कोयला कामगारों के सीएमपीएफ की ब्याज दर यथावतः नुकसान तयः दीपेश
कोरबा 28 फरवरी। सीएमपीएफओ (कोल माइंस प्रोविडेंट फंड बोर्ड ऑफ ट्रस्टी) ने दिल्ली में 22 फरवरी को बोर्ड की 180 वीं बैठक में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सीएमपीएफ के सदस्यों के लिए 7.6 फीसदी ब्याज दर देना तय किया। यह पिछले वर्ष के समान ही है। जिसे वित्त मंत्रालय के पास स्वीकृति हेतु भेजा जाएगा। ये खबर कोयला उद्योग में कार्यरत 4 लाख सरकारी या गैरसरकारी कामगारों के लिए बहुत बड़ा झटका है। इस पर अब आपत्तियां जताई जा रही है।
जानकारी में बताया गया कि ईपीएफओ सेंट्रल बोर्ड के ट्रस्टी ने अपनी 235 वीं बैठक में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए अपने 6 करोड़ सदस्यों के लिए 8.25 फीसदी ब्याज दर की सिफारिश कर दी है। कोयला कामगारों के ब्याज दर 7.6 फीसदी के मुकाबले ये कहीं ज्यादा है और ये सरासर कोयला कामगारों के साथ नाइंसाफी है। प्रदेश एटक कार्यवाहक अध्यक्ष दीपेश मिश्रा ने बताया कि न सिर्फ सरकार बल्कि कोयला प्रबंधन भी कोयला कामगारों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर रही है। वर्तमान में कोयला उद्योग सरकारी या गैरसरकारी हो वो आज भी देश के जरूरी उर्जा का प्रमुख स्रोत है। कोयला कामगारों के हितों के रक्षा के लिए हर संभव कोशिश करने का प्रयास प्रबंधन या सरकार को करना चाहिए परंतु इन्हें अनदेखा किया ज रहा है यह कतई सही नहीं है। कोयला खान भविष्य निधि फंड को मजबूत करने के लिए बीते वर्षों मे सीएमपीएफ बोर्ड आफ ट्रस्टी ने हड़बड़ी मे डीएलएचएफ कंपनी मे शॉर्ट टर्म डिबेंचर के रूप मे 726.67 करोड़ रूपये इनवेस्टमेंट किया था। सिर्फ लाभ कमाने के लिए हालांकि श्रम संगठनों ने उस समय बोर्ड का ट्रस्टी को चेताया था कि कोयला कामगारों की गाढ़ी कमाई का पैसा शेयर बाजार मे निवेश नहीं करने के लिए क्योंकि शेयर बाजार में पैसा लगाना एक जोखिम का काम है।