अस्पताल से नदारद रहकर निजी प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों पर कार्रवाई की तैयारी
कोरबा 16 अक्टूबर। सरकारी तनख्वाह लेकर भी आम आदमी के मर्ज दरकिनार कर शासकीय अस्पतालों से नदारद रहने और निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों पर नकेल कसने लगी है। इस विषय पर संजीदगी दिखाते हुए राज्य सरकार ने गाइडलाइन जारी की है। इस पर निजी अस्पताल संचालकों को भी घेरे में लेते हुए शपथ पत्र मांगा गया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोरबा ने जिले में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत पंजीकृत निजी अस्पताल संचालकों (समस्त) को एक पत्र जारी किया है। इसमें लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के चिकित्सकों को निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए गए हैं। आयुक्त सह संचालक स्वास्थ्य सेवाएं छत्तीसगढ़ द्वारा 1.10.2024 को जारी पत्र का संदर्भ देते हुए सीएमएचओ डॉ एसएन केशरी ने लिखा है कि लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के चिकित्सकों को निजी प्रैक्टिस करने की छूट रहेगी। परंतु निजी प्रैक्टिस केवल कर्तव्य अवधि के बाहर की जा सकेगी।
यह भी बताया गया है कि नर्सिंग होम या प्रायवेट क्लीनिक में जाकर इस प्रकार की प्रैक्टिस करने की अनुमति का प्रावधान नहीं है। डॉ केशरी ने साफ किया है कि इस पत्र के साथ संलग्न संदर्भित पत्र का अवलोकन कर संदर्भित पत्र में दिए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना सुनिश्चित करें। साथ ही इस संबंध में स्पष्ट करते हुए स्व घोषणा पत्र शपथ पत्र पंजीकृत अस्पताल के लेटर हेड में प्रेषित करने भी कहा गया है। शपथ पत्र में लिखना होगा कि उनके अस्पताल में कोई भी शासकीय चिकित्सक पूर्ण कालिक या अंश-कालिक या ऑन-कॉल प्रक्टिस नहीं कर रहें हैं। प्रमाण पत्र का प्रारूप भी संलग्न किया गया है। यह स्वघोषणा पत्र-शपथ पत्र संलग्न प्रारूप में कार्यालयीन तीन दिवस के भीतर अधोहस्ताक्षरकर्ता को प्रेषित किया जाना सुनिश्चित करने कहा गया है, जिससे निर्धारित समय-सीमा में चाही गई जानकारी राज्य कार्यालय को आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित किया जा सके। बता दें कि ऐसे चिकित्सक एवं चिकित्सा शिक्षक जो निजी प्रैक्टिस नही करते हैं उन्हें शासन द्वारा वेतन के अतिरिक्त नॉन प्रैक्टिसिंग एलाउंस (एनपीए) भी दिया जाता है। एनपीए लेने के बाद भी निजी प्रैक्टिस करना प्रतिबंधित है और ये नियम विरुद्ध है।उल्लेखनीय होगा कि स्वास्थ्य विभाग ने जनहित को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है, ताकि मरीजों और आम नागरिकों को यह जानकारी मिल सके कि किस चिकित्सक से परामर्श लिया जा सकता है।