सम्मोहन और दृष्टिभ्रम जादू के मुख्य तत्व: ज्ञानेंद्र

कोरबा 21 मार्च। देश के जाने.माने जादूगर ज्ञानेंद्र भार्गव ने आज कोरबा में पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि सम्मोहन और दृष्टि भ्रम जादू के मुख्य तत्व है। यह बात अलग है कि देश की इस प्राचीन कला को सहेजने के लिए सरकार उतनी गंभीर नहीं है जितना कि होना चाहिए।

जैन मंदिर सभागार में जादू के शो प्रारंभ करने से पहले जादूगर ज्ञानेंद्र शर्मा ने पत्रकारों से चर्चा की और कई विषयों की स्पष्ट किया। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने वाले ज्ञानेंद्र भार्गव अपनी टीम के साथ कोरबा पहुंचे हैं। बातचीत के दौरान उन्होंने संक्षिप्त उदाहरण प्रस्तुत किया और दिखाया कि जादू की कला क्या होती है और लोग इसे किस तरीके से देखते हैं। ज्ञानेंद्र ने बताया कि उनका परिवार संगीत और प्रवचन के क्षेत्र से जुड़ा हुआ है लेकिन उन्होंने स्नातकोत्तर की शिक्षा के बाद एक नए क्षेत्र में प्रवेश किया और लोगों को अपने साथ जोडऩे की कोशिश की। ज्ञानेंद्र ने बताया कि हमारी आंखों से जो कुछ दिखता है वैसा होता नहीं और इसे ही जादू की कला में इल्यूजन का नाम दिया गया है। हिप्नोटिज्म और मैथ मराइस करना भी इसका एक हिस्सा है और इसके माध्यम से बहुत सारी विधाओं को आगे बढ़ाने का काम किया जाता है। जादूगर ज्ञानेंद्र भार्गव ने इस बात को भी कहा कि जादू हमारे देश की प्राचीन कला है लेकिन चिंता की बात यह है कि इसके संरक्षण को लेकर सरकार का रुख बेहद संवेदनशील नहीं है। कोरबा के जैन मंदिर सभागार में मंगलवार शनिवार और रविवार को उनके 300 होंगे जबकि अन्य 4 दिन शो का प्रदर्शन किया जाएगा।

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