साहित्य हिन्दी सुरेश सेन निशांत की कविता, || देश कोई रिक्शा तो है नहीं || Gendlal Shukla August 15, 2020 || देश कोई रिक्शा तो है नहीं ||देश कोई रिक्शा तो है नहींजो फेफड़ों की ताक़त की दम पे चलेवह चलता है पैसों सेसरकार के बस का नहींदेना सस्ती और उच्च शिक्षामुफ़्त इलाज भीसरकार का काम नहींकल को तो आप कहेंगेगिलहरी के बच्चे का भीरखे ख़याल सरकारवे विलुप्त होने की कगार पे हैंपरिन्दों से ही पूछ लोक्या उन्हें उड़नासरकार ने सिखाया है..?क्या उनके दुनके मेंरत्ती-भर भी योगदान है सरकार काजंगल मेंबिना सरकारी अस्पताल केएक बाघिन नेआज ही दिया जन्मतीन बच्चों कोएक हाथी के बच्चे नेआज ही सीखा है नदी में तैरनाबिना सरकारी योगदान केपार कर गया नीलगायों का झुण्डएक खौफ़नाक बहती नदीसरकार का काम नहीं हैकि वो रहे चिन्तितउन जर्जर पुलों के लिएजिन्हें लाँघते है हर रोज़ग़रीब गुरबा लोगसरकार के पास नहीं है फुर्सतहर ग़रीब आदमी कीचू रही छत कारखती रहे वह ख़यालऔर भी बहुत से काम हैजो करने हैं सरकार कोमसलन रोकनी है महँगाईभेजनी है वहाँ सेनाजहाँ लोग बनने ही नहीं दे रहे हैंसेजसरकार को चलाना है देशवह चलता है पैसों सेऔर पैसा है बेचारे अमीरों के पासआज ही सरकारकरेगी गुज़ारिश अमीरों सेकि वे इस देश कोग़रीबी में डूबने से बचाएदेश की भलाई के लिएअमीर तस्करों तक के आगेफैलाएगी अपनी झोलीबदले में देगीउन्हें थोड़ी-सी रियायतेंक्योंकि देश कोई रिक्शा तो नहींजो फेफड़ों की ताक़त के दम पे चलेंवह तो चलता है पैसों से ! Spread the word Continue Reading Previous विनोद पदरज, नाज़िम हिकमत और विजय सिंह की कविताएंNext पुरुषोत्तम प्रतीक के तीन गीत Related Articles आयोजन कोरबा छत्तीसगढ़ प्रेरणा समीक्षा संस्कृति साहित्य एनटीपीसी कोरबा में हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन Gendlal Shukla November 12, 2024 आयोजन कोरबा छत्तीसगढ़ राजकाज हिन्दी निबंध लेखन में छात्राओं, एसईसीएल की महिला कर्मियों ने लिया हिस्सा Gendlal Shukla September 23, 2024 Good News INDIA अच्छी ख़बर दिवस विशेष देश हिन्दी 2030 तक दुनिया का हर पांचवां व्यक्ति बोलेगा हिंदी : प्रो. द्विवेदी Gendlal Shukla September 16, 2024