अनियमितताओं की गिरफ्त में तिलकेजा का इलाहाबाद बैंक
अनियमितताओं मे घिरा तिलकेजा का इलाहाबाद बैंक
सुखदेव कैवर्त
कोरबा (करतला) 17सितम्बर। अपने शुरुआती दिनों से ही ग्राम तिलकेजा मे संचालित इलाहाबाद बैंक अनेक अनियमिताओं का गढ बना हुआ है। प्रारंभिक दिनों में चुकि खाता अधिक खोलना था बैंक ने सारे नियमों को शिथिल करते हुए फटाफट खाते खोल कर बिना गारंटी के कर्ज वितरण प्रारंभ कर दिया जिसके कारण अनेक अपात्रों को कृषि लोन दिया गया था। बाद में पता चला कि जिनको तथाकथित लोन दिया गया था वे वहां के कृषक नहीं थे लेकिन तत्कालीन शाखा ने अंधाधुंध कर्ज बाट दिया। क्योंकि उन्हें प्रत्येक कर्जदारों से कथित रूप से एक मोटी रकम रिश्वत के रूप में मिला था। बैंक ने अभी तक उस कर्ज की वसूली नहीं की है क्योंकि वे किसान ही फर्जी है।
जानकारी मिली है इन दिनों भी बैंक का रवैया जस का तस है। अपने चहेतों का खाता जिस तरह तुरंत उसी दिन खोल दिया जाता है लेकिन अन्य हितग्राहियों को अनेकों बार बैंक का चक्कर लगाना पडता है। सुनने में आया है कि बैंक में आपातकालीन सेवा के लिए जनरेटर लगाया गया है जिसके लिए प्रतिवर्ष टेंडर काल किया जाना चाहिए। उसके लिए केवल प्रारंभ में प्रथम बार ही कोटेशन मांगा गया था। लेकिन बाद में कोटेशन मे राशि बढाकर एक ही ब्यक्ति को अवैधानिक रूप से लाभ पहुचाया जा रहा है। इस बात की जानकारी स्थानीय पत्रकारों को है लेकिन वे अपने गांव के एक मात्र बैंक को बदनाम नहीं करना चाहते। इसलिए चुप रहते हैं। कोई भी शासकीय बैंक उस क्षेत्र की आम जनता को समय समय पर वित्तीय सहायता करने तथा उसके आर्थिक स्थिति में सुधार लाने तथा शासन की विभिन्न योजनाओं को त्वरित गति से कार्यान्वित करने के लिए होती है। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि बैंक कर्मचारी केवल अपने ब्यक्तिगत लाभ एवं सुविधा के लिए इस प्रकार के राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान का उपयोग करते हैं।