ट्रेक्टर मालिक संघ ने स्वीकार किया अवैध रेत उत्खनन, लेकिन ठीकरा फोड़ा जिला प्रशासन के सिर पर
कोरबा 19 अप्रैल। रेत तस्करों की गुंडागर्दी के चलते शहर में पनप रहे असंतोष के कारण कभी भी कानून और व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो सकती है। मुख्य रूप से रेत, गिट्टी और ईंट परिवहन करने वाले ट्रेक्टर संचालकों के संघ ने अब जाकर स्वीकार किया है कि शहर और इसके आसपास के क्षेत्रों से बंद तथा अनाबंटित घाटों के अलावा नदी क्षेत्रों से अवैधानिक तौर पर रेत का खनन तथा परिवहन में लगे ट्रैक्टरों के कुछ कर्मियों द्वारा की गई लापरवाही पूर्वक घटना में मौत तथा रेत के लिए जानलेवा हमला की बात स्वीकार की है और सारा ठीकरा प्रशासन के सिर पर फोड़ा है।
जिला ट्रैक्टर मालिक संघ के अध्यक्ष गुलजार सिंह ने कलेक्टर के नाम सोमवार को ज्ञापन सौंप कर रेत घाट चालू कराने की मांग की है। ज्ञापन में कहा गया है कि नगरीय निकाय के अंतर्गत संचालित रेत घाट विगत 8 माह से बंद है जिसके कारण ट्रैक्टर संचालन के व्यवसाय से जुड़े मालिक एवं उसमें कार्य करने वाले मजदूर बेरोजगार हो गये हैं। कुछ रेत माफिया शासन.प्रशासन की मिलीभगत से अपने-अपने एरिया में जबरदस्ती रेत का उत्खनन एवं परिवहन कर रहे हैं, जिसके कारण आए दिन वाद-विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है। संघ ने मन है कि इसी वजह से कई लोगों की जान भी गई है। कई लोगों के साथ मारपीट भी हुई है। उसके बाद भी प्रशासन कोई ठोस कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है।
ज्ञापन में पूछा गया है कि विगत 8 माह से सभी रेत घाट संचालित नहीं है तो विकास कार्य कैसे गुणवत्तायुक्त चल रहा है? जो विकास कार्यों और उनकी गुणवत्ता पर एक प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। जबकि जिले में बहुत सारे ट्रैक्टर मालिक भुखमरी के शिकार हो रहे हैं और गाड़ी फायनेंस में होने के कारण फायनेंस कंपनी से भी वाद- विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है। ज्ञापन के अनुसार यातायात पुलिस का कहना है कि ट्रैक्टर का परिचालन रात्रिकाल में किया जाए। वाहन मालिक ट्रैक्टर का पूरा टैक्स सही समय पर पटा रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें अपने ट्रैक्टर का संचालन करने नहीं दिया जा रहा है। इस कारण परिवार के समक्ष भरण-पोषण की समस्या उत्पन्न हो गई है। संघ ने कलेक्टर सहित पुलिस अधीक्षक, खनिज विभाग, यातायात प्रभारी व नगर निगम आयुक्त से मांग की है कि 7 दिवस के भीतर कोई ठोस निर्णय ट्रैक्टर मालिकों के हित में नहीं लिया गया तो ट्रैक्टर मालिक संघ एक दिवसीय ट्रैक्टर रैली निकालकर धरना-प्रदर्शन करेगा, जिसकी संपूर्ण जवाबदारी जिला प्रशासन की होगी।
आपको बता दें कि एक सप्ताह पहले ही सीतामणी में तेज रफ्तार ट्रेक्टर ने तीन वर्षीय मासूम और उसके दादा की जान ले ली थी। दो दिन पहले ही नदी पार दर्री थाना क्षेत्र में एक रेत तस्कर ने किरण महतो नामक युवक पर बेलचा से जानलेवा हमला कर दिया था। दोनों मामलों में सिटी कोतवाली और दर्री पुलिस थाना में अपराध दर्ज किया गया है। खास बात यह है कि प्रतिबन्ध के बाद भी बिना नम्बर लिखे ट्रेक्टर दिन रात शहर के मुख्य मार्ग सहित व्यस्त सड़कों में लोगों को भयाक्रांत करते दौड़ते रहता हैं। इनकी बेलगाम रफ्तार के चलते आये दिन छोटी मोटी दुर्घटनाएं होती रहती हैं। बिना नम्बर लिखे चलने वाले ट्रेक्टरों पर तो कोई कार्रवाई नहीं होती, लेकिन सीतामणी में दो मौतों के बाद दिन में शहर के भीतर ट्रेक्टर संचालन पर रोक लगा दी गई है, लेकिन पुलिस ने रात में संचालन की अनुमति दे रखी है। वैसे भी शहर में सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक भारी वाहनों के लिए नो एंट्री का आदेश है। ऐसी स्थिति में किसी भी ट्रेक्टर को नो एंट्री के समय में शहर में प्रवेश की अनुमति नही दी जा सकती। अगर ऐसा होता है तो यह शहर के जन जीवन से खिलवाड़ होगा। जहां तक रेत खदानों के संचालन का प्रश्न है तो लोगों का कहना है कि प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए और रेत खदानें खोलना चाहिए। लेकिन रेत का परिवहन शहर के भीतर से नो एंट्री के समय में नहीं होना चाहिए।