राज्य सरकार के तुगलकी फरमान के खिलाफ छात्रों में रोष.. “साइंस कॉलेज बचाओ” अभियान के तहत किया विरोध प्रदर्शन

संभाग के एकमात्र विज्ञान महाविद्यालय को यकायक अंग्रेजी महाविद्यालय किया घोषित

प्रवेश होने के पश्चात शिक्षा के माध्यम में किया बदलाव, हजारों छात्रों का भविष्य अधर में

हिंदी के बजाय अंग्रेजी में पढ़ने की सहमति ना देने पर दूसरे महाविद्यालय में एडमिशन कराने का आदेश

बिलासपुर 02 सितंबर। राज्य सरकार द्वारा बिलासपुर संभाग के एकमात्र साइंस कॉलेज शासकीय ई. राघवेंद्र राव विज्ञान महाविद्यालय को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील करने के निर्णय का विरोध शुरू हो गया है और इसे लेकर महाविद्यालय में अध्ययनरत तथा प्रवेश ले चुके छात्रों में भारी रोष व्याप्त है। प्रदेश सरकार के निर्णय के विरोध में कल दिनांक 1 सितंबर 2022 गुरुवार को महाविद्यालय के छात्रों द्वारा साइंस कॉलेज बचाओ अभियान के तहत जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया। आक्रोशित छात्रों ने प्रदेश की भूपेश सरकार को कोसते हुए जमकर नारेबाजी की।

बता दे कि कुछ दिनों पूर्व ही प्रदेश सरकार के द्वारा अपनी महत्वकांक्षी योजना आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी महाविद्यालय के अंतर्गत शासकीय ई.राघवेंद्र राव विज्ञान महाविद्यालय को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील करने का निर्णय लेते हुए आदेश जारी किया गया था। आदेश जारी होते ही महाविद्यालय के छात्रों में खलबली मच गई थी। कारण यह की आदेश जारी होने के पहले ही महाविद्यालय के प्रथम वर्ष में 775 छात्रों ने प्रवेश ले लिया था। इसके अलावा यूजी के द्वितीय व तृतीय वर्ष तथा पीजी अंतिम वर्ष में भी लगभग 1550 छात्र अध्ययनरत है। इनमें से अधिकांश या कहे लगभग सभी छात्रों ने अपनी आज तक की सारी पढ़ाई हिंदी माध्यम से की है। आपको यह भी बताते चलें की शासकीय ई.राघवेंद्र राव विज्ञान महाविद्यालय बिलासपुर संभाग का एकमात्र हिंदी माध्यम का विज्ञान महाविद्यालय है जिस में प्रवेश पाने के लिए विज्ञान के क्षेत्र में पढ़ाई कर रहे अनेकों छात्र दिन रात मेहनत करते हैं ताकि उनका जीवन संवर सके। इन्हीं उम्मीदों के साथ महाविद्यालय के प्रथम वर्ष में भी इस वर्ष 775 छात्रों ने प्रवेश लिया था। परंतु राज्य सरकार द्वारा अचानक ही, प्रवेश होने के पश्चात, अध्ययन के माध्यम को हिंदी से बदलकर अंग्रेजी करने की घोषणा कर दी गई जिससे अब इन सभी छात्रों तथा द्वितीय और तृतीय वर्ष व पीजी में अध्ययनरत छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।

सहमति दो नही तो दूसरे कॉलेज जाओ

महाविद्यालय को अंग्रेजी माध्यम का घोषित करने के पश्चात उच्च शिक्षा विभाग के आदेश अनुसार कॉलेज प्रबंधन द्वारा छात्रों से अंग्रेजी में पढ़ने का सहमति पत्र देने कहा गया है। जो छात्र अंग्रेजी में पढ़ने की सहमति नहीं देते उन्हें शासन द्वारा अन्य महाविद्यालयों में एडमिशन करवाने की बात कही जा रही है। उच्च शिक्षा विभाग के आदेश अनुसार प्रथम वर्ष के छात्रों को अंग्रेजी में ही पढ़ाई करनी होगी और परीक्षा देनी होगी। उच्च शिक्षा विभाग के इस आदेश के पश्चात महाविद्यालय में प्रवेश ले चुके हिंदी माध्यम से पढ़े हुए छात्र अब मजधार में फंस चुके हैं।

