सात बिरहोर जनजाति कर्नाटक में बनाए गए बंधक, पुलिस की टीम छुड़ाने कर्नाटक होगी रवाना

कोरबा 19 जनवरी। अधिक वेतन दिलाने का लालच देकर कोरवा व बिरहोर जनजाति के सात ग्रामीणों को कर्नाटक में बंधक बना कर काम लिए जाने के मामले में श्रम विभाग ने कर्नाटक के श्रम विभाग को पत्र प्रेषित की है। वहीं पुलिस भी बंधक बनाए गए ग्रामीणों का सही लोकेशन तलाश रही। स्थल का पता चलते ही पुलिस की टीम उन्हें छुड़ाने कर्नाटक रवाना होगी।

ग्राम पंचायत अजगरबहार, लेमरू व देवपहरी के रहने वाले जोतराम बिरहोर 17 वर्ष, भवन राम बिरहोर 16 वर्ष, राम सिंह कोरवा 36 वर्ष, दिलीप कुमार 22 वर्ष, टिकाउराम 26 वर्ष, पुसउराम कोरवा 18 वर्ष व पुन्नााीराम बिरहोर 16 वर्ष को करीब एक माह पूर्व 15 दिसंबर 2021 को बांधापाली के रामपुर में रहने वाला सुभाष केंवट अपने साथ अधिक वेतन दिलाने का वादा कर कर्नाटक ले गया। बताया जा रहा है कि यहां उसने बैंगलोर के बैटिक ग्राम में संचालित एक बोरबेल कंपनी में काम लगवा दिया, लेकिन उन्हें वहां काम करना पसंद नहीं आया। तब उसने दूसरे दिन एक अन्य बोरवेल कंपनी से बात कर नए ठेकेदार के हवाले उन्हें करवा दिया और खुद वापस लौट आया। कुछ दिनों तक काम करने कर्नाटक गए ग्रामीणों से मोबाइल पर संपर्क रहा, पर अचानक सभी के मोबाइल बंद हो गए और संपर्क टूट गया। इससे परेशान होकर स्वजनों ने उस एजेंट को पकड़ा, जिसके हवाले सातों ग्रामीणों को किया था। उसका आश्चर्यजनक जवाब सुनकर सभी भौचक रह गए। उसने साफ तौर पर यह कह दिया कि वह केवल उस बोरवेल संचालक को जानता है, जहां उन्हें पहली बार लेकर गया था। दूसरा बोरवेल के संचालक कौन है और कहां पर यहां से भेजे गए मजदूर काम कर रहे हैं, इसकी जानकारी उसे नहीं है। इससे स्वजनों की चिंता बढ़ गई और इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंच कर शुकवारो बाई व इतवारीन बाई ने की। दोनों का कहना है कि उनके स्वजनों को पुलिस ढूंढ कर लाए। प्रशासन ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए मजदूरों के सकुशल वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कोरबा के श्रम विभाग ने बैंगलुरू के श्रम विभाग को पत्र लिख कर विवरण प्रस्तुत कर ग्रामीणों की उपस्थिति की जानकारी मांगी है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा ने बताया कि बंधक बनाए गए मजदूरों को छुड़ाने की दिशा में आवश्यक कदम उठाए गए हैं।

यहां बताना होगा कि रोजगार की तलाश में ग्रामीण क्षेत्र के युवक गांव छोड़ कर अन्य राज्य में पलायन कर जाते हैं। स्वजनों को भी यह भलीभांति पता होता है कि अन्य राज्य में ठेकेदार बंधुआ मजदूर की तरह कार्य लेते हैं। इसके बावजूद हालात के हाथों मजबूर ग्रामीणों को अन्य राज्य में मजदूरी करने भेजना पड़ता है। इसके पहले भी कई बार पलायन करने वाले ग्रामीण हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में बंधक बनाए जा चुके हैं। कमीशन की लालच में आकर ग्रामीणों को मजदूरी के लिए अन्य राज्य ले जाने वाले एजेंट भी काफी तादाद में सक्रिय हैं। ग्रामीणों की नाराजगी के बाद मजदूरी के लिए अन्य राज्य बिरहोर जनजाति के ग्रामीणों को कर्नाटक ले जाने वाला एजेंट सुभाष केंवट कर्नाटक के लिए रवाना हो गया है। उसका कहना है कि मजदूरों को वह वहां पहुंच कर ढूंढेगा और वस्तुस्थिति से अवगत होगा। बताया जा रहा है कि भले ही शिकायत सात ग्रामीणों के बंधक बनाए जाने की गई है, पर कोरबा से आठ ग्रामीण कर्नाटक गए थे।

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