कोरबा वन मण्डल में ट्री गार्ड लगाने के नाम पर लाखों का घोटाला ? मजदूरी पाने दर-दर भटक रहे बंसोड़ परिवार

कोरबा 29 जुलाई। सड़क किनारे लगने वाले पौधे को बचाने नई तरकीब बांस से ट्री गार्ड बनाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य बंसोड़ परिवार को रोजगार देना था,लेकिन बंसोड़ परिवार के लोगो को रोजगार तो नही मिला लेकिन वनकर्मियों को रोजगार जरूर मिल गया है बांस खरीदी से लेकर मजदूरी और ट्री गार्ड बेचने के नाम पर जमकर धांधली की जा रही है।
कोरबा वन मंडल कोरबा में ट्री गार्ड लगाने के नाम पर जमकर धांधली किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। विभाग द्वारा प्रति नग ₹450 दर निर्धारण किया गया है लेकिन लीपापोती कर घटिया निर्माण कराया गया है वही मजदूरी करने वाले बसोड़ मेहनत की रकम पाने दर-दर भटकने मजबूर हैं। वन विभाग द्वारा वर्षा काल में व्यापक पैमाने पर जंगलों में सड़क के किनारे पौधारोपण कराया जाता है इसकी सुरक्षा के मद्दे नजर बांस का घेरा बनाए जाने का प्रावधान है जिसे विभागीय तौर पर ट्री गार्ड कहा जाता है।इसी के अनुरूप कोरबा वन मंडल के कोरबा वह कुदमुरा वन परिक्षेत्र में हजारों की संख्या में ट्री गार्ड लगाया गया है।अभी भी कुछ जगहों पर इसे लगाने का कार्य जारी है। बताया जा रहा कि शासन द्वारा प्रति ट्री गार्ड ₹450 खर्च करने का प्रावधान रखा गया है लेकिन इस राशि में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी किए जाने का मामला प्रकाश में आया हैं। प्रत्येक ट्री गार्ड को दो बास से बनाने का नियम है लेकिन इसकी भी अनदेखी की है।इस कार्य को 1 समिति को सौंपा जाना चाहिए था लेकिन विभागीय अधिकारी अंदर खाने में ठेकेदार से इस कार्य को करवा रहे हैं। ट्री गार्ड बनाने के लिए कुदमुरा वन परिक्षेत्र मैं ज्यादा गड़बड़ी की गई है। यहां पर घटिया सामानों को उपयोग में लाया गया है और जितनी संख्या में ट्री गार्ड लगाना था उसके अनुपात में कम संख्या में बना कर खाना पूर्ति की गई है। कुछ जगहों पर इस कार्य का अवलोकन करने पर प्रत्यक्ष प्रमाण मिला जिस से यह पता चल रहा है कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा जारी है। फिलहाल जंगल में मोर नाचा किसने देखा कि तर्ज पर यह कार्य हो रहा है। डीएफओ द्वारा सतत निगरानी लेकर जाने की वजह से यह स्थिति निर्मित हुई है
विभाग द्वारा शासन की गाइड लाइन के अनुरूप स्वरोजगार योजना के साथ मजदूरी का कार्य बसोड़ प्रजाति के लोगों से कराया गया है।सीतामढ़ी क्षेत्र में काफी संख्या में इस प्रजाति के लोग निवास करते हैं। लगभग 1 माह पूर्व इन सभी को मजदूरी पर लगाया गया था लेकिन यह सभी अपनी मेहनत की कमाई को पाने भटक रहे हैं। सोमवार को दोपहर मजदूरों ने डीएफओ कार्यालय पहुंचकर अपनी व्यथा सुनाई। इनका कहना है कि रेंजर द्वारा लगातार रकम दिलाने के नाम पर आश्वासन दिया जा रहा है। बाद में सभी मजदूरों ने डीएफओ से मुलाकात कर इस समस्या से उन्हें अवगत कराया तब अधिकारी ने जल्दी मामले का समाधान कराने का एक बार फिर आश्वासन दिया गया है।
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