भी अधिक समय से कार्रवाई का इंतजार है। अब सीएम के आदेश के बाद भी अगर रसूखदार का बेजा कब्जा कायम रहता है तो स्थानीय प्रशासन के साथ शासन पर भी उंगली उठेगी।