खान-पान में लापरवाहीः बच्चों के आंखों में बढ़ रहे बीमारी

स्वास्थ्य विभाग चला रहा अभियान

कोरबा 10 मई। बाजार की चकाचौंध और टेलीविजन पर हर पांच मिनट के बाद आ रहे विज्ञापन को देखकर बच्चे मनमाने तरीके से खानपान की तरफ ध्यान दे रहे हैं। जंकफूड के प्रति उनके आकर्षण को अभिभावक हल्के से लेकर भविष्य की चुनौतियां बढ़ाने में लगे हैं। चिकित्सकों ने आगाह किया है कि शरीर में विटामिन की कमी से बीमारियों का दायरा बच्चों में बढ़ रहा है और यह आने वाले समय में गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है।

बच्चे खाने के मामले में बहुत चूजी होते हैं। बाहर का जंकफूड और पैकेज्ड उन्हें खूब पसंद आता है लेकिन लगातार अनहेल्दी फूड की वजह से बढ़ते बच्चों के शरीर में विटामिन्स की कमी होने लगती हैं। रोज के खाने को छोडकर बच्चे प्रोसेस्ड और शुगर वाली चीजों को खाना पसंद करने लगते हैं। विटामिन ए एक ऐसा जरूरी विटामिन है जो शरीर खुद नहीं बना सकता है इसलिए बच्चों के आहार में विटामिन ए युक्त चीजों को शामिल करना जरूरी है। अगर बच्चों में विटामिन ए की कमी होती है तो उन्हें गंभीर समस्या झेली पड़ सकती है। बच्चों विटामिन ए की कमी के कारण, लक्षण और उपाय को लेकर हमने कोरबा मेडिकल कलेज मे पदस्थ नेत्र रोग विशेषज्ञ अंकिता कपूर से बातचीत की। उन्होंने बताया कि इन दिनों बच्चों में हो रही विटामिन ए की कमी को लेकर नेत्र रोग विशेषज्ञ ने बताया की बच्चों को सही पौष्टिक आहार नहीं मिल पाने के कारण ही इन दिनों बच्चों मे विटामिन ए की कमी हो रही है। विटामिन ए की कमी से बच्चों के आंखों की रोशनी भी जा सकती है.इस ओर पेरेंट्स को खास ध्यान देना चाहिए। क्योंकि विटामिन ए एक ऐसा जरूरी विटामिन है जो शरीर खुद नहीं बना सकता है इसलिए बच्चों के आहार में विटामिन युक्त चीजों को शामिल करना जरूरी है।

विशेषज्ञ ने बताया कि बच्चों में विटामिन ए की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा अभियान चलाकर नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को विटामिन-ए की खुराक दी जाती है। नौ माह से 12 माह तक बच्चों को नियमित टीकाकरण के दौरान एमआर के प्रथम टीके के साथ एक मिलीलीटर (एमएल) विटामिन-ए की खुराक पिलाई जाती है. 16 माह से 24 माह के बच्चों को एमआर के दूसरे टीके के साथ दो एमएल देनी होती है. हर छह माह पर बाल स्वास्थ्य पोषण माह के दौरान दो वर्ष से पांच वर्ष तक के बच्चों को दो एमएल पिलाई जाती है।

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