कोरबा की जनता को उम्मीद, स्व. इंदिरा का सपना पूरा करेगी कांग्रेस
न्यूज एक्शन। पिछले चार दशक से भी अधिक समय से बंद पड़े खाद कारखाना को शुरू किए जाने के प्रयास तो हुए मगर केन्द्र व राज्य में भाजपा की सरकार होने के बाद भी स्थानीय सांसद डॉ.बंशीलाल महतो को कारखाना शुरू करा पाने में कामयाबी नहीं मिली। अब प्रदेश में सत्ता पलट के साथ कांग्रेस की सरकार बन चुकी है। ऐसे में कोरबा की जनता को आस जागी है कि कांग्रेस स्व. इंदिरा गांधी के सपने को पूरा कर खाद कारखाना को शुरू करने की दिशा में ठोस पहल करेगी।
ऊर्जाधानी कोरबा में बिजली , पानी और कोयला की प्रचुरता है। सड़कों का जाल भी कोरबा में बिछा हुआ है। जो किसी भी उद्योग के लिए संजीवनी साबित हो सकती है। इन्हीं सुविधाओं और उद्योगों की सफलता की संभावनाओं को देखते हुए तात्कालीन प्रधानमंत्री स्व.इंदिरा गांधी द्वारा 14 अप्रैल 1973 को दर्री फर्टिलाइजर में खाद कारखाना की आधारशिला रखी गई थी। कोयला आधारित खाद कारखाना होने की वजह से 4 दशक से भी अधिक समय बाद भी अस्तित्व में नहीं आ सका है। सांसद डॉ. बंशीलाल महतो ने खाद कारखाना को शुरू कराने पहल तो की पुन: संयंत्र स्थापित करने शुरूआत में प्रयास तेज रहे। विशेषज्ञों की टीम में अमेरिका के केईपीएल कंपनी के तकनीकी विशेषज्ञ तक कोरबा पहुंचे थे। मगर नतीजा सिफर ही रहा है। अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन जाने के बाद कोरबा के लेागों को एक बार फिर खाद कारखाना नए सिरे से शुरू होने की आस जाग उठी है। इसका कारण भी है क्योंकि कांग्रेस स्व. इंदिरा गांधी के सपनों को पूरा करने का इरादा रखती है। कोरबा जिले में उनका यह वादा और इरादा अब भी अधूरा है। ऐसे में लग तो यह रहा है कि कांग्रेस उनके अधूरे सपने को पूरा कर कोरबा वासियों को खाद कारखाना की सौगात देगी।
कबाड़ हो गई मशीनें
खाद कारखाना के लिए उपकरण भी यहां पहुंच गए थे। सभी लकड़ी के बक्शों में लाए गए । बक्शों को खोला भी नहीं गया और उसी में रखे रखे कबाड़ हो गए। इसका कारण यह बताया गया कि कोयला आधारित खाद कारखाना घाटे का सौदा है और उसे चालू नहीं किया जा सकता। इसी तरह यहां पदस्थ कर्मचारी भी बिना काम किए ही रिटायर हो गए। कर्मचारियों के लिए बनाए गए आवास भी बेजा कब्जा की भेंट चढ़ गए है।
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