अनिल अग्रवाल के वेदांता का डी लिस्टिंग प्रक्रिया प्रारंभ
नई दिल्ली 6 अक्टूबर। वेदांता के शेयर में सोमवार को स्थिरता देखने को मिली. सोमवार (5 अक्टूबर) को कंपनी के शेयरों की डीलिस्टिंग के लिए रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रोसेस शुरू हो गया. सोमवार को दोपहर बाद कंपनी के शेयर का भाव 0.33 फीसदी की नरमी के साथ 137 रुपये था.
वेदांता ने बिडिंग प्रोसेस के लिए इंडिकेटिव फ्लोर प्राइस प्रति शेयर 87.25 रुपये तय किया है. विश्लेषकों का कहना है कि 89.38 रुपये की संशोधित कंसॉलिडेटेड बुक वैल्यू कंपनी के कारोबार को लेकर बहुत संकुचित नजरिया पेश करती है. यह कंपनी के शेयर की असल वैल्यू बयां नहीं करती है. विश्लेषकों ने निवेशकों को ऑफर प्राइस या बाजार की मौजूदा कीमत के मुकाबले काफी ज्यादा कीमत पर बोली लगाने की सलाह दी है.
एमके का मानना है कि डीलिस्टिंग के लिए इस शेयर की सही (फेयर) वैल्यू 170 रुपये है. यह शेयर की मौजूदा 137 रुपये की कीमत के मुकाबले 24 फीसदी ज्यादा है. शेयरहोल्डर्स एम्पावरमेंट सर्विसेज (एसईएस) का कहना है कि सिर्फ हिंदुस्तान जिंक में वेदांता की वैल्यू की कीमत 145 रुपये है. 30 जून को इस कंपनी में वेदांता की 64.92 फीसदी हिस्सेदारी थी.
एसईएस ने कहा, “इसलिए निवेशकों को 200-250 रुपये की कीमत की बिडिंग के बारे में नहीं सोचना चाहिए.” 250 रुपये की कीमत शेयर के मौजूदा भाव के मुकाबले 82 फीसदी ज्यादा है.
रिवर्स बुक बिल्डिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें किसी शेयर की डीलिस्टिंग के लिए उसकी कीमत निर्धारित की जाती है. जो शेयरधारक डीलिस्टिंग प्रोसेस में हिस्सा लेना चाहते हैं, वे फ्लोर प्राइस से ऊपर या अपने हिसाब से प्राइस कोट कर इसमें हिस्सा ले सकते हैं. बिडिंग प्रोसेस शुक्रवार यानी 9 अक्टूबर को बंद हो जाएगा. सभी बिड आ जाने पर उन्हें कम से ज्यादा के क्रम में रखा जाता है.
जैसे ही कुल बिड उस क्रम में शेयर कैपिटल के 90 फीसदी पर पहुंच जाता है, वह बिड प्राइस वह कीमत बन जाती है, जिसे डीलिस्ट कराने वाली कंपनी को शेयरधारक को चुकाना पड़ता है. कंपनी शेयरधारक को उसके शेयर खरीदने के लिए इस कीमत के हिसाब से भुगतान करती है.
शेयरधारक के पास कंपनी को अपने शेयर वापस करने (टेंडर करने) के लिए एक साल का वक्त होता है. अगर कोई शेयरधारक हायर बिडिंग प्राइस से खुश नहीं है तो कंपनी काउंटर ऑफर पेश कर सकती है, जिसका कम से कम बुक वैल्यू से ज्यादा होना जरूरी है. एसईएस ने कहा, “शेयरधारकों को फ्लोर प्राइस, बुक वैल्यू और 52 हफ्ते के निचले भाव की अनदेखी करनी चाहिए, क्योंकि ये वेदांता के शेयर की असल कीमत बयां नहीं करते.”