भाजपा प्रदेश कार्यसमिति बैठक में राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री ने सरकार को चेताया.. कहा- कार्यकर्ता हैं तो हैं विधायक, सांसद और मंत्री
रायपुर 10 जुलाई. भाजपा की वृहद कार्यसमिति की बैठक में राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश ने सरकार और संगठन के नेताओं को खरी-खरी सुनाई है. उन्होंने कहा कि भूपेश सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर खूब नाम कमा कर गई. कुछ लोग यहां भी हैं, जो सोचते हैं कि पिछली सरकार ऐसा करती थी, तो हम क्यों नहीं? शिव प्रकाश ने दो टूक कहा है कि सरकार के मंत्री कार्यकर्ताओं को लेकर अपनी दृष्टि न बदलें. कार्यकर्ता हैं, तो ही विधायक, सांसद और मंत्री हैं. सभी मंत्री, विधायक और सांसद की यह जिम्मेदारी है कि कार्यकर्ताओं के प्रति प्रेम का व्यवहार रखें. निगम, मंडल और आयोग में होने वाली नियुक्ति की बांट जोह रहे संगठन नेताओं द्वारा बायोडाटा लेकर घूमने पर राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री ने तंज कसा. उन्होंने कहा कि बायोडाटा लेकर दौड़ लगाने से कोई फायदा नहीं है. बायोडाटा फाड़कर रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है. नेता और कार्यकर्ता का काम बायोडाटा लेकर इधर-उधर घूमना नहीं है. संगठन को मजबूत करना है. उन्हें मजबूत करने की चिंता हम करेंगे. संगठन है, तो सब है. संगठन नहीं तो कोई भी नहीं.
राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश ने कहा कि विधानसभा चुनाव के छह महीने पहले तक दिल्ली में कोई भी नेता यह स्वीकार करने को तैयार नहीं था कि राज्य में भाजपा की सरकार बनेगी. एक बड़े नेता से मिलने के दौरान उन्होंने पूछा था कि छत्तीसगढ़ का क्या होगा? मैंने कहा था कि सरकार बना रहे हैं. उन्होंने इस पर आश्चर्य जताया. छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ताओं ने इस मिथक को तोड़ दिया कि भूपेश सरकार नहीं जा सकती, लेकिन लोकसभा चुनाव में एक चूक हो गई. हमे कोरबा सीट भी जीतनी चाहिए थी. भाजपा के नेतृत्व में केंद्र में तीसरी बार सरकार बनने पर उन्होंने कहा कि नेहरू के बाद यह गौरव मोदी और हमारी पार्टी को मिला है. लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाई है. शिव प्रकाश ने कहा कि जीत के साथ ही हमारे सामने कुछ चुनौतियां भी आई है. विपक्षी पार्टियों ने हमें डिफेम किया. गलत नैरेटिव चलाने का काम किया. सरकार में लौटने पर संविधान बदलने की बात कही गई. इस गलत नैरेटिव में विपक्ष सफल भी हुआ. कई प्रदेशों में भाजपा की सीटें घट गई.
उन्होंने कहा कि एससी, एसटी कमीशन को अलग करना, जनजातीय वर्ग के लिए अलग मंत्रालय बनाना, दलित और आदिवासी वर्ग से राष्ट्रपति बनाना यह सब काम अटल बिहारी बाजपेई से लेकर नरेंद्र मोदी तक हुए हैं, लेकिन अब सामने आई चुनौतियों को देखते हुए चार कम्युनिटी पर फोकस किए जाने की जरूरत है. अनुसूचित वर्ग, आदिवासी वर्ग, महिला शक्ति और युवा.
राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री ने कहा कि साय सरकार बस्तर में नक्सलवाद को साफ करने का काम कर रही है, लेकिन रायपुर में बैठे अर्बन नक्सलियों का प्रभाव बड़ा है. उन्होंने कहा कि देश के तीस बड़े यूट्यूब चैनलों में एक भी चैनल हमारे समर्थन में नहीं है. इस तरह की चुनौतियों को दूर करने के लिए लांग टर्म और शॉर्ट टर्म प्लान बनाने की जरूरत है. आज नहीं तो कल हमें इसे फेस करना होगा. सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव का जिक्र करते हुए शिव प्रकाश ने कहा कि इंस्टाग्राम, फेसबुक, युट्यूब को ट्रेनिंग का हिस्सा बनाना होगा. उन्होंने कार्यकर्ताओं से पूछा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को सोशल मीडिया पर कितने लोग फॉलो करते हैं. डिप्टी सीएम अरुण साव और विजय शर्मा को कितने लोग फॉलो करते हैं. इतनी बड़ी पार्टी होने के बाद भी उनके पोस्ट में लाइक कम क्यों आते हैं. सोशल मीडिया पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि फ्यूचर की लड़ाई इसी टेक्नालाजी से लड़ी जाएगी.
कार्यकर्ताओं के समन्वय से चले सरकार
बैठक में भाजपा प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन ने संगठन और सरकार पर अनुशासन का डंडा चलाया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्री ही सरकार नहीं चलाएंगे. सरकार चलाने की जिम्मेदारी सबकी है. सरकार चलाने के कई मापदंड होते हैं, लेकिन लकीर कोई भी ना लांघे यह बात ध्यान में रखना होगा. संघर्ष के साथ सरकार बनी है. इसे मजबूती से चलाना है. हर व्यक्ति की अपनी सीमा है. काम ऐसा करना है, जो पार्टी के हित में हो. कार्यकर्ता का सम्मान बढ़े. कार्यकर्ताओं के समन्वय से सरकार चलाई जानी चाहिए. नगरीय निकाय चुनाव को लेकर नितिन नबीन ने कहा कि राज्य में 1100 वार्ड अब भी ऐसे हैं, जहां कांग्रेस लगातार चुनाव जीत रही है. भाजपा को अपना घर मजबूत करना है. घर मजबूत होगा, तभी सब मजबूत होंगे. निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव पूरी मजबूती से लड़ना है. उन्होंने कहा कि हम अपनी कमियों को लेकर मैदान में उतरेंगे, तो काम तमाम ही होगा. पार्टी के नेता जिले की इकाई के साथ बैठकर यह चिंतन करें कि चुनाव किस तरह से जीता जाए. ये सब भूल कर कि चुनाव कौन लड़ रहा है. विधायक, जिला अध्यक्ष संगठन की निचली इकाई तक जाकर समन्वय बनाने का काम करें.