भगवान श्रीराम के कारण भारत की पहचान विश्व में : दत्तात्रेय होसबोले
कोरबा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने मंगलवार को कोरबा में कहा की मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र के जीवन दर्शन और समाज राष्ट्र के लिए किए गए विशेष कार्य को लेकर दुनिया भर में भारत से अपनी विशेष पहचान और नाम है। हम सभी को अपने जीवन काल में कुछ ऐसा काम करना चाहिए जिससे हमारी भूमिका रेखांकित हो सके।
कोरबा प्रवास के दौरान सरस्वती विद्यालय सीएसईबी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोरबा के कार्यकर्ता परिवार मिलन में सामाजिक बंधुओ से संवाद के दौरान अखिल भारतीय सरकार्यवाह होसबोले ने यह बात कही। उन्होंने उपस्थित लोगों को विश्वास दिलाया कि ईश्वर हर समय हमारे साथ हैं। हमारी प्रार्थनाएं से स्वीकृत करते हैं और उसी के प्रभाव से हमें अपने कार्य क्षेत्र में सफलता भी प्राप्त होती है। यहां पर हम सभी को यह बात ध्यान में रखनी होगी कि काम को हमें खुद करना है। उदाहरण के तौर पर ईश्वर बारिश दे सकते हैं और धूप लेकिन कृषि और अन्य संबंधित कामकाज हमें खुद करने होंगे।
राष्ट्र की प्रगति और वहां के नागरिकों की भूमिका पर केंद्रित बातचीत के अंतर्गत दत्तात्रेय होसबोले ने इजरायल और जापान की प्रगति को इंगित किया। सभी प्रकार की विपत्तियां और चुनौतियों को बर्दाश्त करने के बावजूद इन देशों ने कालांतर में सामरिक से लेकर तकनीकी क्षेत्र में जो प्रगति की, वह आज अपने आप में अन्यतम उदाहरण बनी हुई है। 1800 वर्ष बाद भी इजराइल का लगातार आगे बढ़ना इस बात को साबित करता है कि जिस देश के नागरिक मजबूत इच्छा शक्ति रखते हैं उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अन्य देशों के मामले में भी यह बात लागू सकती है लेकिन इसके लिए शर्त यही है कि लोग अपनी भूमिका निष्ठा के साथ निभाए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह समाज जीवन और मूल्य की महत्ता के साथ अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि समाज को आगे बढ़ने का काम कुल मिलाकर समाज ही करता है और इसमें सबसे बड़ी भूमिका लोगों की होती है। किसी देश की उन्नति के मामले में सरकार की भूमिका केवल एक सिस्टम या तंत्र की होती है। हम सभी को यह बात जान लेनी चाहिए कि समाज से लेकर ही समाज को कुछ देने का काम सरकार की ओर से होता है इससे अधिक और कुछ नहीं। वर्तमान परिपेक्ष में अपने गौरवशाली राष्ट्र भारत की दिशा और दशा को लेकर बहुत अच्छे प्रयास चल रहे हैं। इसके समुन्नत स्वरूप को लेकर हम सभी क्या कुछ कर सकते हैं इसका विचार सदैव करते रहने की आवश्यकता है।