एसईसीएल कालोनी में अवैध रूप से काबिज, सामान किया सील
कोरबा 29 सितम्बर। अपने आवासों के दुरूपयोग को रोकने और वास्तविक कर्मियों को लाभान्वित करने दिशा में एसईसीएल प्रबंधन ने सोचने व कार्रवाई करने का मन बनाया है। गेवरा क्षेत्र के आजाद चौक कालोनी में यह कार्रवाई शुरू की गई। नोटिस देने के बाद उन आवासों से सामान जप्त कर लिया। जिसमें सेवानिवृत्ति के बाद भी कर्मी डटे हुए थे। कोल इंडिया में चार महीने पहले एनसीएल सिंगरौली के द्वारा इस तरह की कार्रवाई शुरू की गई। इसी के साथ विभिन्न कंपनियों को संदेश देने का काम किया। अगली कड़ी में एसईसीएल प्रबंधन ने नीतिगत कारणों से ऐसे मामलों पर संज्ञान लिया और कार्रवाई शुरू की।
जानकारी के अनुसार एसईसीएल गेवरा क्षेत्र में सेवानिवृत्ति होने के बाद भी कई कर्मचारी और सामान्य लोग आवास में काबिज हैं। प्रबंधन ने एमडी 424 के गेंदाराय, बी 60 ऊर्जानगर के एसके खिलवट, एम 06 ऊर्जा नगर के टीसी सूरज, एम 486 ऊर्जा नगर के नंदकिशोर सहारे, एम288 दीपका कालोनी धनीराम एवं गैर कर्मचारी रणधीर सिंह, कु अंजना टोप्पो, कृष्णा यादव और एंथोनी को नोटिस दिया। आउट साइडर बी साइडर से लेकर एम टाईप में शामिल है। बताया गया कि उपरोक्त कर्मचारी वर्ष 2008 से 2017 की अवधी में कंपनी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। फिर भी आवास में अवैध रूप से काबिज है। बार-बार अवगत कराने पर भी उन्होंने आवास नहीं छोड़ा। इसलिए एसईसीएल के सिविल, प्रशासन की ओर से नायाब तहसीलदार और पुलिस की टीम ने तीन तरफा कार्रवाई करने के साथ आवासों में रखा सामान जप्त कर लिया गया। सीटू नेता भी लपेटे में गेवरा क्षेत्र में सीटू से जुड़कर किसान सभा के लिए काम कर रहे पूर्व कर्मचारी टीसी सूरज 30 जून 2012 को रिटायर हो चुके है। फिर भी कंपनी के आवास में काबिज हैं। आज की कार्रवाई में उनके यहां का सामान बाहर कर दिया। सूरज ने कहा कि एसईसीएल मनमानी कार्रवाई कर रहा है। यहां सैकड़ों आवास पर बेजा कब्जा है उन्हें छूट नहीं दी जानी चाहिए। तीन क्षेत्रों में भी कार्रवाई संभावित एसईसीएल गेवरा से कार्रवाई की शुरूआत होने के साथ सद्भावना बलवती हो गई है कि दशहरा का बोनस और दीवाली की मिठाई के बाद कोरबा जिले के दीपकाए कुसमुंडा और कोरबा क्षेत्र के विभिन्न आवासीय परिसरों में इस तरह की कार्रवाई हो सकती है। इन इलाकों में गेवरा जैसे मामले बने हुए हैं। कई स्तर पर आश्रय मिलने के कारण फिलहाल यहां गर्माहट नहीं है। जबकि अनेक आवासों को केवल इसलिए नहीं छोड़ा जा रहा है क्योंकि कर्मियों ने अपनी सुुविधा के लिए कई काम करा लिए हैं। बीच का रास्ता नहीं निकलने पर आवास को मुक्त नहीं किया जा रहा है। ऐसे में वे कर्मचारी परेशान है जिन्हें संबंधित आवास आबंटित कर दिया गया है लेकिन वे चाहकर भी उसकी सुविधा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।