PWD का खाता सीज, ठेकेदारों के करोड़ों का भुगतान लटका
जगदलपुर. रायपुर में बैठे बड़े अफसरों की लापरवाही और चूक के चलते बस्तर संभाग में ग्रामीण सड़क प्रोजेक्ट के तहत सड़कों का निर्माण करा रहे ठेकेदारों के अरबों रुपयों का भुगतान अटक गया है। जबकि ये ठेकेदार अपनी जान माल को दांव पर लगाकर सड़कों का निर्माण करा रहे हैं। बताया जाता है कि लोक निर्माण विभाग का बैंक खाता सीज होने के कारण भुगतान रूका हुआ है। संभाग में करीब चार हजार करोड़ रुपयों की लागत से सड़कों का निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा कराया जा रहा है।
बस्तर संभाग नक्सल समस्या से ग्रसित संभाग है। इस संभाग के सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव और कांकेर जिले नक्सल समस्या की मार दशकों से झेलते आ रहे हैं। इन जिलों में सरकारी निर्माण कार्यों को अंजाम देना सबसे न सिर्फ बेहद कठिन है, बल्कि ठेकेदारों के लिए कई बार घाटे का सौदा भी साबित होता है। ऊपर से पेमेंट रुक जाने के कारण ठेकेदारों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।लोक निर्माण विभाग के अधिकारी बताते हैं कि कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की राशि जमा नहीं करने के कारण विभाग का बैंक खाता ईपीएफ के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा सीज कर दिया गया है।
बस्तर में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत स्वीकृत सड़कों में जो सड़कें नहीं बन पा रही थीं, उनकी क्रियान्वयन एजेंसी लोक निर्माण विभाग को बनाया गया है। बस्तर में आरआरपी-3 के तहत करीब 4 हजार करोड़ की सड़कों का निर्माण चल रहा है। पिछले एक माह से बस्तर संभाग ठेकेदारों को उनके काम का भुगतान नहीं हो पा रहा है। विभागीय अधिकारी बताते हैं कि पिछले एक माह से कई ठेकेदार भुगतान के लिए भटक रहे हैं। बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों में बन रही सैकड़ों सड़कों की स्वीकृति नक्सल प्रभावित क्षेत्र के गांवों को सड़क मार्ग से जोड़ने की योजना के तहत दी गई है। पिछले एक साल से अधिक समय से इन सड़कों के निर्माण का कार्य चल रहा है। इस बीच अब नई समस्या खड़ी हो गई है।
ईई से छिन गया हक
पहले ईई को अपने क्षेत्र में बनने वाली सड़कों के भुगतान का अधिकार दिया गया था। अब उस प्रक्रिया को और लंबा कर दिया गया है। अब सभी फाइलों को ईएनसी तक भेजना पड़ रहा है। ईएनसी द्वारा हरी झंडी दी जाने के बाद ही भुगतान स्वीकृति के आदेश जारी हो रहे हैं। अब सब इंजीनियर से लेकर एसडीओ की सहमति के बाद ही फाइल ईएनसी तक पहुंचती है। ऐसा करने से प्रक्रिया में अकारण विलंब होने का खामियाजा ठेकेदारों को भुगतना पड़ता है।
अधोसंरचना में जीएसटी की पेंच
छत्तीसगढ़ सड़क एवं अधोसंरचना विकास निगम के तहत बनने वाली सड़कों के निर्माण में लगे ठेकेदारों को भी भुगतान नहीं हो पा रहा है। यहां पर जीएसटी के भुगतान के मामले को लेकर भुगतान लटकाया जा रहा है। अधोसंरचना विकास के लिए राज्य सरकार ने एक एजेंसी तैयार की है, जो ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों के निर्माण को अपने स्तर पर पूरा कराती है। जीएसटी की पेंच की वजह से छत्तीसगढ़ सड़क एवं अधोसंरचना विकास निगम के ठेकेदार भी बकाया भुगतान न होने से बेहद परेशान हैं। इस निगम के भी अधीन बस्तर संभाग में दर्जनों सड़कों का निर्माण जारी है।
करेला, ऊपर से नीम चढ़ा
बस्तर संभाग के अंदरूनी गांवों में सड़कों के निर्माण का काम लेना ठेकेदारों के लिए हमेशा कड़वे अनुभवों वाला रहा है। नक्सली उत्पात से ठेकेदारों को हर साल करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ता है। ठेकेदारों से नक्सली लेव्ही तो वसूलते हैं, अक्सर उनके ट्रकों, रोड रोलर, मिक्सर मशीन एवं अन्य उपकरणों को जला देते हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ विभागीय अधिकारी उन्हें बेवजह परेशान करते हैं। कुल मिलाकर बस्तर में काम लेना ठेकेदारों के लिए करेला, ऊपर से नीम चढ़ा कहावत को चरितार्थ करता है।
इश्यू दूर करने के प्रयास
लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आरआरपी-3 में ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदारों का भुगतान लंबित है। विभागीय बैंक खाते की समस्या को लेकर ऐसा हो रहा है। विभाग इसे दूर करने के प्रयास में है – केके पिपरी, ईएनसी लोक निर्माण विभाग