महतारी एक्सप्रेस नहीं पहुंच सकी, चारपाई में बैठ परिजनों के कंधे पर अस्पताल पहुंची गर्भवती

कोरबा 28 जुलाई। शासन-प्रशासन लाख दावे कर ले, पर धरातल पर आते ही जिले की स्वास्थ्य सेवाएं चारपाई पर पड़ी कराहती ही नजर आती है। कुछ ऐसा ही हाल उस वक्त देखने को मिला, जब प्रसव पीड़ा से तड़पती एक गर्भवती को लेकर महतारी नहीं पहुंच सकी। विवश होकर परिजनों ने उसे चारपाई पर बैठा दिया और खुद कंधे पर उठाकर गांव से चार किलोमीटर दूर अस्पताल लेकर पहुंचे। बारिश के मौसम में हाथी-भालुओं से भरे जंगली रास्ते में अस्पताल तक का यह दुखदाई सफर कैसा रहा होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

शहर के लोग भले ही चांद-तारों और मंगल ग्रह की यात्रा के सपने देखने में मग्न हों, पर वनांचल के ग्रामीण आज भी सदियों पुरानी परिस्थितियों और कठिनाइयों से जूझने विवश हैं। ऐसी ही दशा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू के अंतर्गत ग्राम कांटाद्वारी में रहने वाले प्रताप कंवर के परिवार के समक्ष निर्मित हो गई। उसकी पत्नी उर्मिला गर्भवती थी और प्रसवकाल करीब आने पर वह दर्द से छटपटाने लगी। उसे जल्द से जल्द अस्पताल ले जाने की जरूरत थी। शासन की सुविधा का लाभ मिल जाने की उम्मीद लेकर उसने काफी देर तक महतारी एक्सप्रेस से संपर्क करने का प्रयास किया। पर संपर्क नहीं हो पाने से थक-हारकर परिजनों ने गांव की पुरानी जुगत लगाई। उर्मिला को एक चारपाई में बैठा दिया गया और फिर खाट को रस्सी से बांस पर बांध दिया। इसके बाद परिजन समेत चार ग्रामीणों ने उसे कंधे पर उठा लिया और अस्पताल की ओर चल पड़े। इस तरह चार किलोमीटर दूर अस्पताल तक पैदल ही चलते हुए वे लेमरू तक आए।

उर्मिला के परिजनों ने अस्पताल जाने की व्यवस्था के लिए पहले 102 महतारी वाहन के लिए कई बार काल किया। पर वनांचल क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क की समस्या अक्सर परेशान करती है। किसी तरह संपर्क हो जाए, बस यही आस लेकर गांव में यहां-वहां भटकते हुए नेटवर्क की तलाश करते रहे। पर नेटवर्क न मिलने और बात न होने से वाहन की व्यवस्था नहीं हो सकी। मजबूर होकर वे उर्मिला को चारपाई से ही लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू ले आए। आरएमओ डा एलआर गौतम व उनकी पत्नी डा आशालता गौतम पीएचसी संभालते है। उनका कहना है कि समय रहते अस्पताल पहुंचने पर प्रसव में कोई परेशानी नहीं हुई। जज्चा-बच्चा दोनों पूर्ण रूप से स्वस्थ्य बताए जा रहे हैं।

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