पढ़ाई अंग्रेजी में, परीक्षा हिंदी में

उच्च शिक्षा विभाग के आदेश अनुसार यूजी द्वितीय व तृतीय वर्ष तथा पीजी अंतिम वर्ष के छात्रों की 80% पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम में होगी लेकिन वह परीक्षा हिंदी माध्यम में दे सकेंगे। शायद यह देश में अपनी तरह का विरला तथा अद्वितीय प्रकरण होगा जहां छात्रों की पढ़ाई अंग्रेजी में होगी और उनकी परीक्षा हिंदी में।

छात्रों ने प्राचार्य को सौंपा ज्ञापन.. दी उग्र आंदोलन की चेतावनी

आक्रोशित छात्रों ने छात्र नेता अंकित राज लहरे के नेतृत्व में महाविद्यालय के प्राचार्य को राज्य सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा। अपने ज्ञापन में उन्होंने निम्नलिखित मांग रखी :

  • प्रथम व सबसे महत्वपूर्ण मांग की महाविद्यालय का नाम परिवर्तित ना किया जाए।
  • शासन द्वारा अंग्रेजी माध्यम हेतु नव महाविद्यालय खोला जाए। यदि नहीं तो अंग्रेजी माध्यम हेतु अलग प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर हिंदी और अंग्रेजी माध्यम के लिए दो अलग-अलग पालीयों में कक्षाएं आयोजित की जाए। छात्रों को यह विकल्प दिया जाए कि वह किस माध्यम में पढ़ाई करना चाहते हैं।
  • वर्तमान में प्रथम वर्ष में प्रवेश ले चुके हिंदी माध्यम से पढ़े हुए छात्रों पर अंग्रेजी माध्यम थोपा न जाए। अंग्रेजी को केवल एक विकल्प के तौर पर रखा जाए।
  • अंग्रेजी माध्यम हेतु नव महाविद्यालय स्थापना में समय लगने पर साइंस कॉलेज कैंपस में ही हिंदी व अंग्रेजी माध्यम के लिए अलग-अलग समय पर दो पालीयों में कक्षाएं आयोजित की जाए।

छात्रों ने महाविद्यालय के प्राचार्य को ज्ञापन सौंपते हुए 3 दिनों के अंदर उचित निर्णय लेने का आग्रह किया है। अपनी मांगों पर निर्णय नहीं लिए जाने पर छात्रों ने आगामी 5 सितंबर से क्रमबद्ध विरोध प्रदर्शन करते हुए उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है। आंदोलन में मुख्य रूप से विज्ञान महाविद्यालय की छात्रा नंदिनी श्रीवास, दीप्ति रानी, संजय बघेल, पंकज बंदे, उमेश साहू, सुनील चौहान, प्रेम चंद्रा, राहुल चंद्रा, अभिषेक श्रीवास सहित सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

छात्रों को मिला भाजपा का साथ.. पूर्व छात्र नेता पेशीराम ने बढ़ाया हाथ

छात्रों के आंदोलन को राजनैतिक समर्थन भी प्राप्त हो रहा है। विज्ञान महाविद्यालय के पूर्व छात्र नेता तथा वर्तमान में प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के आरटीआई प्रकोष्ठ प्रदेश कार्यालय सहप्रभारी श्री पेशीराम जायसवाल ने भूपेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार के द्वारा केवल पहले से बनी हुई संस्थाओं का नाम बदलकर वाहवाही लूटने का प्रयास किया जा रहा है। जहां तक अंग्रेजी माध्यम आत्मानंद स्कूलों की बात है तो वह अभी तक केवल कलेक्टर ही चला रहे हैं और शिक्षा विभाग ने तो उन्हें टेकओवर तक नहीं किया है। आत्मानंद स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों तथा उसमें कार्यरत कर्मचारीयों का भविष्य अंधेरे में है। स्कूलों के लिए बजट का कोई प्रावधान ही नहीं है और वह केवल आबकारी विभाग और डीएमएफ मद के बदौलत चल रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया की आत्मानंद अंग्रेजी माध्यमिक स्कूलों के नाम पर भुपेश सरकार बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर अपने साथियों को उपकृत कर रही है। हर जिले में आत्मानंद स्कूल के नाम पर व्यापक भ्रष्टाचार हुआ है और स्कूलों का संचालन ही ठीक से नही हो पा रहा है। स्कूलों के बाद अब भूपेश सरकार अंग्रेजी माध्यम कॉलेज के नाम पर प्रदेश की जनता को ठगना चाहती है। पुराने ऐतिहासिक व उत्कृष्ट महाविद्यालयों को लीपापोती कर उसकी विरासत को खत्म करने का प्रयास सरकार कर रही है जिसका वर्तमान व पूर्व छात्रों द्वारा पुरजोर विरोध किया जाएगा।

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