भू-विस्थापितों को न्याय दिलाने आगे आया माटी अधिकार मंच

बिलासपुर मुख्यालय का 11 मार्च को किया जाएगा घेराव और धरना प्रदर्शन
कोरबा 09 मार्च। कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में कोयला उत्खनन के लिए अपनी पुरखों की जमीन देने वाले माटीपुत्र भू-विस्थापित अर्जन के बाद रोजगार, मुआवजा, पुनर्वास संबंधी समस्याओं से परेशान बताये जा रहे हैं। आरोप लगाते हुए बताया जा रहा हैं की जब से कोयला खनन हेतु जमीन का अधिग्रहण प्रारंभ हुआ है, तब से आज तक समस्याओं के निराकरण हेतु प्रबंधन गंभीर नहीं रहा है, जिसके फलस्वरुप समस्याओं का अंबार लग गया है। भू-विस्थापितो को रोजगार के लिए कई दशक तक कार्यालय का चक्कर लगाने के बाद भी रोजगार प्राप्त नहीं हो रहा हैं। आरोप हैं की पुराने अर्जन में 47-48 साल पूर्व अर्जित भूमि के एवज में आज भी रोजगार प्रदान नहीं किया गया है। इतने लंबे समय तक रोजगार प्रदान नहीं करने के कारण उम्मीदवार उम्रदराज बूढ़े हो गए हैं। जिसके कारण उनके पुत्र के द्वारा रोजगार की मांग करने पर संविधान के विरुद्ध अर्जन के बाद जन्म होने का हवाला देकर रोजगार प्रदान नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण भू-विस्थापित त्रस्त एवं बेहाल है।
माटी अधिकार मंच के अध्यक्ष बृजेश श्रीवास ने जानकारी देते हुए बताया कि अर्जन के बाद जन्म का हवाला देकर केवल भू-विस्थापितों को गुमराह किया जा रहा है। प्रबंधन के अधिकारी रोजगार प्रदान नहीं करने के नियत से ऐसे नियमों का हवाला दे रहे हैं। न्यायालय का आदेश आने के बाद साफ हो गया है कि प्रबंधन के अधिकारी संविधान के विरुद्ध जाकर लोगों को परेशान कर रहे हैं। ज्ञात हो कि गोपाल कृष्ण नामक व्यक्ति को माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के आदेशानुसार अर्जन के बाद जन्म होने के बाद रोजगार प्रदान किया गया है। इस आदेश के बाद अर्जन के बाद जन्म लिए उम्मीदवार के द्वारा रोजगार की मांग करने पर प्रबंधन के अधिकारी यह तर्क देने लगे कि यह आदेश केवल गोपाल कृष्ण के लिए लागू होता है। आप लोगों को रोजगार प्रदान नहीं किया जा सकता। कुसमुंडा क्षेत्र के एक अन्य भू-विस्थापित हीरालाल के द्वारा किसी कारणवश न्यायालय से केस हार जाने के कारण प्रबंधन के अधिकारी नया तर्क देने लगे की यह पॉलिसी मैटर है। हीरालाल के हार जाने के बाद यह सभी पर लागू होगा। अर्जन के बाद जन्मे व्यक्ति को रोजगार देना न्यायालय की अवमानना होंगी। किसी नए आदेश पक्ष में आने के बाद ही इस पर हमारे द्वारा कार्यवाही की जा सकती है।
माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा नया आदेश जारी
माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर ने अर्जन के बाद जन्म लिए व्यक्ति के पक्ष में आदेश दिनांक 18ध्02ध्2025 जारी किया है। यह आदेश कुसमुंडा क्षेत्र के उम्मीदवार राहुल जायसवाल के पक्ष में जारी किया गया है। लंबे समय तक राहुल जायसवाल को अर्जन के बाद जन्म होने का हवाला देकर रोजगार प्रदान नहीं किया जा रहा था। राहुल जायसवाल के पक्ष में फैसला आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि संवैधानिक रूप से अर्जन के बाद जन्मे व्यक्ति भी रोजगार के लिए पात्र हैं, भले ही यह आदेश राहुल जायसवाल के लिए जारी किया गया है।
छोटे खातेदार को मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति के तहत रोजगार उच्च न्यायालय बिलासपुर का आदेश
माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर ने कोरबा क्षेत्र के बुड़बुड़ एवं राहाडीह के किसानों के पक्ष में फैसला देते हुए मध्यप्रदेश पुनर्वास तिथि 1991 के तहत रोजगार प्रदान करने का आदेश पारित किया है। इस आदेश के पारित होने से छोटे खातेदारों के लिए रोजगार का मार्ग खुल गया है। एसईसीएल-कोरबा क्षेत्र के सरायपाली ओपन खदान के लिए बुड़बुड़ एवं राहाडीह के 550 एकड़ भूमि का अर्जन किया गया था। अर्जन के समय प्रशासनिक अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में अर्जित भूमि के एवज में ग्रामीणों को मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति 1991 के तहत रोजगार देना तय हुआ था। परंतु आरोप हैं की प्रबंधन