निजी भूमि के वृक्षों की कटाई के नियमों का सरलीकरण किया गया
रायपुर 30 नवम्बर। राज्य शासन द्वारा निजी भूमि पर कृषि के रूप में रोपित वृक्षों और प्राकृतिक रूप से उगे वृक्षों की कटाई के नियमों का सरलीकरण किया गया है। जिसके अनुसार अब भूमिस्वामी अपनी भूमि में कृषि के रूप में रोपित वृक्षों की कटाई स्वयं करवा सकेंगे। पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी, उन्हें मात्र अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को सूचना देनी होगी। भूमिस्वामी वन विभाग से भी वृक्ष कटवा सकेंगे।
इसी प्रकार भूमि पर प्राकृतिक रूप से उगे हुए वृक्षों की कटाई के लिए भूमिस्वामी को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को आवेदन देना होगा। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को निर्धारित प्रक्रिया के तहत निश्चित समयावधि में लिखित अनुमति देनी होगी। यदि आवेदक को समयावधि के बाद अनुमति नहीं मिलती तो वे पेड़ कटाई के लिए स्वतंत्र होंगे।
प्राकृतिक रूप से उगे वृक्षों की कटाई की अनुमति के लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को आवेदन प्राप्ति के 45 कार्य दिवस के भीतर निर्धारित प्रक्रिया के तहत अनुमति देनी होगी। यदि आवेदक को लिखित अनुमति प्राप्त नहीं होती है तो वे स्मरण पत्र दे सकेंगे। यदि अगले 30 कार्यदिवस के भीतर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से लिखित अनुमति प्राप्त नहीं होती है तो इसे अनुमति माना जाएगा और भूमिस्वामी वृक्षों की कटाई के लिए स्वतंत्र होगा। इस संबंध में हुए विलम्ब एवं नियमों का उल्लंघन होता है तो उसके लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व उत्तरदायी होंगे। यदि भूमि स्वामी चाहें तो वन विभाग के माध्यम से भी वृक्षों की कटाई करा सकेंगे। एक कैलेण्डर वर्ष भूमि पर प्राकृतिक रूप से उगे अधिकतम 4 वृक्ष प्रति एकड़ के मान से एवं अधिकतम कुल 10 वृक्षों की कटाई की अनुमति दी जा सकेगी।
प्राकृतिक रूप से उगे हुए वृक्षों की कटाई के लिए भूमिस्वामी द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को दिए गए आवेदन के आधार पर राजस्व अधिकारी और वन अधिकारी द्वारा संयुक्त निरीक्षण किया जाएगा। वृक्षों के संबंध में भूमि स्वामी के हक, राजस्व अभिलेखों में पंजीयन, वृक्षों की शुष्कता/परिपक्वता, भूस्वामी के कृषि व्यवसाय की अपरिहार्यता आदि को शामिल करते हुए निरीक्षण प्रतिवेदन 30 कार्यदिवस में दिया जाएगा।
इसी प्रकार भूमि स्वामी अपनी भूमि में कृषि के रूप में रोपित वृक्षों की कटाई, राजस्व अभिलेखों में पंजीयन के आधार पर, करवा सकेंगे। कटाई से एक माह पूर्व, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं वन परिक्षेत्र अधिकारी को कटाई का कारण, प्रजाति एवं संख्या स्पष्ट उल्लेखित करते हुए, सूचना निर्धारित प्रारूप में देना आवश्यक होगा। सूचना के सथ पंजीयन संबंधी राजस्व अभिलेख एवं स्वघोषणा पत्र निर्धारित प्रारूप में देना होगा। भूमिस्वामी द्वारा प्रस्तुत सूचना एवं स्वघोषणा पत्र का दस्तावेजी एवं भौतिक सत्यापन, वृक्ष कटाई के पूर्व अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, पटवारी एवं वनपाल के माध्यम से कराना सुनिश्चित करेंगे।
वृक्षों की कटाई के लिए प्रक्रिया
भूमिस्वामी द्वारा लिखित में इच्छा व्यक्त किए जाने पर, उसकी भूमि में कृषि के रूप में रोपित वृक्षों तथा प्राकृतिक रूप से उगे वृक्षों की कटाई वन विभाग द्वारा की जा सकेगी। वन विभाग को आवेदन की प्राप्ति के 30 कार्य दिवस के भीतर, वन मण्डलाधिकारी वृक्षों की कटाई एवं डिपो तक अभिवहन सुनिश्चित करते हुए निर्धारित दर पर लकड़ी का मूल्य परिगणित करते हुए, राज्य के अनुसूचित जनजाति वर्ग के भूमिस्वामी के संदर्भ में छत्तीसगढ़ आदिम जनजातियों का संरक्षण (वृक्षों में हित) अधिनियम 1999 के प्रावधानों के तहत कुल मूल्य का 95 प्रतिशत राशि भूमि स्वामी के बैंक खाते में निक्षेपित कराएगा एवं शेष 05 प्रतिशत राशि वन विभाग के निर्धारित खाते में जमा की जाएगी। जमा राशि से, प्रत्येक काटे जाने वाले वृक्ष के 05 गुना की संख्या में वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण एवं उनका अनुरक्षण किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ राज्य में जहां छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959 प्रभावशील है, वहां भूमि स्वामी को कृषि के रूप में रोपित एवं प्राकृतिक रूप से उगे हुए वृक्षों की कटाई के लिए वन विभाग द्वारा आवेदन प्राप्ति के बाद 30 कार्य दिवस के भीतर तथा रोपित वृक्षों की कटाई एवं डिपो तक परिवहन सुनिश्चित करते हुए एवं निर्धारित दर पर लकड़ी का मूल्य परिगणित करते हुए कुल मूल्य की 90 प्रतिशत राशि भूमि स्वामी के बैंक खाते में जमा करायी जाएगी तथा 10 प्रतिशत राशि वन विभाग के निर्धारित खाते में जमा की जाएगी। जमा राशि से प्रत्येक काटे जाने वाले वृक्ष के 10 गुना की संख्या में वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण एवं उनका अनुरक्षण किया जाएगा। वन विभाग द्वारा दोनों ही मामलों में न्यूनतम 6 फीट के वृक्ष रोपित किए जाएंगे एवं रोपण की जानकारी प्रत्येक वर्ष अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के माध्यम से कलेक्टर को दी जाएगी।