ग्राम मलगांव में तोड़फोड़ करने पहुंचे एसईसीएल और प्रशासन की टीम को ग्रामीणों ने लौटाया बैरंग

कोरबा 05 अपै्रल। सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया के अधीन संचालित एसईसीएल बिलासपुर की कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत कोरबा जिले में संचालित गेवरा परियोजना से प्रभावित ग्राम मलगांव में भू-विस्थापित ग्रामीणों और प्रबंधन के बीच गतिरोध जारी है। ग्रामीणों के द्वारा उचित मुआवजा निर्धारित कर पूर्ण रूप से वितरण, नौकरी और उचित व्यवस्थापन देने की मांग की जा रही है।
ग्राम मलगांव में करीब 18 करोड़ रुपए फर्जी मुआवजा वितरण का मामला अभी सीबीआई की जांच में है, इसकी शिकायत किए जाने के बाद सीबीआई की जांच कहां तक पहुंची है, यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं है लेकिन जांच चल रही है। पिछले दिनों ग्रामीणों ने विभिन्न मांगों को लेकर सीएमडी बिलासपुर कार्यालय में ज्ञापन सौंपा। अभी ज्ञापन सौंपने को एक सप्ताह भी नहीं बीता है कि मांगों का निराकरण तो दूर मुआवजा के विषय में भी बात करने को भी अधिकारी तैयार नहीं है।
जानकारी के अनुसार गतिरोध के मध्य 4 अप्रैल को सुबह के वक्त एसडीएम की गाड़ी ग्राम मलगांव पहुंची। दीपका तहसीलदार के साथ एक कंपनी के मुंशी अपने लोगों को लेकर घरों को तोड़ने के लिए पहुंचे। ग्रामीणों में इस बात को लेकर नाराजगी देखी गई की एसईसीएल व प्रशासन उनकी मांगों और समस्याओं का समाधान नहीं कर रहा है, मुआवजा की शिकायतों का निराकरण नहीं हो रहा है और जब देखो तब घर तोड़ने के लिए पहुंच जाते हैं। उन्होंने एसईसीएल प्रबंधन के साथ-साथ खनन कार्य का ठेका प्राप्त निजी कंपनी के मुंशी व उसके लोगों द्वारा दादागिरी करने का आरोप लगा नाराजगी जाहिर की।
ग्रामीणों का आरोप है कि यह बात प्रबंधन और प्रशासन के बीच की है और बार-बार निजी कंपनी से मुंशी को लेकर आने का औचित्य क्या है, क्या भय का माहौल निर्मित करना चाहते हैं ? ग्रामीणों में इस तरह के रवैये को लेकर काफी आक्रोश व्याप्त है। उनका कहना है कि हमारी मांगों का निराकरण हो जाए, हम स्वयं ग्राम खाली करके चले जाएंगे लेकिन दूसरी तरफ उनकी इस बात को अनसुना करके मुआवजा का कोई भी प्रकरण विवादित या लंबित नहीं होना बताकर घरों को खाली करने व तोड़ने पर ध्यान दिया जा रहा है।
इसी ग्राम पंचायत मलगांव में फर्जी तौर पर निवास और आवास होना बताकर करोड़ों रुपए का मुआवजा परिजनों के नाम से हासिल करने का गंभीर आरोप एसडीएम कार्यालय के बाबू और कथित श्रमिक नेता पर लगा है। इनके ऊपर शिकायत की जांच भी लंबित है। सारी जांच और घटनाक्रम ग्राम पंचायत मलगांव के अस्तित्व से लेकर जुड़ा हुआ है और जब ग्राम मलगांव का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा तो जांच की दिशा और दशा भटकना लाजमी है। शिकायतकर्ताओं से लेकर ग्रामवासी फर्जी मुआवजा मामले की शीघ्र जांच और दोषियों पर कार्यवाही करते हुए फर्जी मुआवजा राशि को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।