धान काटने के एक सप्ताह के बाद बेचने के नियम में बदलाव

अब तक 5568 क्विंटल धान की हुई खरीदी

कोरबा 25 नवम्बर। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए सरकार की ओर से जारी दिशा निर्देश के अंतर्गत इस बार भी कोरबा जिले के 65 केंटो में कामकाज शुरू हो गया है। धीरे-धीरे विभिन्न केदो में धान की आवक हो रही है। कई कारण से इस बार व्यवस्था में कुछ बदलाव किया गया है। इसके अंतर्गत उत्पादक किसान के द्वारा अपने खेत से धान की कटाई किए जाने के एक सप्ताह बाद उसका विक्रय का नंबर लगेगा और संबंधित औपचारिकताएं पूरी हो सकेंगे।

41 समितियां के अंतर्गत 65 उपार्जन केंद्र कोरबा जिले के पांच विकासखंड में बनाए गए हैं। पिछले वर्ष भी उपार्जन केदो की संख्या इतनी ही थी। इस प्रकार से इस संख्या में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। जमीनी स्तर पर समीक्षा के बाद यह पाया गया कि जिन इलाकों में धान का उत्पादन किया जा रहा है, वहां के किसानों के लिए विक्रय के संबंध में की गई व्यवस्था पहले की तुलना में अब सहूलियत भारी है। खबर के अनुसार इस वर्ष कोरबा जिले में धान विक्रय के लिए 51183 किसानों ने अपना पंजीकरण धान विक्रय के लिए किया है। जिले में धान का कुल बोनी रकबा 72 हजार 253.03 हेक्टयेर है।

सरकार की नीति के अंतर्गत प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी की जानी है। पहले ही इसके लिए समर्थन मूल्य की घोषणा की जा चुकी है और इसके अंतर्गत किसानों को भुगतान किया जा रहा है। इससे पहले धान उत्पादन रकबा का सत्यापन सरकारी टीम की ओर से किया जा चुका है। किसी भी प्रकार की आशंकाओं को दूर करने के लिए अब धान कटाई के दौरान भी सरकारी कर्मचारी की उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है और इसके जरिए सुनिश्चित किया जा रहा है कि पूर्व में जो रब्बा सत्यापित हुआ है उसी के हिसाब से यहां पर पैदावार हुई है। धान की कटाई कर लिए जाने के न्यूनतम एक सप्ताह के बाद ही संबंधित उत्पादनकर्त्ता अपने उत्पाद को बेचने की पात्रता तय की गई है। लेकिन इस चक्कर में लोगों को न केवल प्रतीक्षा करनी पड़ रही है बल्कि समय सीमा के लिहाज से भी समस्याएं उत्पन्न हो रही है। किसान समझ नहीं पा रहे हैं कि धान की कटाई के बाद बिक्री करने के मामले में इस तरह का नियम क्यों बनाया गया है।

बताया गया कि मौजूदा सीजन में अब तक कोरबा जिले के 29 केंद्रों में कुल 5568 क्विंटल धान की खरीदी हुई है। उपार्जित संपूर्ण मात्रा मोटा धान की है। पतला और सरना धान इसमें शामिल नहीं हैं। खरीदी की इस संपूर्ण अवधि में 36 उपार्जन केंद्र ऐसे हैं जहां अब तक धान आने की प्रतीक्षा की जा रही है। इसके लिए तैयारी जारी है।

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