वर्षा ने सूखते खेतों में लौटाई हरियाली, रोपाई कार्य ने पकड़ी रफ्तार
कोरबा 5 अगस्त। जिले में दो दिन पहले चली वर्षा की झड़ी ने खेती को गति प्रदान कर कर दी है। जुलाई माह में 18 दिन से रूकी प्रथम चरण की खेती ने रफ्तार पकड़ ली है। एक जून से अब तक 5,404.4 मिली मीटर वर्षा हो चुकी है। यह आवश्यक वर्षा से 668.23 मिमी अधिक है। सप्ताह भर पहले सूखते खेतों से उबरने के बाद रोपा और बियासी का काम लगभग 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है। शेष 20 प्रतिशत खेती कार्य पखवाड़े भर में पूरे हो जाने की उम्मीद है।
थम-थम कर हुई वर्षा ने सूखते खेतों में हरियाली लौटा दी है। खेत में पानी भरने से अब रोपा व बियासी का काम भी तेज हो गया है। किसानों की माने तो वर्षा जारी रहने से रोपाई करने में कठिनाई हो रही थी। जल प्रवाह से रोपे गए थरहा के बहने की संभावना बढ़ गई थी। धूप निकलने से खेतों में पानी का भराव स्थिर हो गया है। जहां रोपाई हो चुकी है वहां धान के पौधे तेजी से विकसित होंगे। एक जून से अब तक 5,404.9 मिलीमीटर वर्षा हो चुकी है। मानसून का साथ होने से पखवाड़े भर के भीतर प्रथम चरण की खेती का कार्य पूरा हो जाएगा। जिला कृषि विभाग ने इस खरीफ वर्ष के लिए 81 हजार 144 हेक्टेयर में धान की फसल का लक्ष्य रखा है। चार दिन पहले 72 हजार 185 हेक्टेयर में रोपा, लेही व कतार खेती हुई थी। अभी हुई वर्षा से इसका आंकड़ा बढ़कर 77 हजार 834 हेक्टेयर पहुंच गया है। रोपाई समय पर नहीं होने के कारण कई खेतों के थरहा की ऊंचाई आवश्यकता से अधिक बढ़ गई है। ऐसे में उपरी हिस्से को छंटाई कर रोपाई करनी पड़ रही है।
बताना होगा कि कम समय में थरहा तैयार हो इसके लिए गोबर खाद डाल चुके थे। सूखे से मुक्ति मिलने से किसानों के चेहरे में प्रसन्नता देखी जा रही। जल स्त्रोत वाले स्थानों से पाइप बिछाकर पंप से सिंचाई शुरू कर दी थी। किसानों का कहना है कि सबसे अधिक राहत मैदानी खेतों के किसानों को मिला है, जिनके खेतों में दरार पडऩे के कारण नमी समाप्त हो चुकी थी। वहां वर्षा वरदान साबित हुआ है। पखवाड़े भर पहले पाली तहसील में सबसे से कम वर्षा हुई थी। वर्तमान स्थिति में तहसीलवार वर्षा का आकलन करें तो 562ण्4 मिमी वर्षा के साथ पाली चौथे स्थान पर आ गया है। वहीं सबसे कम 430.6 मिमी वर्षा वाले तहसील में हरदीबाजार आ गया है। धान के साथ खरीफ में बोई जाने वाली दलहन और तिलहन में भी प्रगति आने लगी है। खास बात यह है कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत धान के बदले अन्य फसल लगाने वाले किसानों को भी वर्षा से राहत मिली है। बीते वर्ष 3,324 किसानों ने कोदो की खेती की थी। इस बार यह बढ़कर 4,231 हो गई है। इसी तरह मक्का व रामतिल जैसे फसल की बोआई में प्रगति आई है।
शुक्रवार को भी आसमान में बादल छाए रहे लेकिन वर्षा थमने की वजह से किसानों ने राहत की सांस ली। जिला कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक संजय भेलावे ने बताया कि आगामी तीन दिनों के भीतर वर्षा की संभावना कम है। किसानों को चाहिए कि वे जल संरक्षण के प्रति सजग रहें। धान के अलावा सब्जी की खेती में भी प्रगति आई है। लगातार बारिश होने की स्थिति में फसल नुकसान की संभावना बनी रहती है।
दर्री बांध के गेट नंबर 10 को गुरूवार की सुबह नौ फीट खोला गया था। शुक्रवार की सुबह 10 नंबर गेट को पूरी तरह से बंद 12 नंबर गेट को छह फीट खोला गया। जिसस पूरे दिन गेट से 8,074 क्यूसेक प्रति सेकेंड की गति से प्रवाहित होता रहा। पर्याप्त वर्षा के कारण पानी मांग अभी नही है। दर्री बांध के औद्योगिक संयंत्रों के लिए दांयी तट नहर से 2,004.40 व बायी तट नहर से 1,507.52 क्यूसेक प्रति सेकेंड पानी छोड़ा जा रहा है।