जिले में हाथियों का आतंक जारी, परला में फिर तोड़े मकान

कोरबा 09 मई। जिले के कोरबा एवं कटघोरा वनमंडल में हाथियों का आतंक लगातार जारी हैए जहां कोरबा वनमंडल के कुदमुरा व पसरखेत रेंज में 41 हाथी सक्रिय हैए वहीं कटघोरा के पसान व केंदई रेंज में लगभग इतने ही हाथी चार अलग.अलग जगहों कोरबीए लालपुरए परला वए सेमरहा में झुंडों में घूम रहे हैं। केंदई रेंज के परला क्षेत्र में घूम रहे हाथियों के दल में से एक दंतैल हाथी बीती रात दल से बिछुड़ कर परला गांव की बस्ती में प्रवेश कर गया और बूवमणी खैरवार नामक एक ग्रामीण के घर को निशाना बनाते हुए उसे क्षतिग्रस्त कर दिया। इतना ही नहीं दंतैल ने घर में रखे 70 किलो चांवल को भी उदरस्थ कर दिया।

जानकारी के मुताबिक जिस समय दंतैल ने यहां धावा बोला ग्रामीण अपने घर में सो रहे थे। दंतैल की चिंघाड़ व उसके पैरों की आहट सुनकर ग्रामीण का परिवार जागा और दूसरे कमरे में छिपकर अपनी जान बचायी। दंतैल काफी देर तक यहां मौजूद रहा। दंतैल के लमना बस्ती में प्रवेश करने व उत्पात मचाये जाने की सूचना दिये जाने पर वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी तत्काल मौके पर पहुंचे और मशाल व टार्च के सहारे दंतैल को खदेडऩे की कार्रवाई की। वन अमला द्वारा खदेड़े जाने पर दंतैल ने जंगल का रूख किया। आज सुबह नुकसानी का आकंलन करने के साथ इसकी रिपोर्ट तैयार कर वन अमले ने मुआवजा स्वीकृति के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दिया है। क्षेत्र में विचरण कर रहे हाथियों के एक अन्य दल ने एक मवेशी को भी मार दिया है। कोरबा वन मंडल के कुदमुरा रेंज में घूम रहे 23 हाथी बीती रात गीत कुंआरी से आगे बढ़कर जिल्गा पहुंच गए और यहां अपना डेरा जमा दिया है। हाथियों के दल द्वारा तत्काल कोई बड़ा नुकसान यहां नहीं पहुंचाया गया है लेकिन उत्पात की संभावना को देखते हुए जिलगा का वन अमला सतर्क हो गया है, चुंकी क्षेत्र में तेंदुपत्ता तोड़ाई का काम शुरू हो गया है और ग्रामीण बड़ी संख्या में पत्ता संग्रहण के लिए जंगल जा रहे हैं। हाथियों के यहां पहुंचने से उन्हें खतरा हो सकता है। इसलिए वनअमला ने गांवों में मुनादी कराने के साथ ही ग्रामीणों को हाथियों के क्षेत्र में आने की जानकारी देते हुए सावधान कर दिया है। पसरखेत रेंज के पतरापाली जंगल में 18 हाथी लगातार 6 वें दिन भी डेरा डाले हुए हैं। हाथियों का यह दल बड़ा शांत है। उसे जंगल का वातावरण प्यारा है, सो जंगल में ही लगातार अपनी उपस्थिति बनाए हुए हैं। बालको वन परिक्षेत्र के दूधीटांगर में लगातार दो महीने तक जमें रहने के बावजूद इस दल ने कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचाया था। जो हाथियों के दल के शांत होने का परिचायक है।

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