जप्त हो सकती है- अभिनेता सैफ परिवार की करोड़ों की संपत्ति

नई दिल्ली। भारत सरकार भोपाल में अभिनेता सैफ अली खान के परिवार की करोड़ों की संपत्ति का शत्रु संपत्ति कानून के तहत अधिग्रहण कर सकती है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सैफ अली खान से कहा है कि अगर वो इन संपत्तियों का अधिग्रहण करने के भारत सरकार के फैसले को चुनौती देना चाहते हैं, तो उन्हें शत्रु संपत्ति मामलों के अपील अधिकारी के पास अपील दायर करनी चाहिए। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इन संपत्तियों का मूल्य करीब 15,000 करोड़ रुपए है।

मामला पूर्ववर्ती भोपाल रियासत के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खान की संपत्ति का है। हमीदुल्ला खान सैफ अली खान के परदादा थे। उनकी दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान की शादी पटौदी के नवाब इफ्तिखार अली खान से हुई थी, जो सैफ के दादा थे। अंग्रेजों से भारत की आजादी के बाद हमीदुल्ला खान ने भारत को ही चुना और भोपाल रियासत को भारत गणराज्य का हिस्सा बनने दिया। हालांकि उस समय उनकी उत्तराधिकारी मानी जाने वाली उनकी बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान 1950 में पाकिस्तान चली गईं। यहीं से भोपाल रियासत की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित किए जाने की कहानी शुरू होती है।

आबिदा का एक बेटा भी था लेकिन उनकी मौत के बाद वह भी भारत वापस नहीं आया। इधर साजिदा को हमीदुल्ला खान की उत्तराधिकारी बना दिया गया और खान की मौत के बाद 1960 में वो भोपाल की नामित नवाब बेगम बन गई। जिस संपत्ति को लेकर सैफ मौजूदा कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, वो इसी परिवार की संपत्ति है। यह संशोधन सैफ अली खान और भारत सरकार की कानूनी लड़ाई शुरू होने के बाद लाया गया था। कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग ने 2014 में भोपाल में स्थित खान के परिवार की संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था। खान ने इस नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 2017 में कानून में संशोधन लाकर सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि शत्रु संपत्तियों पर उनके वारिसों का अधिकार नहीं है। 13 दिसंबर को मामले पर सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि इस विषय में विवादों के समाधान के लिए एक अपील अधिकारी नियुक्त किया गया है। इसके बाद अदालत ने सैफ के वकील को 30 दिनों के अंदर अपील दायर करने का समय दिया था। अपील दायर करने की आखिरी तारीख 12 जनवरी थी, लेकिन सैफ ने तब तक अपील दायर की या नहीं इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है।

क्या है- शत्रु संपत्ति?

शत्रु संपत्ति उन संपत्तियों को कहा जाता है जो उन लोगों की है जो भारत छोड़ कर ऐसे देशों में चले गए जिन्हें भारत ने अपने साथ संघर्ष के समय शत्रु देश का दर्जा दिया हुआ था। इस कानून को 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत- पाकिस्तान युद्ध के बाद 1968 में लाया गया था। कानून के तहत जिन लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ कर पाकिस्तान और चीन की नागरिकता अपना ली थी, उनकी संपत्तियों को भारत सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित कर उनका अधिग्रहण कर लिया। 2017 में इस कानून में और संशोधन लाए गए और शत्रु की परिभाषा के दायरे को और बढ़ा दिया गया। इस संशोधन में शत्रु की परिभाषा के दायरे में संपत्ति के मूल मालिक के कानूनी वारिस को भी ले आया गया, चाहे वह शत्रु देश का नागरिक हो, या भारत का या किसी तीसरे देश का। इस संशोधन की वजह से सरकार को शत्रु संपत्ति के विरासत के सभी दावे खारिज करने की शक्ति मिल गई।

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