कोरबा: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कबाड़ माफिया की चुनौती

बिजली के खम्भों को काटकर उठा लिया, पहाड़ी कोरबा मॉडल गांव की उम्मीद टूटी

कोरबा 2 जुलाई। बालकोनगर पुलिस ने बिजली के खम्भों को काटकर चोरी करने वाले गिरोह के कुछ लोगों को आज गिरफ्तार किया है। लेकिन यह कोई सामान्य समाचार नहीं है। बिजली के खम्भों को काटना एक असामान्य घटना है। क्योंकि बिजली विभाग के मुखिया प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं हैं। यानी कबाड़ माफिया का हौसला इतना बुलन्द है कि उसे मुख्यमंत्री के विभाग पर हाथ डालते हुए भी कोई डर नहीं लगा? कबाड़ माफिया ने यह दुस्साहस कहां से जुटाया? कि परोक्ष रूप से प्रदेश के मुख्यमंत्री को चुनौती दे डाली!

जिले में सक्रिय कबाड़ माफिया का हौसला इतना बुलंद हो गया है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विभाग को भी नहीं बख्श रहा है। बीते एक पखवाड़े के भीतर कोरबा ब्लाक के छातासराई गांव तक बिजली आपूर्ति के लिए लगाए गए लोहे के 31 खम्भों को काटकर चोरी कर लिया गया।

राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा जनजाति का एक पुनर्वास ग्राम है छातासराई। माखुरपानी पंचायत के इस गांव में बिजली आपूर्ति के लिए विद्युत मण्डल ने लोहे के खम्भे लगाकर बिजली की लाइन बिछाई थी। बीते गुरुवार 22 जून 2023 को ट्रक लेकर पहुंचे कबाड़ माफिया ने गैस कटर से 19 खम्भे काट लिए और उठा ले गया। माखुरपानी के सरपंच बहुरनसिंह के अनुसार घटना की जानकारी दूसरे दिन सुबह हुई।

आपको बता दें कि बालको नगर थाना क्षेत्र के पर्यटन स्थल सतरेंगा पहुंच मार्ग पर ग्राम पंचायत माखुरपानी का आश्रित गांव छातासराई एक पहाड़ पर बसा है। पांच साल पहले इस पहाड़ी कोरवा गांव को जिला प्रशासन ने मॉडल गांव के रूप में विकसित किया था। गांव में बिजली व्यवस्था के लिए 40 लाख की लागत से पहाड़ के नीचे से लेकर ऊपर तक बिजली के खंभे लगा कर केबल के माध्यम से गांव तक बिजली पहुंचाई गई थी। कुछ दिन तक बिजली चालू रहने के बाद से आपूर्ति बंद हो गई थी। कबाड़ चोरों ने लाइन के बंद रहने का फायदा उठाया। पहले तो कई जगह से केवल को काटकर ले गए। फिर गुरुवार की रात 19 खंभों को भी गैस कटर से काटकर ले गए।

इस घटना के बाद बिजली के 12 खम्भे शेष रह गए थे। कबाड़ माफिया ने सोमवार 26 जून की रात छातासराई में दोबारा धावा बोला और इन 12 खम्भों को भी काट ले गया। खास बात यह है कि इसी दिन विद्युत वितरण विभाग के अधिकारी कथित रूप से छातासराई गांव पहुंचे थे।

यहां उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल का प्रभार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के स्वयं के पास है। बिजली के खंभों को इस तरह से काटकर उठा ले जाना एक तरह से मुख्यमंत्री के लिए चुनौती ही कहा जाएगा। इससे पहले कोरबा से राजगामार तक एसईसीएल की रेल लाइन एक बड़े हिस्से को कबाड़ माफिया निकालकर ले जा रहा था तब ग्रामीणों ने कबाड़ चोरों को पकड़ कर राजगामार पुलिस चौकी को पिछले दिनों सौंपा था और पुलिस चौकी में प्रदर्शन किया था। दूसरी ओर एसईसीएल के सूराकछार से हसदेव ताप विद्युत गृह तक वर्षों पूर्व बिछाई गई रेल लाइन के एक बड़े हिस्से को भी कबाड़ माफिया काटकर उठा ले गया है। पिछले दिनों तुलसी नगर कोरबा में भी बिजली के कई खम्भे काट लिए गए थे, लेकिन इन्हें कबाड़ माफिया उठा पाता इससे पहले ही विभाग को जानकारी मिल गई और खम्भे के टुकड़ों को सुरक्षित कर लिया गया था। इसके अलावा एसईसीएल की सभी खदानों से पिछले कुछ दिनों में करोड़ों रुपयों के स्क्रैप और भारी वाहनों के कल पुर्जों की चोरी की खबर भी है हालांकि इनमें से कितने मामलों की रिपोर्ट पुलिस में दी गई है? यह सूचना उपलब्ध नहीं है।

ज्ञात हो कि कबाड़ चोर गिरोह ने ग्राम छातासरई रोड में बिजली खम्भे को गैस कटर से काट कर मनीष पटेल के 407 माजदा वाहन क्रमांक सीजी 12 9698 में बिजली के 11 नग खम्भे को 3-3 टुकडो में काटकर माजदा वाहन में लोड किया था। अधिक वजन होने से वाहन कीचड़ में फस गया था जो नही निकलने से दूसरा वाहन मंगाकर चोरी किये लोहे के खम्भे को ले गए थे। आरोपियो से एक टाटा कंपनी के 407 माजदा वाहन क्रमांक सीजी 04 जेबी 4904 में भरा हुआ 33 नग लोहे की खम्भा का टुकड़ा, 3 नग आक्सीजन सिलेण्डर, लोहे का कास आर्म स्टे तार एवं एन्सुलेटर लगभग 300000 रू एवं घटना स्थल से माजदा वाहन क्रमांक सी जी 12/ 9698 जप्त किया गया है।

लेकिन सवाल यह है कि इससे पहले कटे गए खम्भे कहां हैं? उन्हें कहां बेचा गया है? चोरी के स्क्रेप का खरीददार कौन है? कबाड़ चोरों का सरगना कौन है? क्या जिला पुलिस इस कबाड़ माफिया को कानून के कटघरे में खड़ा कर पायेगा? इस सभी सवालों के जवाब भविष्य के गर्भ में है।

आपको बता दें कि जिले में इससे पहले कभी भी किसी कबाड़ गिरोह ने इतना बड़ा दुस्साहस नहीं किया था, जितना इन दिनों हो रहा है। एस ई सी एल की खदानों से प्रतिदिन लाखों रुपयों के कोयला, डीजल और कबाड़ चोरी की घटनाएं आम हो गई हैं। एस ई सी एल प्रबन्धन और खदानों की सुरक्षा के लिए तैनात सी आई एस एफ और त्रिपुरा रायफल्स के जवान इन घटनाओं को रोकने में विफल क्यों हैं? यह केंद्रीय एजेंसियों का जांच का विषय हो सकता है।

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