कोरबा: 15 करोड़ में चाम्पा सड़क की मरम्मत, फिर भी गई भैंस पानी में….
सुखदेव कैवर्त
कोरबा (बरपाली) 27 अगस्त। कहने के लिए तो कोरबा, छत्तीसगढ़ महतारी का कमाऊ बेटा है, परंतु छत्तीसगढ़ की ऊर्जा नगरी कोरबा पहुंचने के जो भी मुख्य मार्ग हैं उनमें से कोरबा चांपा रोड बहुत ही व्यस्त तथा मुख्य मार्ग है पर यह दुर्भाग्य है कि कोरबा चंपा रोड के हालात सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। कोरबा चांपा मार्ग प्रशासन की अनदेखी के अभाव में जब पूरी तरह से टूट चुका था, बदतर हो चुका था तथा प्रशासन जब पूरी तरह आश्वस्त हो गया कि इस मार्ग पर पैदल चलना भी दूभर हो गया है, तब खनिज न्यास के पैसों से इस मार्ग की रिपेयरिंग के कार्य का टेंडर कॉल किया गया था जिसका ठेका बिलासपुर के राधेश्याम अग्रवाल की कंपनी को 14 करोड़ 59 लाख में दिया गया है। रिपेयरिंग का कार्य भी बड़े जोर शोर के साथ नियमों को ताक पर रखते हुए शुरू किया गया था। रिपेयरिंग का कार्य जून के अंतिम सप्ताहों में शुरू किया गया था जो कि अगस्त के प्रथम सप्ताह तक चला।उसके बाद कार्य को बंद कर दिया गया। जिस जिस स्थान पर रिपेयरिंग का कार्य किया गया था विगत 2 दिनों की रिमझिम बारिश को भी सहन नहीं कर सका। जिस जिस स्थान पर रिपेयरिंग का कार्य किया गया था वहां आज बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं तथा सड़क पूरी तरह से उखड़ गई है। बारिश के दिनों में इन गड्ढों में पानी भर रहा है जिससे दोपहिया एवं छोटे वाहनों से आवागमन करने वाले लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दो पहिया वाहन चालक अनायास ही गिर पड़ रहे हैं तथा अन्य छोटे वाहनों को भी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
इस सड़क की हालत पर यह कहावत सही बैठ रही है कि- *गई भैंस पानी में*। शासन ने जो धन कोरबा चांपा रोड के लिए खर्च किया है वह प्रशासन की अनदेखी से पानी में बह गया। कोरोना काल में लॉक डाउन के समय से इस कोरबा चाम्पा मार्ग पर भारी वाहनों का आवागमन बहुत ही कम हो गया है। अगर पूर्व की तरह ही भारी वाहन इस मार्ग पर अनवरत चलते रहते तो इस मार्ग की स्थिति क्या होती यह सोच कर भी भय लगता है। अब तो जनता भी कहने लगी है कि विकास सिर्फ कागज के पन्नों पर हो रहा है, सड़कों पर नहीं….।