नेपाल में जोर पकड़ने लगी है- राजशाही की वापसी की मांग

काठमांडू। नेपाल इन दिनों कई तरह की सियासी हलचलों से गुजर रहा है। पिछले कुछ दिनों में ऐसी कई रैलियां हुई हैं, जिनमें राजशाही व्यवस्था की मांग की जा रही है। काठमांडू में ही बुधवार को भी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने बाइक रैली का आयोजन किया था, जिसमें बड़ी संख्या में लोग नेपाल के राष्ट्रध्वज के साथ जुटे थे।

आरपीपी को पूर्व राजा ज्ञानेंद का समर्थन हासिल है। इस रैली में लोग नेपाली में नारा लगा रहे थे-‘नारायणहिटी खाली गर, हाम्रो राजा आउँदै छन्’ यानी नारायणहिटी खाली करो, हमारे राजा आ रहे हैं। इस रैली में आरपीपी के अध्यक्ष राजेंद्र लिंगदेन ने कहा कि संघीय सरकार का अंत होना चाहिए क्योंकि इससे एक भ्रष्ट व्यवस्था मजबूत हो रही है। आरपीपी के नेपाल में कुल 14 सांसद हैं। इनमें सात निर्वाचन प्रक्रिया से चुने गए हैं और सात समानुपातिक प्रक्रिया से। गौरतलब है कि नेपाल की संसद प्रतिनिधि सभा में कुल 275 सांसद हैं। इनमें 165 निर्वाचन प्रक्रिया से चुने जाते हैं और 110 समानुपातिक प्रक्रिया से।

नारायणहिटी में ही रहते थे

राजाः 2008 में जब राजशाही व्यवस्था ख़त्म हुई और गणतंत्र आया तो नारायणहिटी को संग्रहालय में बदल दिया गया।

इन घटनाओं से बढ़ी सुगबुगाहट

  1. हाल में गलेश्वर धाम और बागलुंग कालिका में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र का बड़ी संख्या में लोगों ने स्वागत किया। यहां, राजा आओ. देश बचाओ के नारे लगाए।
  2. गुरुवार को पोखरा में पूर्व राजा वीरेंद्र की मूर्ति का अनावरण पूर्व राजा ज्ञानेंद्र मूर्ति द्वारा किया गया। यहां मौजूद तीन हजार लोगों ने राजशाही वाला राष्ट्रगान गाया।
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