सर्वे के बाद भी एसईसीएल ने नहीं दिया मुआवजा: ग्रामीणों में नाराजगी व्याप्त, विधायक कंवर को ज्ञापन सौंप मांगा समर्थन

कोरबा 29 जून। साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल की दीपका खदान में समाहित ग्राम मलगांव के निवासियों की संपति का नापी सर्वे कार्य पूर्ण कर लिया गया, पर अभी तक मुआवजा राशि नहीं दी गई। इससे ग्रामीणों ने नाराजगी व्याप्त है। उनका कहना है कि जल्द ही राशि का भुगतान करने के साथ अन्य समस्या का समाधान नहीं किया जाता है तो आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया जाएगा।

ग्राम मलगांव के ग्रामीणों की बैठक आयोजित की गई है। इस दौरान विधायक पुरुषोत्तम कंवर भी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। प्रभावित लोगों ने विधायक कंवर को अपनी समस्याओं का ज्ञापन सौंपते हुए समर्थन मांगा। विधायक कंवर ने कहा कि मलगांव पंचायत को पहले से ही एसईसीएल दीपका परियोजना अधिग्रहित कर चुका है नापी सर्वे का भी काम पूरा हो चुका है, लेकिन मुआवजा भुगतान में अनावश्यक विलंब किया जा रहा है, यह ठीक नहीं है। एसईसीएल प्रंबधन जल्द मुआवजा भुगतान कर, उनके पुनर्वास की व्यवस्था करें। इस मौके पर उपस्थित राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक के जिलाध्यक्ष श्यामू खुशाल जायसवाल ने बताया कि मलगांव के प्रभावित किसानों की 11 सूत्रीय मांगों को लेकर दीपका खदान को बंद करने का पंचायत द्वारा नोटिस दिया गया है। जायज मांगों को एसईसीएल दीपका प्रबंधन समाधान नहीं करती है तो इंटक द्वारा अनिश्चतकालीन काम बंद आंदोलन में शामिल होकर सफल बनाया जाएगा। ग्राम मलगांव के गौटिया देव सिंह ने कहा कि छह माह से ज्यादा समय बीत गया है, घर, मकान, कुआं. बाड़ी आदि परिसंपत्तियों का सर्वे किए हुए। मूल्यांकन होने के उपरांत भी एसईसीएल दीपका प्रबंधन व प्रशासन ने मुआवजा और अन्य व्यवस्थाओं के लिए अभी तक समाधान नहीं किया है। इसलिए मजबूरीवश दीपका खदान को बंद करने बाध्य होना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने कहा है कि एसईसीएल के अधिकारियों की प्रताडऩा दिन-ब-दिन बढ़ते जा रही। इससे परेशान होकर प्रभावित भू-विस्थापित आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे। खदान के आसपास रहने वाले ग्रामीण प्रदूषण की मार झेल रहे हैं। जमीन लेने के बाद प्रबंधन मुआवजा दे रही न तो नौकरी। ऐसे में भला हम जाएं, तो कहां जाएं।

इंटक के जिलाध्यक्ष श्यामू खुशाल जायसवाल का कहना है कि सर्वे. नापी किए हुए 11 माह बीत चुका है, पर अभी तक मकान एवं अन्य परिसंपत्तियों का मुआवजा नहीं दिया गया है। बिना कोई काट छांट किए तत्काल शत प्रतिशत राशि भुगतान की जानी चाहिए। इसके साथ ही दूसरे की भूमि या शासकीय भूमि में बने मकान का भी मुआवजा भुगतान किया जाए। उन्होंने कहा कि पूर्व में 30 दिन का समय देने का निर्णय लिया गया था। साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों के निगरानी में मुआवजा प्रकरण का निराकरण किया जाना था जिसका पालन दीपका क्षेत्र प्रबंधन ने नहीं किया। इन समस्याओं को सीएमडी डा प्रेमसागर मिश्रा के समक्ष भी रखा जा चुका है, पर उन्होंने भी इसके समाधान की पहल नहीं की।

प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि खदान से गांव की दूरी केवल 20 फीट ही रह गई है। इसके बाद भी कोयला उत्पादन किया जा रहा है, घरों में खदान से पत्थर छिटक कर गिर रहा है। इसे मकान की खपरैल व सीट वाले छत क्षतिग्रस्त हो रहे। दीवार में भी दरार पड़ रही है। जलस्तर नीचे जाने की वजह से पीने का पानी की समस्या से सभी ग्रामवासी त्रस्त है। कोल डस्ट की वजह से स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ रहा।

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