नई दिल्ली 15 फरवरी। दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) के टाटा संस (Tata Sons) के स्वामित्व वाली एयर इंडिया (Air India) ने फ्रांस की हवाई जहाज बनाने वाली कंपनी एयरबस (Airbus) से 250 विमान खरीदने पर सहमति व्यक्त की है. यह डील 470 विमानों के बड़े सौदे का हिस्सा है.

एक वर्चुअल प्रोग्राम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन (French President Emmanuel Macron), केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, रतन टाटा, नटराजन चंद्रशेखरन और एयरबस के सीईओ गिलाउमे फाउरी (Guillaume Faury) ने इस डील पर चर्चा की.

इस मौके पर,पीएम मोदी ने कहा, “यह महत्वपूर्ण डील भारत और फ्रांस के गहराते संबंधों के साथ-साथ, भारत के सिविल एविएशन सेक्टर  (civil aviation sector) की सफलताओं और आकांक्षाओं को भी दर्शाती है. आज हमारा सिविल एविएशन सेक्टर भारत के विकास का अभिन्न हिस्सा है. सिविल एविएशन को मजबूत करना हमारी नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर स्ट्रैटेजी का एक महत्वपूर्ण पहलू है. पिछले आठ वर्षों में भारत में हवाईअड्डों की संख्या 74 से बढ़कर 147 हो गई है, यानि लगभग दोगुनी बढ़त! हमारी रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम (उड़ान) के माध्यम से देश के सुदूर हिस्से भी एयर कनेक्टिविटी से जुड़ रहे हैं, जिससे लोगों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है.” उन्होंने आगे कहा, “निकट भविष्य में भारत एविएशन सेक्टर में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मार्केट बनने जा रहा है. कई आकलनों के अनुसार भारत को अगले 15 वर्षों में 2000 से अधिक विमानों की आवश्यकता होगी. आज की ऐतिहासिक घोषणा इस बढ़ती मांग को पूरा करने में सहायक होगी. भारत के ‘मेक इन इंडिया – मेक फॉर द वर्ल्ड’ (Make in India – Make for the World) विज़न के तहत एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग में अनेक नए अवसर खुल रहे हैं. ग्रीन फील्ड और ब्राउन फील्ड एयरपोर्ट्स के लिए ऑटोमैटिक रूट से 100% FDI का प्रावधान रखा गया है. उसी तरह ग्राउंड हैंडलिंग सर्विसेज, मैंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहोल यानि MRO में भी 100% FDI की अनुमति दी गयी है. भारत पूरे क्षेत्र के लिए MRO का हब बन सकता है. आज सभी ग्लोबल एविएशन कंपनियां भारत में मौजूद हैं. मैं उन्हें इन अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए आमंत्रित करता हूँ.”
पीएम मोदी ने कहा, “एयर इंडिया और एयरबस का समझौता भारत-फ्रांस स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. कुछ ही महीनों पहले, अक्टूबर 2022 में, मैंने वडोदरा मे डिफेन्स ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट के शिलान्यास में हिस्सा लिया था. 2.5 बिलियन यूरो के निवेश से बन रहे इस प्रोजेक्ट में भी टाटा और एयरबस की साझेदारी है. मुझे यह जानकर भी ख़ुशी है कि फ्रेंच कंपनी साफ़रान विमानों के इंजन की सर्विस के लिए भारत में सबसे बड़ी MRO यूनिट स्थापित कर रही है.”
वहीं, एयरबस के सीईओ गिलाउमे फाउरी ने कहा, “एयरबस के लिए एयर इंडिया के पुनरुद्धार में मदद करना वाकई एक ऐतिहासिक पल है.” टाटा संस के चीफ चंद्रशेखरन ने कहा, “हम अपनी ओर से बड़े बदलाव से गुजर रहे हैं क्योंकि हम एक विश्व स्तरीय एयरलाइन बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक आधुनिक बेड़ा है जो कुशल है और सभी मार्गों पर उड़ान भर सकता है. इस डील के हिस्से के रूप में, कंपनी 40 वाइडबॉडी A350 विमान और 210 छोटे आकार के विमान खरीदेगी, जिसमें फ्लीट ऑर्डर बढ़ाने के विकल्प होंगे.”
*एयर इंडिया-एयरबस की ऐतिहासिक डील की खास बातें*

17 साल बाद यह पहला  मौका है जब एयर इंडिया ने इतने बड़े पैमाने पर विमान के लिए ऑर्डर दिए हैं. टाटा ग्रुप के अधिग्रहण के बाद ऐसा पहली बार किया जा रहा है. एयरबस के साथ मौजूदा विमानन डील से पहले एयर इंडिया ने आखिरी बार 111 विमान के लिए 2005 में ऑर्डर दिया था. उस दौरान इस एयरलाइन ने बोइंग (Boeing) से 68 और एयरबस (Airbus) से 43 विमान खरीदे थे. 111 विमानों के लिए कुल 10.8 अरब डॉलर की डील हुई थी.

एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया ने कहा कि विहान एआई (Vihaan.AI) के तहत अगले 5 साल का रोडमैप तैयार किया गया है. टूलूज़, फ़्रांस स्थित विमान निर्माता कंपनी ने यह डील कितने में तय हुई, इसका खुलासा नहीं किया है.

टाटा संस के चीफ चंद्रशेखरन ने कहा कि A350s का उपयोग “दुनिया भर में सभी अत्यधिक लंबी दूरी की उड़ान भरने” के लिए किया जाएगा. बता दें कि सिंगल-आइज़ल A320 आमतौर पर शॉर्ट-हॉल रूट्स पर उपयोग किए जाते हैं.

एयर इंडिया का ऑर्डर एक दशक से अधिक समय पहले 460 एयरबस और बोइंग विमानों के लिए अमेरिकन एयरलाइंस के संयुक्त सौदे से ऊपर होने की उम्मीद है – यह एक एयरलाइन द्वारा किया गया सबसे बड़ा सौदा है. एयर इंडिया भारत की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय वाहक बनी हुई है, लेकिन सितंबर में इसकी घरेलू बाजार हिस्सेदारी केवल 8.6 प्रतिशत थी. अधिक अंतरराष्ट्रीय मार्गों को कवर करने के लिए अपने बेड़े का विस्तार करते हुए एयर इंडिया 2027 के अंत तक 30 प्रतिशत घरेलू हिस्सेदारी लेने का लक्ष्य बना रही है. “कई अनुमानों के अनुसार, भारत को अगले 15 वर्षों में 2,000 से अधिक विमानों की आवश्यकता होगी. इस ऐतिहासिक घोषणा से इस बढ़ती हुई मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी.

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