गेवरा में 95 दुकानें निरस्तः मनमानी शर्तों पर नवीनीकरण कराने का दबाव, व्यवसायी कोर्ट जाने की तैयारी में
कोरबा 13 जनवरी। साउथ कोलफील्डस लिमिटेड ने अधिकारियों और कर्मचारियों सहित जन सामान्य की सुविधा के लिए गेवरा क्षेत्र के ऊर्जा नगर में जो दुकानें आबंटित की थी, उन्हें अब खुद ही निरस्त कर दिया है। ऐसी दुकानों की संख्या 95 बतायी गई है। प्रबंधन कह रहा है कि नए सिरे से दुकानों का नियमितिकरण कराएं और सीएसईबी के घोषित व्यवसायिक टैरिफ 8 रूपए के बजाए 11 रूपए प्रति युनिट की दर से बिजली बिल भी अदा करें। प्रबंधन के इस रवैय्ये से नाराज व्यवसायी इस मामले को लेकर कोर्ट जाने की तैयारी में है।
एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के द्वारा यहां ऊर्जा नगर शॉपिंग काम्प्लेक्स विकसित करने के साथ पिछले वर्षों में कारोबारियों को दुकानें न्यूनतम किराये पर उपलब्ध करायी गई। इसके साथ अनुबंध संपादित कराया गया। इसमें प्रबंधन ने खुद कहा था कि वह समय पर अपने स्तर पर दुकानों पर सुधार और रख रखाव करायेगा। संबंधित शिकायतें भी हल की जाएंगी। कारोबारियों ने बताया कि दुकान शुरू करने से लेकर अब तक प्रबंधन ने ऐसा कोई काम नहीं किया। कारोबारियों को खुद छोटे-मोटे काम कराने पड़े। वर्तमान में दुकानों में कई प्रकार की समस्याएं है, जिस पर प्रबंधन उदासीन है। इन सबके उल्टे प्रबंधन ने एक आदेश जारी कर बता दिया है कि इन दुकानों का आबंटन निरस्त किया जाता है। पत्र में कहा गया कि सभी हितग्राही 21 रूपए प्रति वर्ग फीट के हिसाब से अधिकतम 100 वर्ग फीट क्षमता दुकान का नियमितिकरण करायें। इसके बाद प्रबंधन इसे आगे जारी करेगा। इसके अलावा अब व्यवसायियों को जीएसटी मिलाकर 13 रूपए प्रति यूनिट की दर से बिजली बिल का भुगतान करने को भी जा रहा है। जबकि सीएसईबी की व्यवसायिक दर 8 रूपए है। कारोबारियों ने एसईसीएल के इस रवैय्ये का विरोध करते हुए प्रबंधन को आड़े हाथों लिया है और कहा है कि एक तरह से वह तानाशाही पर उतरने के साथ सुविधा देने वालों की जेब काटने पर उतारू है। इसलिए इस मामले को लेकर कारोबारी कोर्ट की शरण लेने की मानसिकता में है।
स्थानीय कारोबारी तर्क देते हैं कि सीएसईबी से मिलने वाली बिजली की दर को लेकर एसईसीएल अपने तरह से सफाई दे रहा है। दरअसल एसईसीएल व्यवसायिक उद्देश्य से बिजली ले रहा है। खदानों में चलने वाले कई उपकरणों के मामले में इसकी कीमत 13 रूपए के आसपास होती है, जो विशुद्ध व्यवसाय से जुड़ा हुआ है। जबकि आवासीय परिसर में लोगों को सुविधा देने के लिए उपलब्ध करायी जाने वाली बिजली इससे अलग है। ऐसे में दोतरफा मामलों के लिए एसईसीएल एक जैसी नीति कैसे बना सकता है। सबसे हैरानी की बात यह है कि ऊर्जा नगर कालोनी से लेकर शॉपिंग काम्प्लेक्स के आसपास अवैध निर्माण करने के साथ वहां व्यवसायिक गतिविधियां संचालित हो रही है। यह काम लंबे समय से चल रहा है। प्रबंधन को इस बारे में कई स्तर से जानकारी दी गई है। इसके बावजूद उसने अवैध निर्माण हटाने और व्यवसाय बंद कराने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है। इसके कारण किराये पर दुकान चलाने वाले व्यवसायियों को नुकसान हो रहा है।