कही-सुनी @ रवि भोई
टीएस के गढ़ में भूपेश ने चलाया तीर
पिछले हफ्ते सरगुजा महाराज और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव दिल्ली में और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करीब आधा दर्जन मंत्रियों के साथ सरगुजा इलाके में योजनाओं के शुभारंभ और उद्घाटन में लगे रहे। यह अलग बात है कि लुंड्रा विधायक डॉ. प्रीतम राम के बेटे की शादी और यात्रा के आखिरी दिन टीएस सिंहदेव एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के साथ मंच पर दिखे और सरगुजा के कार्यक्रम में सिंहदेव विशेष अतिथि के तौर पर शामिल हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री और अध्यक्षता सरगुजा के प्रभारी मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने की। सरगुजा-जशपुर इलाके में 14 विधानसभा सीटें हैं। सभी में कांग्रेस के विधायक हैं। कहते हैं अमरजीत भगत को छोड़कर सभी सीटों पर सिंहदेव की पसंद के लोगों को ही उम्मीदवार बनाया गया था। शुरू में सिंहदेव के पाले में ये विधायक दिखे। पर संसदीय सचिव या दूसरे पद मिलने पर उनसे अलग होते दिखे। चर्चा है कि ढाई -ढाई साल की कहानी गढ़ने की खबरों के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरगुजा-जशपुर इलाके में लगातार तीन दिन रहे और रात भी रुके। अमरजीत के साथ उन जिलों के प्रभारी मंत्रियों के साथ फीता काटने का मतलब लोगों को टीएस सिंहदेव को पटखनी देना दिखाई दिया । अब देखते हैं सिंहदेव के गढ़ में भूपेश का तीर क्या असर दिखाता है ?
अगले साल छत्तीसगढ़ को मथेंगे मोदी ?
कहते हैं पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद भाजपा 2021 में छत्तीसगढ़ पर फोकस करेगा। चर्चा है कि अगले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कम से कम पांच दिन छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों का दौरा करेंगे। भाजपा हाईकमान छत्तीसगढ़ को कांग्रेस शासित राज्यों में मजबूत राज्य मानने के साथ फीडिंग स्टेट के रूप में देख रहा है। कहा जा रहा है कि पार्टी ने दौरा कार्यक्रम के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी में पार्टी की प्रदेश से राज्यसभा सांसद सरोज पांडे , प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ,नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और राज्य के कुछ बड़े पार्टी नेता रखे गए हैं। माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद छत्तीसगढ़ के लिए पार्टी रणनीति तय करेगी। कहते हैं 2018 के विधानसभा चुनाव में राज्य में पार्टी की बुरी हार और 15 सीटों पर सिमट जाने से रायपुर की जगह दिल्ली स्तर पर रणनीति तय होगी। माना जा रहा है कि भाजपा की नई प्रदेश प्रभारी डी. पुरेन्दश्वरी भले आक्रामक तेवर न अपना सके, हाईकमान को वास्तविकता से अवगत तो करा सकेंगी । राज्य में गुटबाजी के चलते दुर्ग शहर और ग्रामीण में अध्यक्ष की नियुक्ति न होने के साथ ही साथ मोर्चा और प्रकोष्ठों के प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा भी अटकी हुई है। भाजपा की नई सोच और रणनीति से कहीं छत्तीसगढ़ 2021 में कहीं नया राजनीतिक अखाड़ा न बन जाए ।
शराब के शौकीनों के लिए बुरी खबर
खबरों के मुताबिक रूस अगले हफ्ते से कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण करने वाला है। रूसी उप प्रधानमंत्री तातियाना गोलिकोवा ने एक इंटरव्यू में COVID-19 वैक्सीन के असर के लिए अपने देश के नागरिकों को दो महीने तक शराब से तौबा करने और 42 दिनों तक अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी है। रूस की गिनती सबसे ज्यादा शराब पीने वाले देशों के रूप में होती है। भारत में आंकड़ों के मुताबिक सबसे अधिक शराब पीने वाले छत्तीसगढ़ में हैं। इसके बाद त्रिपुरा और पंजाब का नंबर आता है। छत्तीसगढ़ विधानसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 35 फीसदी से अधिक लोग शराब पीते हैं। पौने तीन करोड़ की आबादी वाले छत्तीसगढ़ में 2018-19 में सरकार को शराब से लगभग 4700 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी। कहते हैं राज्य में लाकडाउन पीरियड में चोरी छिपे खूब शराब बिकी और अनलॉक के बाद धार्मिकस्थल और दफ्तर नहीं खुले, पर शराब दुकान खुली ,तो तलबदार टूट पड़े। शराब से आमदनी सरकार की आय का बड़ा स्रोत भी है। ऐसे में कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में क्या होगा ? COVID-19 वैक्सीन लगवाने वाले शराब के शौकीन उससे दूर रहेंगे या सरकार कुछ महीनों के लिए पाबंदी लगाएगी?
