नेताजी बिछाने लगे चुनावी बिसात , अब वक्त बताएगा शह मिलेगी या मात
Editor
न्यूज एक्शन। निकाय चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहा है । चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताजी चुनावी बिसात बिछाने में जुट गए । खासकर महापौर की कुर्सी पर कब्जा जमाने की जुगत में जुड़े नेताओं ने तो अपनी सक्रियता भी बढ़ा दी है ।ऐसे एक नेता खास चर्चा में है ,जो अंदरूनी तौर पर महापौर के टिकट जूगाड़ से लेकर जनसंपर्क तक में जुट गए है । नेताजी की सोच है कि भले ही विधानसभा चुनाव में जनता के सामने उनकी दाल नहीं गली हो पर महापौर के चुनाव में उनका पुराना तजुर्बा नैय्या पार लगा देगा । लोकसभा चुनाव में उनके बगावती तेवर देख तो पार्टी के बड़े बड़े नेताओं के पसीने छूट गए थे । ऐसे में अगर नेता जी को टिकट मिल भी जाए तो क्या उनके खिलाफ भीतरघात का खतरा नहीं होगा यह बड़ा सवाल है । जितनी मुंह उतनी बात की तर्ज पर तो यह कहने वाले भी कम नहीं है कि नेताजी जो बो चुके हैं वही काटेंगे । इन सबके बीच भला पार्टी का होगा ऐसा सोचना भी बेमानी लग रहा है । खैर राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त और दुश्मन नहीं होता ।इसी सोच के साथ साकेत की सत्ता में डंका बजाने कमर कस चुके नेताजी के पास विरोधी दिग्गजों को हराने का अनुभव भी है , मगर भीतरघात से पार पाने में वे भी नाकाम रह चूके हैं । चर्चा है कि अब जब उनकी सक्रियता से विरोधी भी रिचार्ज हो गए हैं। जो उनके टिकट काटने से लेकर हारने की स्क्रिप्ट तक लिखने में लग गए हैं ।ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि क्या पार्टी नेताजी को टिकट देकर हाई रिस्क लेना चाहेगी या फिर इम्पासिबल में ही आई एम पासिबल छिपा है कि तर्ज पर पार्टी उन्हें साकेत में सत्ता जमाने का मौका देगी ?