अनोखे अंदाज में जन्मदिन किया सेलिब्रेट, मां-बेटे ने लिया अंगदान का संकल्प
समाज को सोचने और समझने की एक नई पहल
कोरबा 23 नवम्बर। रक्तदान, देहदान अथवा अंगदान कुछ ऐसे महान शब्द हैं, जिनका संकल्प अगर हर कोई अपने जीवन में धारण कर ले, तो कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। मानव सेवा का यही ध्येय रखते एक मां और उसके पुत्र ने अंगदान करने की शपथ लेते हुए समाज में अपनी इस पुनीत पहल से जीवन का संदेश दिया है। खास बात यह है कि अपने सालगिरह पर ही एक युवक ने और उसकी माता ने यह संकल्प धारण किया है।
शहर के योग प्रशिक्षक दुर्गेश राठौर ने अपना जन्मदिन अनोखे अंदाज में सेलिब्रेट किया। समाज को सोचने और समझने की एक नई दिशा देने वाले दुर्गेश ने अपने जन्मदिन के मौके पर स्वयं व उनकी माताजी रुखमणी देवी राठौर ने अंगदान का संकल्प लिया। उन्होंने मारवाड़ी युवा मंच के प्रदेश अध्यक्ष मनीष अग्रवाल का आभार जताया, जिन्होंने दुर्गेश की इस नेक कार्य के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि कोरोना के दौरान हम सभी ने लोगों को जिंदगी और मौत के बीच झूलते हुए देखा है। इसलिए यदि हम अंगदान करते हैं तो कई जिंदगियों को बचा सकते हैं। हर व्यक्ति जो स्वस्थ है, उसे इस कार्य के लिए आगे आना चाहिए। हमारे बदलने से ही समाज बदलेगा। लोगों में देहदान और अंगदान को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं। जिन्हें हम जैसे युवा ही दूर कर सकते हैं। यदि युवा इस दिशा में लोगों की सेवा के लिए आगे आएंगे तो निश्चित ही लोगों को प्रेरणा मिलेगी और वे भी इस कार्य में अपना योगदान देंगे। दुर्गेश ने कहा कि अंग दान एक ऐसा दान है, जो किसी को नया जीवन दे सकता है। अंग दान की मदद से व्यक्ति कई लोगों को जीने की वजह दे सकता है।
यही वजह है कि इसे महादान भी कहा जाता है। हालांकि, आज भी इसे लेकर लोगों के मन में कई सारे भ्रम मौजूद हैं। साथ ही इसे लेकर कई लोगों में जागरूकता की भी कमी है। सही जानकारी की कमी के कारण अंगदान करने को लेकर लोगों के मन मेंकई गलत मिथक और भय हैं। ऐसे में इसके प्रति लोगों में जागरूकता का अधिक से अधिक प्रसार नितांत आवश्यक है।
इस मौके पर दुर्गेश ने प्रतिवर्ष के भांति इस वर्ष भी रक्तदान किया। उन्होंने दुर्गेश ने कोरोना महामारी के दौरान भी प्लाज्मा डोनेशन, रक्तदान आदि के लिए जागरुकता अभियानों में अहम भूमिका निभाई है। समाजसेवा के लिए काफी छोटी उम्र से ही सेवा के काम में जुटे रहे हैं। उन्होंने जब पहली बार रक्तदान किया, तब से संकल्प लिया कि वे नियमित रक्तदान करेंगे। अपनी पहल से दूसरों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करेंगे, ताकि वे भी एनीमिया के मरीजों के लिए मदद कर सकें।