चंद्रमा पर कितना है तापमान ? चंद्रयान-3 ने भेजी जानकारी

चंद्रमा पर कितना है तापमान? चंद्रयान-3 ने भेजी जानकारी, ISRO ने शेयर की, आप भी जानिए

नईदिल्ली 27 अगस्त। चंद्रमा पर पहुंचा अपना चंद्रयान-3 अब वहां की जानकारी भेजने में लग गया है। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर लगे ChaSTE पेलोड ने चंद्रमा के तापमान को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को अहम जानकारी दी है। जिसके बाद इसरो ने चंद्रमा का तापमान संबंधी एक ग्राफ शेयर किया है। ग्राफ के मुताबिक, चंद्रमा के साउथ पोल की सतह का तापमान -50 डिग्री सेल्सियस है। चंद्रमा की सतह पर यह उसकी ऊपरी मिट्टी का तापमान है। लेकिन चंद्रमा की गहराई में जाने पर तापमान में तेजी से गिरावट आती है। इसरो ने बताया कि, 80 मिलीमीटर भीतर जाने पर तापमान -10 डिग्री तक गिर जाता है। यानी चंद्रमा की सतह हीट को रिटेन नहीं कर पाती है।

ग्राफ के साथ इसरो ने क्या लिखा?

चंद्रमा के तापमान का ग्राफ शेयर करने के साथ इसरो ने लिखा- यह विक्रम लैंडर पर लगे ChaSTE पेलोड का पहला डेटा है। चंद्रमा की सतह के थर्मल व्यवहार को समझने के लिए विक्रम लैंडर पर लगा ChaSTE (चंद्रमा का सतही थर्मोफिजिकल प्रयोग) ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान को मापता है। इसमें एक तापमान जांच है जो एक नियंत्रित प्रवेश तंत्र की मदद से 10 सेमी की गहराई तक पहुंच सकता है। जांच में 10 अलग-अलग तापमान सेंसर लगे हैं। इसरो ने आगे बताया कि जो गाफ शेयर किया गया है, वह अलग-अलग गहराइयों पर दर्ज किए गए चांद की सतह/निकट-सतह के तापमान में अंतर को दर्शाता है। इसरो ने कहा कि चंद्रमा के डेटा का विस्तृत अध्यन किया जा रहा है।

23 अगस्त की शाम 6:04 बजे हुई चंद्रयान-3 की लैंडिंग

बता दें कि, 23 अगस्त की शाम 6:04 बजे चंद्रयान-3 ने चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग की। साउथ पोल चांद का हाई रिस्क जोन माना जाता है। यही वजह है कि, अब तक जितने भी देशों ने चांद पर अपने यान भेजे हैं। उनमें से किसी ने भी चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग नहीं की है। भारत ऐसा पहला देश बन गया है जिसने चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग की है। जबकि चांद पर सिर्फ सॉफ्ट-लैंडिंग के मामले में अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद भारत चौथा देश बन गया है। भारत से पहले इन तीन देशों ने ही अपने यान चांद पर सफलतापूर्वक उतारे हैं।

14 जुलाई को लॉन्च हुआ था मिशन चंद्रयान-3

मालूम रहे कि, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 की LVM3-M4 रॉकेट के जरिए सफल लॉन्चिंग की थी। वहीं लॉन्च होने के बाद चंद्रयान-3 ने रॉकेट से इजेक्ट होके अंतरिक्ष में धरती की कक्षा में प्रवेश किया और यहां चक्कर लगाने लगा था। इसके बाद हाल ही में 5 अगस्त को चंद्रयान-3 धरती की कक्षा को पार कर गया और चांद की कक्षा में प्रवेश किया था। चंद्रयान-3 ने हाल ही में चांद की बेहद करीब से तस्वीर भी इसरो के पास भेजी थी।

भारत दो बार फेल हुआ, मगर हिम्मत नहीं हारी

बतादें कि, इससे पहले भारत ने चांद पर उतरने की दो बार कोशिश की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पहली बार 22 अक्टूबर 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च किया था। जिसके बाद 8 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने चांद की कक्षा में सफलता पूर्वक प्रवेश किया और पानी की खोज भी की। लेकिन 28 अगस्त 2009 को अचानक चंद्रयान-1 से इसरो का संपर्क टूट गया।

इसके बाद भारत ने फिर से तैयारी की और 22 जुलाई 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया। मगर चंद्रयान-2 भी चांद पर सफल लैंडिंग नहीं कर सका। दरअसल, 20 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया. मगर बाद में चंद्रयान-2 से संपर्क टूट गया. लेकिन भारत ने फिर भी हार नहीं मानी।

चंद्रयान-3 मिशन में आई इतनी लागत

अगर चंद्रयान-3 को बनाने में आई लागत की बात करें तो जानकारी के मुताबिक चंद्रयान-3 मिशन की पूरी लागत करीब 75 मिलियन डॉलर यानी भारतीय रुपये में 615 करोड़ रुपए है। कई देशों ने कम लागत पर चंद्रमा पर उतरने की कोशिश की लेकिन हमने ये पहले करके दिखाया है। चंद्रयान-3 मिशन के तीन अहम हिस्से थे। प्रोपल्शन, लैंडर और रोवर। इसका कुल खर्च 600 करोड़ रुपये ज्यादा आया था। इस मिशन में इसरो के अलग-अलग विभाग के सैकड़ों वैज्ञानिक जुटे थे।

चंद्रयान-3 के बाद इसरो का अगला मिशन क्या है?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के हमारे वैज्ञानिक मिशन चंद्रयान-3 की सफलता से गदगद हो रखे हैं। वहीं इस सफलता के बाद इसरो अपने अगले मिशन के लिए भी तैयार है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने जानकारी दी है कि, इसरो का अगला मिशन आदित्य एल-1 मिशन है जो श्रीहरिकोटा में तैयार हो रहा है। यह मिशन सूर्य पर जानकारी जुटाने की कोशिश करेगा।

Spread the word