ब्लास्टिंग से घर की सीढ़ी और छत हुई क्षतिग्रस्त
कोरबा 24 अगस्त। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड एसईसीएल की कोयला खदानें कोरबा जिले के लिए वरदान तो बनी हुई है लेकिन यहां पर होने वाली गतिविधियों के कारण आसपास के इलाके में अभिषाप जैसे हालात लोगों के सामने कायम हैं। रोजाना खदानों में होने वाली ब्लास्टिंग का दुष्प्रभाव नजदीकी क्षेत्र की व्यवस्था पर पड़ रहा है। इससे ढांचागत निर्माण को नुकसान झेलना पड़ रहा है। रिस्दी गांव में हाल में ही ब्लास्टिंग के कारण एक व्यक्ति के घर की सीढिय़ां, छत को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा है।
एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र को कंपनी ने मेगा प्रोजेक्ट के रूप में शामिल किया है और साल दर साल यहां से उत्पादन की क्षमता का विस्तार किया जा रहा है। समय के साथ खदान का खनन एरिया न केवल बढ़ रहा है बल्कि वर्षों से इस इलाके में निवासरत लोगों के विस्थापन का दौर भी जारी है। इन सबके बीच कोयला कंपनी के द्वारा खदान के भीतर उत्पादन के लिए होने वाली ब्लास्टिंग ने कई प्रकार के खतरे पैदा कर दिए हैं और स्थानीय लोगों की चुनौतियां बढ़ा दी है।
कुसमुंडा खदान से प्रभावित ग्राम रिस्दी में महिपाल सिंह नामक व्यक्ति का घर ब्लास्टिंग के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुआ। घर की सीढ़ी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। वहीं छप्पर को भी नुकसान पहुंचा है। इस घटना में महिपाल सिंह को लाखों को नुकसान उठाना पड़ा है। महिपाल ने नुकसान के लिए कुल मिलाकर कंपनी की खनन गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराया है और अपने पुस्तैनी मकान को हुए नुकसान की भरपाई करने को कहा है। इस तररह का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी मानिकपुरए गेवरा.दीपका के साथ-साथ अन्य खदानों के नजदीकी क्षेत्र में ब्लास्टिंग से लोगों की परिसंपत्तियों को नुकसान हो चुका है। एसईसील की खदानों के कारण आसपास रहने वाले लोगों के सामने पिछले कई वर्षों से यह समस्या चली आ रही है। खदानों में उत्पादन के लिए किए जाने वाले ब्लास्टिंग के लिए डीजीएमएस द्वारा मापदंड निर्धारित किए गए है जिसका उल्लंघन कर ग्रामीणों को परेशान किया जा रहा है।
एसईसीएल प्रबंधन की मनमानी के कारण प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं। नियम कायदों को दरकिनार कर प्रबंधन द्वारा खदान के भीतर कोल उत्पादन के लिए मनमाने तरीके से ब्लास्टिंग कर रहा है जिससे लोगों के आवास क्षतिग्रस्त होने लगे है। इसके ठीक उल्टे भूमिगत खदानों के आसपास जमीन के धंसने की घटनाएं भी यदा-कदा हो रही है जो लोगों का हैरान करने के साथ चिंतित करने के लिए काफी है। कोरबा के सिंघाली, ढेलवाडीह, रानीअटारी और बगदेवा क्षेत्र में इस तरह के मामले प्रकाश में आ चुके हैं। ऐसे में लोगों को लगता है कि पता नहीं कब क्या हो जाए।