विभिन्न खामियों के साथ चल रहीं स्कूल बसें, जांच के बाद 29 पर जुर्माना

एक लाख एक हजार एक सौ रुपए की जुर्माना राशि की वसूल

कोरबा 24 जुलाई। स्कूली बच्चों की जान को जोखिम में डाल कर स्कूल प्रबंधन द्वारा किस तरह से बसों को चलाया जा रहा इसका पर्दाफाश बसों की जांच के बाद हुआ है। रविवार को जिला परिवहन विभाग ने जिले में विभिन्न् स्कूलों के 69 बसों के फिटनेस की जांच की। जिसमें 29 बसें अनफिट पाई गई। स्कूल प्रबंधनों विभाग ने 1,01100 रूपये का अर्थदंड लगाया है।

शिक्षा के व्यवायीकरण के दौर में अभिभावकोंं से स्कूल फीस के नाम पर किस तरह से लूट मची है यह किसी से छिपी नहीं है। ऊपर से बच्चों को परिवहन सुविधा के नाम पर अनफिट बसों से घर से स्कूल तक लाने ले जाने का काम किया जा रहा है। रविवार को जिला परिवहन विभाग ने शहर के बड़े स्कूलों से संचालित 69 बसों का निरीक्षण किया। जिसमे बसों की जांच के दौरान खिड़की में जाली की कमी, खिड़की का शीशा टूटा हुआ पाया गया। इसके अलावा नामांकित चालकों के लाइसेंस में नवीनीकरण नहीं होना भी खामियों में शामिल है। बताना होगा कि तेज धूप का असर होने की वजह इस बार शिक्षा सत्र की शुरूआत 26 जून को हुई। इस बीच परिवहन विभाग की ओर से स्कूलों को नोटिस जारी कर वाहनों का परीक्षण कराने के लिए सूचना दी गई थी। इसके बाद भी स्कूल संचालक परीक्षण के लिए नहीं पहुंचे।

बहरहाल जांच के दौरान मिले खासी तादाद में मिली अनफिट बसों की संख्या ने स्कूल प्रबंधन के लापरवाही की पोल खोल दी है। बताना होगा जिले में 298 निजी स्कूलों को संचालन हो रहा है। जिनके पास 213 बस व वेन उपलब्ध हैं। समय पर जान नहीं होने से परिवहन विभाग की जिम्मेदारी की भी पोल खुल गई है। परिवहन बसों की जांच शहरी क्षेत्र के स्कूलों में तक ही सीमित हैं। उपनगरीय क्षेत्र तक विभाग की पहुंच नहीं होने की वजह से प्रतिबंधित आटो रिक्शा में भी बच्चों को लाने ले जाने का काम किया जा रहा है।

बीते वर्ष कोरबा से कटघोरा बच्चों को छोडऩे जा रही स्कूल वेन में आग लग गई थी। बस में कुल सात बच्चे सवार थे। चालक की समझदारी से बच्चों को समय रहते उतार लिया गया। सूझबूझ से काम नहीं लिए जाने पर बड़ी घटना हो सकती थी। उसके पहले साल चलती बस से पहिया निकल की घटना सामने आया था। दुर्घटना के बावजूद भी स्कूल प्रबंधन बच्चों की जान से खिलवाड़ करते हुए अनफिट बस चल रहें हैं। जिला परिवहन कार्यालय तंग जगह में संचालित हो रहा है। कार्यालय के सामने इतनी जगह नहीं कि एक साथ सामूहिक रूप से वाहनों का फिटनेस जांच किया जा सके। परिवहन विभाग के नियमानुसार वाहनों के फिटनेस की जांच कराने की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की हैं। प्रबंधन द्वारा शुल्क को तो वसूल लिया जाता है लेकिन समय फिटनेस जांच नहीं की जाती है। इसके अलावा सामुहिक रूप परिवहन विभाग की ओर स्कूल वार परीक्षण नहीं किए जाने अनफिट बसों से बच्चों का परिवहन हो रहा है।

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