के अधिकारी ग्रामीणों के बीच बनी सहमति के विरुद्ध जाकर कोल इंडिया पॉलिसी 2012 के तहत रोजगार देना प्रारंभ कर दिए। ग्रामीणों ने इसका विरोध भी दर्ज कराया एवं आंदोलन भी करते रहे परंतु एसईसीएल के अधिकारी अपनी मनमानी पर उतारू रहे। पीड़ित माटीपुत्र भू-विस्थापितों को माटी अधिकार मंच ने सहयोग प्रदान किया। माटी अधिकार मंच के सहयोग से ग्रामीणों ने माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में वाद दायर किया। जिसके फलस्वरुप माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर ने अपने आदेश दिनांक 15.01.2025 में पीड़ितों को मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति 1991 के तहत 45 दिवस के भीतर रोजगार प्रदान करने का आदेश पारित किया है इस आदेश के पारित होने के बाद छोटे खातेदार के रोजगार पाने का मार्ग खुल गया है।
कुसमुंडा प्रबंधन द्वारा भूमि का मुआवजा राशि भुगतान करने में पक्षपात
एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन के द्वारा वर्ष 2018-19 में अर्जित की गई ग्राम खोडरी के किसानों को वर्ष 2022दृ23 में मुआवजा राशि प्रति एकड़ 16 लाख 24 हजार रुपए राशि प्रदान की गई है। इसके विरुद्ध वर्ष 2010 में अर्जित ग्राम रिसदी, पड़निया, सोनपुरी के किसानों को मुआवजा राशि प्रति एकड़ टिकरा 6 लाख रुपए, सिंगल फसल 8 लाख रुपए एवं द्वि-फसली 10 लाख रुपए प्रति एकड़ प्रदान किया जा रहा हैं। मुआवजा राशि में भारी भिन्नता होने के कारण ग्राम रिसदी, पड़निया, सोनपुरी के ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीण प्रबंधन एवं प्रशासन से एक समान मुआवजा राशि प्रदान करने की मांग करते रहे हैं। वर्तमान समय में उक्त राशि से प्रति एकड़ की दर से भूमि खरीद पाना संभव नहीं है। ग्रामीण ग्राम खोडरी के समान ही मुआवजा राशि अन्य ग्रामों को भुगतान करने की मांग करते आ रहे हैं, परंतु प्रबंधन एवं प्रशासन के द्वारा इस पर सकारात्मक कार्यवाही नहीं की जा रही है। जिसके फलस्वरुप ग्रामीण मुआवजा राशि प्राप्त करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
ग्राम के बहुत से ग्रामीण पुनर्वास से रह जाएंगे वंचित
एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र के द्वारा शासकीय भूमि पर निर्मित मकानधारी, पारिवारिक सदस्यों के भूमि पर निर्मित मकानधारी या किसी अन्य करीबी व्यक्ति के भूमि पर निर्मित मकानधारी सोलिशियम एवं पुनर्वास से वंचित रह जाएंगे। कुसमुंडा प्रबंधन के द्वारा यह जानकारी प्रदान की जा रही है कि स्वयं की भूमि पर निर्मित मकान पर ही सोलिशियम राशि एवं पुनर्वास प्लाट आवंटित किया जाएगा अन्य स्थिति में सोलिशियम राशि एवं पुनर्वास प्लाट प्रदान नहीं किया जाएगा। जिसकी जानकारी ग्रामीणों को होने पर बेघर होने का डर समा गया है। छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा आवासहीन लोगों को शासकीय भूमि पर प्रधानमंत्री आवास बनाकर दिया जा रहा है जिससे लोग बेघर ना रहे इसके विपरीत एसईसीएल प्रबंधन के द्वारा शासकीय भूमि पर निर्मित प्रधानमंत्री आवास या स्वयं के द्वारा निर्मित मकान का पुनर्वास प्लांट प्रदान नहीं करने से ग्रामीण चिंतित हैं। आरोप लगाते हुए कहा जा रहा हैं की छत्तीसगढ़ शासन लोगों का घर बसाने का कार्य कर रहा है इसके विपरीत एसईसीएल प्रबंधन ऐसे लोगों को बेघर करने पर उतारू है।
भू-विस्थापितों की समस्याओं को प्रबंधन के द्वारा लगातार आवेदन निवेदन करने के उपरांत भी नजर अंदाज किया जा रहा है। जिसका असर खदान के विस्तार पर पड़ रहा है। संगठन के द्वारा भू-विस्थापितों की सभी समस्याओं के निराकरण हेतु ही 11 मार्च को एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर का घेराव धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है। समस्याओं के निराकरण हेतु शीघ्र ही बड़े स्तर पर आंदोलन की रूपरेखा भी माटी अधिकार मंच के द्वारा तैयार की गई है।
इस दौरान माटी अधिकार मंच के अध्यक्ष ब्रजेश कुमार श्रीवास, सचिव रवि यादव, हेमलाल श्रीवास, परमेश्वर बिंझवार, संतोष राठौर, प्रताप सिंह, सूर्यभवन सिंह, रमेश सिंह, राजेंद्र पटेल, पवन पटेल, ललित पटेल, प्रेम, विनोद श्रीवास आदि उपस्थित थे।