जिले में 1701 गंभीर समेत 13923 बच्चे मध्यम कुपोषित
जिले में गिरा है कुपोषण का ग्राफ
कोरबा 4 सितम्बर। महिला व बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषित होने वाले बच्चों के आंकड़ों के साथ ही गंभीर व मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या जानने जुलाई में वजन त्योहार मनाया था। इसका आंकड़ा विभाग के पास आ गया है। इसके आधार पर इस उन बच्चों के लिए विभाग द्वारा योजना बनाकर काम किया जाएगा।
जिले के लिए यह सुखद है कि कोविड संक्रमण के बाद यहां गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ है, लेकिन इसमें कोई विशेष अपेक्षित सफलता विभाग को नहीं मिली, क्योंकि वजन त्योहार से मिले आंकड़ों के अनुसार बीते वर्ष की तुलना में महज एक फीसदी ही अधिक बच्चे गंभीर कुपोषित मिले हैं। इनकी संख्या जिले में 1701 है। वहीं मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या 13923 के करीब है। ये दोनों ही आंकड़े बीते वर्ष की तुलना में कम हुए हैं। राज्य शासन द्वारा बच्चों के साथ गर्भवती व शिशुवती महिलाओं के लिए हर साल फंड जारी मिलता है। जो बीते वर्षों तक 6 करोड़ रुपए सालाना था। इसमें से सिर्फ बच्चों को सुपोषित करने 3.36 करोड़ दिए जाते हैं। इस वजन त्योहार के बाद सामने आई रिपोर्ट से विभाग के लोग राहत जरूर महसूस कर रहे हैंए लेकिन यह आंकड़ा भी अपेक्षानुरूप नहीं है। इसके बाद भी इस साल खनिज न्यास मद से 8.73 करोड़ की मंजूरी भी मिल गई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में समूहों को जिम्मेदारी से मुक्त कर उनके काम छत्तीसगढ़ एग्रोफुड कार्पोरेशन को दे दिया है। इन्हें काम मिलने के बाद से जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में समय पर पूरक पोषण आहार नहीं मिलने की शिकायत बनी हुई है। ये शिकायतें दूर नहीं हुई तो आने वाले वर्षों में कुपोषण के आंकड़े बढऩे से नहीं रोका जा सकता है। फिलहाल विभाग अपनी परियोजनाओं के माध्यम से कार्य में कसावट लाने में लगी हुई है।
महिला व बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी एम डी नायक ने बताया कि कुपोषण के ग्राम में बीते साल की तुलना में कमी आई है। कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए गरम भोजन के साथ पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। कुपोषण का कारण बच्चों में खान-पान के साथ ही बीमारी भी है। ऐसे बच्चों के लिए पुनर्वास केंद्र बनाए गए हैंए जहां उनकी देखभाल होती है।