राज्यपाल और सरकार के विवाद का रंग
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर को लेकर राज्यपाल और सरकार के बीच की लड़ाई का रंग अब विश्वविद्यालय पर दिखने लगा है। इस विश्वविद्यालय में भूपेश सरकार न तो अपनी पसंद का कुलपति नियुक्त कर पाई और न ही उसका नाम बदलकर चंदूलाल चंद्राकर पत्रकारिता विश्वविद्यालय कर पाई। नाम बदलने और कई बदलाव के लिए सरकार ने विधानसभा में विधेयक पास कर लिया है, लेकिन राज्यपाल के दस्तखत के बिना विधेयक लागू नहीं हो पा रहा है। कहते है झगडे के चलते सरकार ने विश्वविद्यालय को 2020-2021 का बजट ही अभी तक जारी नहीं किया है। विश्वविद्यालय ने फिक्स्ड डिपाजिट तोड़कर नवंबर तक अपने कर्मचारियों के वेतन देकर खर्चे चला लिया। दिसंबर का वेतन अभी तक प्रोफेसर और अन्य कर्मचारियों को नहीं मिला है। कहा जा रहा है सरकार यूनिवर्सिटी के कुलपति को भाव नहीं दे रही है। कुलपति को मुलाक़ात के लिए मुख्यमंत्री समय दे रहे हैं, तो कुलपति आला अधिकारियों से मिलकर अपनी समस्या नहीं रख रहे हैं, वहीँ रजिस्ट्रार विश्वविद्यालय की चिंता छोड़ अपने लेखन में ही लगे रहते हैं। देखते हैं आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय का कुछ भला किया जाता है या फिर भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है।
डिप्टी कलेक्टरों को आईएएस का तगमा अटका
छत्तीसगढ़ के 2003 बैच के सात डिप्टी कलेक्टरों को आईएएस अवार्ड करने के मामले में फिर अड़ंगा लग गया है। संघ लोक सेवा आयोग ने 2003 बैच के राज्य सेवा के अफसर जयश्री जैन, चंदन त्रिपाठी, फरिया आलम सिद्दीकी, प्रियंका महोबिया, तूलिका प्रजापति, संजय कन्नौजे और सुखनाथ अहिरवार को आईएएस अवार्ड के लिए हरी झंडी दे दी है। भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने राज्य सरकार को सूची भी भेज दी है , लेकिन 2000 बैच के अधिकारी संतोष देवांगन के कैट में जाने से मामला लटक गया है। कहते हैं कैट के फैसले तक आईएएस का तगमा रुका रहेगा। कहा जा रहा है आईएएस देने के लिए तय मापदंड के अनुरूप गोपनीय चरित्रावली न होने के कारण 1999 बैच के अरविंद एक्का , 2000, बैच के संतोष देवांगन और 2002 बैच की हिना नेताम दौड़ से बाहर हो गए। यूपीएससी के निर्णय के खिलाफ संतोष देवांगन कैट गए हैं। दूसरी तरफ एलायड सर्विस से आईएएस चयन का मामला भी अभी अटका है। एक पद के इंटरव्यू के लिए पांच नाम अब तक यूपीएससी को नहीं भेजे गए हैं, पर एलायड सर्विस से आईएएस बनने की दौड़ में वाणिज्यिक कर विभाग के अफसर का नाम अव्वल रहने की चर्चा है।
युद्धवीर से किनारा भाजपा की मजबूरी
पूर्व विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव की भाजपा से नाराजगी और कांग्रेस में जाने की अटकलों से स्व. दिलीपसिंह जूदेव का परिवार एक बार फिर चर्चा में आ गया है। कहते हैं युद्धवीर का उबाल राजनीति से ज्यादा पारिवारिक है। युद्धवीर के सक्रिय न रहने पर ही भाजपा ने उनके भाई प्रबल प्रताप सिंह जूदेव को आगे कर संगठन में प्रदेश मंत्री बनाया है। चंद्रपुर से दो बार विधायक रहे युद्धवीर को अब अपने भाई की भाजपा में सक्रियता से अपना राजनीतिक भविष्य धुंधला दिखाई दे रहा है। कहा जा रहा है ऐसे में भाजपा को लेकर खीझ स्वभाविक है। उनके करीबी लोगों का कहना है कि युद्धवीर भले गुस्से में हों, भाजपा से उनका वास्ता नहीं टूटने वाला है। माना जाता है कि जशपुर इलाके में भाजपा जूदेव परिवार के बिना पग बढ़ा नहीं सकती और अब युद्धवीर की निष्क्रियता के कारण प्रबल प्रताप सिंह को आगे लाना पार्टी की मजबूरी है ।
मंदिरों की जमीन से जेब भरने का खेल
एक ओर भूपेश बघेल की सरकार कौशल्या माता के मंदिर बनाने को अपनी प्राथमिकता में रखा है और राम वन गमन पथ के लिए यात्राएं निकाली जा रही है, तो वहीँ दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के एक कलेक्टर मंदिरों की जमीनों को दूसरों के नाम चढाने के खेल में लगे हैं। दशकों पहले मंदिरों को दान में जमीन देने की परंपरा थी। रायपुर के दूधाधारी मंदिर, राजिम के राजीव लोचन से लेकर छोटे-बड़े सभी मंदिरों को पुराने जमाने के लोगों ने दान में जमीन दिए। यहाँ तक पुरी के जगन्नाथ मंदिर को दान में दिए जमीन भी छत्तीसगढ़ में होने की खबर है। पूर्वजों द्वारा दान की गई जमीन की जानकारी नई पीढ़ी को नहीं है। मंदिरों की जमीन बचाने के लिए मध्यप्रदेश के जमाने से सरकार ने कलेक्टरों को प्रबंधक बना दिया । वही नियम अब भी चल रहा है। कहते हैं प्रबंधक के नाते आदिवासी बहुल जिले के एक कलेक्टर साहब पटवारी और तहसीलदारों के जरिए धन कुबेरों के नाम जमीन लिखकर अपनी जेब भरने में लगे हैं।
(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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