डंप किया गया राख किसानों के लिए बनी मुसीबत, थरहा लगाने पहुंचे तो खेतों में मिली राख की परत

कोरबा 10 अगस्त। औद्योगिक नगरी कोरबा में संचालित विद्युत संयंत्रों से उत्सर्जित राख को कहीं भी फेंका जा रहा है और अब वर्षा होने से इसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। वर्षा के पानी के साथ राख बह कर किसानों के खेत में समाहित होने लगी है। इससे किसानों को खेती करना मुश्किल हो गया है। नगर निगम के वार्ड क्रमांक नौ भिलाईखुर्द में खाली स्थल पर डंप किया गया लाखों टन राख अब किसानों के लिए मुसीबत साबित हो रहा। थरहा लगाने पहुंचे तो खेतों में राख की परत जमी हुई मिली।

पिछले लंबे समय से जिले के विद्युत संयंत्र प्रबंधन डैम खाली करने के उद्देश्य से खाली जगहों में राख फेंक रही है। इससे कई स्थानों पर राख का ढेर लग चुका है। रात के अंधेरे में फेंकी गई राख अब अन्नदाता के लिए मुसीबत बन गई है। भिलाई खुर्द में वर्षा के पानी के साथ बहकर राख किसानों के खेतों में पहुंच गई है। किसान थरहा लेकर रोपा लगाने खेत पहुंचेए तब उन्होंने देखा कि पूरा खेत राखड़ से पट चुका था। वर्षा के पानी के साथ राख खेतों में भर गई है। इससे रोपा लगाने में किसानों को मुश्किल हो रहा। प्रभावित किसानों ने बताया कि खेत में चारों तरफ राखड़ भरा हुआ है। इससे नई फसल नहीं लगा पा रहे हैं। चारों तरफ कीचड और दलदल हो गया है, वर्षा के पानी में बह कर पहुंचे राख से खेत पट चुका है। इसलिए इस वर्ष इस क्षेत्र के आधा दर्जन किसान फसल नहीं लगा पाएंगे। दो किसानों का पूरा खेत राख से पट गया है। वहीं चार किसान के खेतों में यहां वहां राख के ढेर जम गए हैं। इससे उनके समक्ष आजीविका का प्रबंध करना मुश्किल हो जाएगा। किसानों ने मांग की है कि खराब फसलों का मुआवजा दिलाया जाए। इस संबंध में क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल अधिकारी शैलेष पिस्दा से संपर्क करने का प्रयास किया गया, पर उन्होंने मोबाइल रिसीव नहीं किया।

भिलाई खुर्द के किसान मदन कंवर ने बताया कि मैने खेत के किनारे से लगे हुए टिकरा की जमीन में बिना अनुमति के अवैध रूप से राखड़ डंप करने का विरोध जताया था, इसके बावजूद मेरे खेत में राख पड़ा रहा। अब खेती किसानी का वक्त आ गया है तो हमें कृषि कार्य करते नहीं बन रहा। इसके लिए प्रशासन भी जिम्मेदार है। राख डंप करने की अनुमति देने वाले अधिकारियों को यह भी देखना चाहिए, ताकि नियम विरुद्ध कहीं भी राख को डंप नहीं किया जा रहा। प्रशासन हमें मुआवजा प्रदान करें, नहीं तो हमें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा। प्रभावित किसान दिलीप कुमार पटेल का कहना है कि राख डंप किया जा रहा था, उस वक्त ही हमने वर्षाकाल में खेतों व जल स्त्रोतों से राख बह कर पहुंचने की आशंका जताई थी, उस वक्त राख के उपर मिट्टी पाट कर पूरी तरह व्यवस्थित किए जाने का आश्वासन दिया गया, पर केवल दिखावे के लिए नाममात्र मिट्टी डंप किया गया। दोषी लोगों के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करे और प्रभावितों को क्षतिपूर्ति राशि उपलब्ध कराए।

जिले में एक दर्जन से भी ज्यादा बिजली संयंत्र संचालित हैं और दो दर्जन से अधिक राखड़ डैम है। संयंत्रों से उत्सर्जित होने वाले राख की शत प्रतिशत खपत करने के निर्देश नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी ने दिए हैं। एक भी संयंत्र प्रबंधन इस लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रही। नतीजतन ज्यादातर डैम राख से भर चुके हैं। अब नौबत यह आ चुकी है कि डैम से राख परिवहन कराया जा रहा। लो. लाइन एरिया के नाम पर परिवहन कंपनियां जहां मर्जी, वहां राख फेंक रहे। गर्मी के दौरान राख उडऩे की समस्या कोरबा के लोगों ने दो-चार हुए, पर अब वर्षाकाल में दूषित पानी के बह कर पहुंचने का संकट खड़ा हो गया है।

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