ग्रामीण क्षेत्रों में पीएम आवास के 23 हजार हितग्राहियों को नहीं मिल रहा रेत

कोरबा 09 नवंबर। ग्रामीण क्षेत्रों में रेत घाट शुरू नहीं होने से जिले मे स्वीकृत 23 हजार पीएम आवास का काम ठप पड़ गया है। आवास के लिए किश्त जारी होने के बाद निर्माण जारी रखने के लिए लोगों को ब्लैक में रेत की खरीदी करनी पड़ रही है। मानसून के दौरान रेत उत्खनन व परिवहन पर ग्रीन ट्रिब्यूनल का प्रतिबंध हटने के 22 दिन बाद एक मात्र कटघोरा के कटोरी नगोई घाट की शुरूआत हुई है। जिला खनिज विभाग की ओर से 12 रेत घाटों का चिन्हांकन किया गया है। जिसमें दो रेतघाट कुदुरमाल और चुईया को पर्यावरणीय अनुमति मिल गई है। आचार संहिता के कारण घाट शुरू नहीं की है।

समय रहते घाटों के संचालन नहीं किए जाने से लोगों को महंगे दामों में रेत की खरीदी करनी पड़ रही। नदी और नालों से जमकर रेती की अवैध ढुलाई की जा रही है। एक ओर प्रशासनिक अमलों में प्रधानमंत्री आवास निर्माण में प्रगति लाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर रेत घाट स्वीकृत नहीं होने से आवास के हितग्राहियों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। आवास निर्माण के लिए किसी भी प्रकार की रियायत नहीं दिए जाने के कारण लोगों को रेत माफियाओं से औने.पौने दाम पर रेत खरीदी करनी पड़ रही है।

उल्लेखनीय है कि जिला खनिज विभाग की ओर अभी तक 12 रेतघाटों को शुरू करने की प्रक्रिया पूरी कर ली जानी थी। दरअसल रेत माफियाओं को प्रश्रय देने लिए घाटों को समय पर शुरू करने में देरी की जाती है। इन दिनो शहरी क्षेत्र में एक भी रेत घाट का संचालन नहीं हो रहा है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में केवल एक मात्र संचालित हो रहा है। पर्याप्त घाटों का शुरू नहीं होना आवास निर्माण की प्रगति में रोड़ा बना हुआ है। वर्ष 2023 में 16 हजार आवास स्वीकृत हुए हैंए जबकि सात हजार आवास ऐसे हैंए जिनका दूसरा और तीसरा किश्त जारी होने का इंतजार है। रेत की समस्या को देखते हुए ब्लैक में उपलब्ध कराने वाले बीचौलिए सक्रिय हो गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों तक खनिज अमले की पहुंच नहीं होने का औने. पौने दाम में रेत खपाने वालों का कारोबार फल.फूल रहा है।

आवास निर्माण के लिए ईंट, सीमेंट, छड़, गिट्टी और रेती उपलब्ध कराने के लिए बीचौलिए गांव में सक्रिय हो गए हैं। आवास निर्माण में रेती की कीमत जिस तरह से आंकी जा रही है उससे निर्माणाधीन भवन महंगा साबित हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भवन निर्माण के एवज में 1.45 लाख प्रदाय किया जा रहा है। किश्त जारी होते ही बीचौलिए सामाग्री उपलब्ध कराने के लिए लिए पहुंच जाते हैं। सरकारी भवन अथवा पुल आदि निर्माण के लिए भले ही प्रशासन ने रेत उत्खनन रियायत दी है किंतु आवास निर्माण के लिए अब तक कोई रियायत नहीं दी गई है।

आवास निर्माण के मामले में सबसे अधिक लंबित आवास पाली ब्लाक में हैं। पोड़ी उपरोड़ा और पाली जैसे अधिक आवास स्वीकृति वाले ब्लाक में एक भी घाट की स्वीकृति नहीं होना विडंबना बनी है। बारिश के बाद आवास निर्माण के संबंध में एक भी ब्लाक समीक्षा नहीं हुई। ऐसे भी ग्रामीण है जिन्होने नया आवास बनने की आस में अपने पुराने घर को तोड़ रखा है। किश्त जारी होने के बाद भी रेत की किल्लत के कारण निर्माण ठप है। ऐसे लोगों को पड़ोसी अथवा परिजनों के आवास में रहकर गुजारा करना पड़ रहा है।

रेत घाट शुरू नहीं होने पीएम आवास ही नहीं बल्कि सरकारी योजनाओं से जुड़े काम भी ठप हैं। निर्माणी विभाग से लेकर शिक्षा, चिकित्सा, आदिवासी, महिला एवं बाल विकास जैसे अन्य विभागों में वर्ष 2023.24 के लिए 78 करोड़ के कार्य स्वीकृत हुए हैं। आचार संहिता के पहले स्वीकृत हो चुके कार्यों में रेत की कमी के कारण प्रगति का अभाव बना हुआ है।

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