स्वार्थ त्याग परमार्थ भाव से मनुष्य को करना चाहिए जीवन यापनः आचार्य गोस्वामी
कोरबा 14 दिसम्बर। श्रीमद्भागवत कथा भवसागर से पार लगाने का सर्वोत्तम आधार है। कथा जरूर सुने तथा कथा में सुनाए गए प्रसंगों को अपने जीवन में आत्मसात करें। इससे मन को शांति भी मिलेगी और मानव जीवन का कल्याण होगा। उक्त सारगर्भित बातें श्रीमद् भागवत कथा वाचक आचार्य पवन कृष्ण गोस्वामी ने मां सर्वमंगला की पावन धरा पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के पांचवें दिवस की कथा के दौरान कही। वासन परिवार के द्वारा ओपन थियेटर कोरबा में श्रीमद् भागवत कथा की व्यासपीठ से कथा वाचक आचार्य पवन कृष्ण गोस्वामी ने अपनी मधुर वाणी से आध्यतम का रंग बिखेर रहे हैं।
आचार्य ने कृष्ण लीला, गोवर्धन पूजा, महारास, कंस वध के साथ अनेक प्रसंगों का सुंदरता के साथ वर्णन करते हुए बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेते ही कर्म का चयन किया। आचार्य ने कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि बाल गोपाल ने अपनी अठखेलियों से सबका मन मोह रखा था। प्रभु को अपने सखाओं के साथ मटकी फोड़कर चोरी कर माखन खाते हुए देख यशोदा मैय्या मंत्रमुग्ध हो जाती थी। जहां स्वार्थ समाप्त होता है मानवता वहीं से प्रारंभ होती है। मानव योनि में जन्म लेने मात्र से जीव को मानवता प्राप्त नहीं होती। यदि मनुष्य योनि में जन्म लेने के बाद भी उसमें स्वार्थ की भावना भरी हुई है, तो वह मानव होते हुए भी राक्षसी वृत्ति की पायदान पर खड़ा रहता है। यदि व्यक्ति स्वार्थ की भावना को त्याग कर हमेशा परमार्थ भाव से जीवन यापन करे तो निश्चित रूप से वह एक अच्छा इंसान है। यानी सुदृढ मानवता की श्रेणी में खड़ा होकर पर सेवा कार्य में रत है। क्योंकि परमार्थ की भावना ही व्यक्ति को महान बनाती है।
आचार्य ने कहा कि हम जीवन में वस्तुओं से प्रेम करते है और मनुष्यों का उपयोग करते है। ठीक तो यह है कि हम वस्तुओं का उपयोग करें और मनुष्यों से प्रेम करें। इसलिये हमेशा से प्रेम की भाषा बोलिये जिसे बहरे भी सुन सकते हैं और गूंगे भी समझ सकते है। प्रभु की माखन चोरी लीला हमें यही शिक्षा प्रदान करती है। विशेष महोत्सव के रूप मे आज श्री गिरिराज पूजन (छप्पन भोग महोत्सव) विशेष धूम-धाम से मनाया गया। कल के कथा में गोपी उद्धव संवाद रूक्मणी विवाह व सुदामा चरित्र के प्रसंग पर कथा प्रवचन किया जावेगा। रूकमणी विवाह व सुदामा चरित्र कथा के दौरान झांकी का प्रस्तुति होगी।
रोजाना की तरह कल भी दोपहर तीन बजे कथा प्रारंभ होगा। कथा में पूर्व महापौर रेणु अग्रवाल, राहुल वासन, ममता वासन, साहिल वासन, अजय केडिया, नवीन अग्रवाल, मुन्ना साहू, गोपाल साहू, अपूर्वा पोद्दार, केके पोद्दार, श्वेता वासन, गुलशन वासन, वरूण वासन, सत्येंद्र वासन, यश वासन, जय प्रकाश वासन, हीना वासन, प्रिंस वासन, अमित सबरवाल, संजय महराज, संतोष राठौर, पूनम वासन, कुसुम वासन, अपूर्व वासन, शूरथी वासान, नेहा वासन, जसप्रीत संधु, उमा अग्रवाल, प्रेमा अग्रवाल खरसिया, सीमा अग्रवाल, शीला साहू सहित बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरूषों ने भागीदारी निभाई।