SECL दीपका व कलिंगा कंपनी को नरसंहार की छूट.. कॉलेज कैम्पस में ही विस्फोटक लगाकर की जा रही ब्लास्टिंग

कोरबा 11 नवम्बर। एसईसीएल दीपिका परिक्षेत्र व उसके द्वारा कोयला उत्खनन हेतु अधिकृत कंपनी कलिंगा को शायद जिला प्रशासन से नरसंहार करने की खुली छूट मिल गई है। इसलिए ही उनके द्वारा कोयला उत्खनन हेतु कॉलेज कैंपस के अंदर ही खुदाई करके विस्फोटक लगा ब्लास्टिंग की जा रही है। उनकी कार्यशैली से यह स्पष्ट है की एसईसीएल दीपका तथा कलिंगा प्रबंधन को कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों की जान की कोई परवाह नहीं है। अब काले हीरे के आगे चंद छात्रों के जीवन का क्या मोल !

आबादी वाली बस्तियों से सटकर किया जा रहा उत्खनन

मामला कटघोरा राजस्व अनुभाग के दीपका तहसील अंतर्गत ग्राम मलगांव का है जिसे एसईसीएल दीपका द्वारा कोयला उत्खनन हेतु अधिग्रहित किया गया है। कोयला उत्खनन की एसईसीएल तथा कलिंगा कंपनी प्रबंधन को इतनी जल्दी है की प्रभावित ग्रामीणों के मुआवजा व व्यवस्थापन की पूर्ण व्यवस्था किए बिना ही उनके द्वारा ग्रामीणों पर गांव खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है और बात नहीं मानने पर गुंडागर्दी भी की जा रही है। प्रभावित ग्रामीणों द्वारा इसकी शिकायत कोरबा कलेक्टर से भी की गई थी परंतु उस शिकायत का कोई असर कंपनी प्रबंधन पर नजर नहीं आ रहा है और ऐसा लगता है कि प्रभावित ग्रामीण अपने हक तो दूर, अपकी जान माल की सुरक्षा के लिए भी अब भगवान भरोसे हैं। ग्रामीणों ने कंपनी प्रबंधन पर आरोप लगाया है की कंपनी द्वारा प्रभावित ग्रामीणों के मुआवजा में मनमानी कटौती की गई है तथा भू-विस्थापितों को रोजगार प्रदान करने के प्रकरण भी अभी लंबित है। इतना ही नहीं कंपनी प्रबंधन द्वारा प्रभावित ग्रामीणों के बसाहट स्थल पर मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। ग्रामीणों ने एसईसीएल प्रबंधन पर बसाहट हेतु पात्र भू-विस्थापितों के चयन में भी घोटाला करने का आरोप लगाया है जिस कारण कंपनी प्रबंधन द्वारा बसाहट हेतु पात्र भू विस्थापितों की सूची भी सार्वजनिक नहीं की जा रही है।

कंपनी व ग्रामीणों के बीच का यह टकराव कुछ माह पूर्व स्थानीय मीडिया के सामने आया जब एसईसीएल व कोयला उत्खनन हेतु अधिकृत कंपनी कलिंगा के अधिकारियों द्वारा जबरन गुंडागर्दी से ग्रामीणों के मकान तोड़ने का प्रयास किया गया। कंपनी प्रबंधन की इस गुंडागर्दी की खबर जिले के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुई थी। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि समस्त शिकायतों व मीडिया की खबरों के पश्चात भी जिला प्रशासन द्वारा कंपनी प्रबंधन पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रही है जिससे उनके हौसले बुलंद हैं। यही वजह है की अब कंपनी द्वारा आबादी वाले क्षेत्र में ही खुदाई व ब्लास्टिंग की जा रही है। तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि जहां कंपनी द्वारा खुदाई की जा रही है उससे चंद कदमों की दूरी पर ही लोगों के मकान दुकान स्थित हैं।

मंदिर व मकानों के करीब की जा रही ब्लास्टिंग

कंपनी की मनमर्जी के आगे जिला प्रशासन भी नतमस्तक है। तभी तो शासकीय कॉलेज कैंपस के अंदर ही कंपनी ने खुदाई शुरू कर दी है और साथ ही साथ विस्फोटक लगाकर ब्लास्ट किया जा रहा है। कोरबा जिले के सबसे पुराने महाविद्यालयों में से एक शासकीय ग्राम्य भारती महाविद्यालय हरदी बाज़ार, जहाँ शिक्षा सत्र जारी है और लगभग दो हजार छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं वहाँ एसईसीएल तथा कालिंगा कंपनी के गैरजिम्मेदार अधिकारियों द्वारा सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर उत्खनन कार्य शुरू कर दिया गया है। अधिकारीयों को इससे कोई सरोकार नहीं है कि ब्लास्टिंग से कॉलेज भवन व कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। उन्हें इस बात की भी चिंता नहीं है कि उनकी इस करतूत से कहीं कोई दुर्घटना घटित ना हो जाए।

लाल घेरे में कॉलेज भवन

मामले की जानकारी देते हुए अधिवक्ता विनय सिंह राठौर ने बताया कि कोयला उत्खनन हेतु ग्राउंड सरफेस से तीन लेवल निचे तक मिट्टी की खुदाई करने के पश्चात विस्फोटक लगाकर उत्खनन कार्य किया जाता है परन्तु कंपनी प्रबंधन द्वारा एक लेवल तक ही मिट्टी खुदाई करके विस्फोटकों का इस्तेमाल किया जा रहा है जो की सुरक्षा नियमों की खुली अवहेलना है। कंपनी की इस कार्यशैली से उत्खनन क्षेत्र के आसपास बसे लोगों और खासकर महाविद्यालय में पढ़ रहे दो हजार छात्रों की जान खतरे में हैं। दूसरी ओर कंपनी प्रबंधन द्वारा इन सभी विषयों को नजरअंदाज कर बेधड़क उत्खनन कार्य किया जा रहा है। वहीं अधिकारियों से इस विषय पर प्रश्न करने व उत्खनन कार्य की तस्वीर लेने पर कंपनी के अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा लोगों को धमकाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यदि उत्खनन कार्य युहीं जारी रहा तो कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है।

अब सवाल यह उठता है की ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी कोरबा कलेक्टर द्वारा कंपनी प्रबंधन की मनमानी पर अंकुश क्यों नही लगाया जा रहा है ? क्या एसईसीएल व कलिंगा कंपनी की मनमानी व गुंडागर्दी के पीछे जिला प्रशासन की मौन स्वीकृति है? बहरहाल जिला प्रशासन तथा एसईसीएल प्रबंधन के रवैये को देखकर यह बात तो स्पष्ट है की काले हीरे की इस धरती पर मानव जीवन का कोई मोल नही है।

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