कोरबा: आम जनता तक नहीं पहुंच रहा केन्द्र सरकार का सस्ता भारत आटा, गेहूँ की हो रही कालाबाजारी
नाफेड अधिकारियों की मिलीभगत का संदेह
कोरबा 7 जुलाई। आम जनता को महंगाई से राहत दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने भारत आटा योजना लागू की है लेकिन इस योजना का लाभ नागरिकों को नहीं मिल रहा है। बल्कि भारत आटा उत्पादन के लिए आवंटित गेहूं की कालाबाजारी किए जाने की चर्चा सुनने में आ रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नाफेड) के माध्यम से अमल में लाई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नित केन्द्र सरकार की भारत आटा नामक इस योजना के तहत आम जनता को 27 रुपये 50 पैसे प्रति किलो की दर से खुले बाजार में भारत आटा उपलब्ध कराना है। भारत आटा 5 किलो के पैकेट में बेचा जाना है।
कोरबा जिले में नाफेड ( National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India Ltd. (NAFED) ने भारत आटा के उत्पादन के लिए हर्ष इंडस्ट्रीज, प्लॉट नंबर-2, इंडस्ट्रियल एरिया, राजगामार रोड, कोरबा को अधिकृत किया है। दो माह पहले कोरबा में इक्का दुक्का दुकानों में भारत आटा सस्ते दर पर बिक्री के लिए उपलब्ध कराया गया था। परंतु इसके बाद कहीं भी भारत आटा प्राप्त नहीं हो रहा है। सूत्रों की मानें तो भारत आटा उत्पादन के लिए लगातार गेहूं का आबंटन किया जा रहा है। किंतु उक्त गेहूं से आटा का उत्पादन नहीं किया जा रहा है, बल्कि उक्त गेहूं की 27 रुपये प्रति किलो की दर से कालाबाजारी की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि खुले बाजार में विभिन्न कम्पनियों का जो आटा दुकानों में उपलब्ध कराया जा रहा है, वह 45 से 50 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है, जबकि पैकेट में एम आर पी दर इससे भी अधिक मुद्रित है। चूंकि भारत आटा बाजार में उपलब्ध नहीं है, इसलिए आम नागरिकों को महंगे दर पर आटा खरीदना पड़ रहा है। और तो और सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना का कोई प्रचार प्रसार भी नहीं किया गया है, जिसके कारण आम जनता को भारत आटा के सम्बंध में कोई जानकारी भी नहीं है।
बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में सस्ते दर पर भारत आटा उपलब्ध कराने के लिए एजेंसी नियुक्त की गई हैं। नाफेड के रिकॉर्ड में सभी जिलों में भारत आटा का उत्पादन और वितरण किया जा रहा है, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि भारत आटा का उत्पादन और वितरण किया ही नहीं जा रहा है। बल्कि भारत आटा के लिए आवंटित गेहूं को काला बाजार में बेच दिया जा रहा है। सूत्रों का दावा है कि मामले की सूक्ष्म और निष्पक्ष जांच कराई जाती है, तो प्रति महीने करोड़ों रूपयों के गेहूं घोटाला अर्थात भारत आटा घोटाला की पुष्टि हो सकती है।
सूत्रों का तो यह भी कहना है कि आटा की तर्ज पर ही छत्तीसगढ़ में करोड़ों रुपयों का भारत चावल और भारत दाल घोटाला भी किया गया है। जनहित में इन तीनों योजनाओं का क्रियान्वयन शासकीय राशन दुकानों के माध्यम से खाद्य विभाग की निगरानी में कराया जाना चाहिए, ताकि आम लोगों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की इन योजनाओं का लाभ मिल सके और घोटालों पर रोक लग सके।