संघर्ष का स्वभाव दिलाता है विजय का रास्ताः अशोक तिवारी
कोरबा 01 दिसम्बर। पूण्यश्लोका देवी अहिल्या होल्कर ने धर्मनिष्ठ नागरिक होने के साथ-साथ एक अच्छे शासक और सामाजिक कार्यकर्ता की जो भूमिका निभाई वह समाज के लिए प्रेरणा का विषय बना हुआ है। उनके जन्म के 300 वर्ष के उपलक्ष में किए जा रहे कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को एक नई दिशा मिल रही है। समाज जीवन में काम करने वाला वर्ग यह समझ रहा है कि उन्हें अच्छे रास्ते चुनने के लिए क्या कुछ करने की जरूरत है।
गुरु घासीदास उपनगर के साप्ताहिक एकत्रीकरण में आज प्रातः बेला में वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक तिवारी में यह बात कही। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की 15 लाख कॉलोनी स्थित दुर्गा मंदिर परिसर में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए उन्होंने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य से जुड़े कई प्रसंग रखे। स्वाधीनता से भी पहले की स्थिति पर उन्होंने विचार रखे और बताया कि उसे समय राष्ट्र के सामने किस प्रकार की तस्वीर थी और संबंधित चीजों को बेहतर करने के लिए तत्कालीन विचारवान लोगों और सामाजिक क्षेत्र में काम करने वालों ने किस तरीके से अपना योगदान दिया। उन्होंने बताया कि इंदौर से वाराणसी की यात्रा करने के साथ लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने हिंदुओं के मानबिंदु काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए जो कार्य किया आज वह अविस्मरणीय बन गया। देश में सामाजिक और धार्मिक उत्थान को लेकर उनकी ओर से किए गए कार्यों की बड़ी लंबी सूची है और यह समाज के सामने उदाहरण प्रस्तुत करती है। अनेक मंदिरों के उत्थान करने के साथ कई प्रकार की चुनौतियां को हल करने के लिए उनकी भूमिका वर्तमान परिदृश्य में प्रेरणादाई बनी हुई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि उसे दौर में जब सती प्रथा जैसी बुराइयां बनी हुई थी उसकी समाप्ति के लिए जो लोग सामने आए, उन्होंने साबित किया कि बुराइयां किसी भी राष्ट्र के लिए घातक हो सकते हैं। श्री तिवारी वीर शिवाजी और जीजा बाई के राष्ट्रहित में अतुलनीय योगदान को रखा। उन्होंने कई संदर्भ चर्चा के अंतर्गत प्रस्तुत किया और यह बताने का प्रयास किया कि व्यक्ति में संघर्ष का भाव जब बचपन से जागृत होता है और वह लगातार इसके लिए काम करता है तो उसे विजय का रास्ता स्वाभाविक रूप से प्राप्त हो जाता है। इसलिए हम सभी को यह संकल्प लेने की आवश्यकता है कि सभी प्रकार की चुनौतियों से निपटने के लिए एकात्म और संकल्प भाव से काम किया जाए।