साहित्य हिन्दी ओम प्रभाकर के दो नवगीत Gendlal Shukla August 10, 2020 नवगीत-एकरातें विमुख दिवस बेगानेसमय हमारा,हमें न माने !लिखें अगर बारिश में पानीपढ़ें बाढ़ की करूण कहानीपहले जैसे नहीं रहे अबऋतुओं के रंग-रूप सुहाने ।दिन में सूरज, रात चन्द्रमादिख जाता है, याद आने परहम गुलाब की चर्चा करते हैंगुलाब के झर जाने पर ।हमने, युग ने या चीज़ों नेबदल दिए हैंठौर-ठिकाने ।नवगीत-दोरातरानी रात मेंदिन में खिले सूरजमुखीकिन्तु फिर भी आज कलहम भी दुखीतुम भी दुखी !हम लिए बरसातनिकले इन्द्रधनु की खोज मेंऔर तुममधुमास में भी हो गहन संकोच में ।और चारों ओरउड़ती है समय की बेरुख़ी !सिर्फ़ आँखों से छुआबूढ़ी नदी रोने लगीशर्म से जलती सदीअपना ‘वरन’ खोने लगी ।ऊब कर खुद मर गएजो थे कमल सबसे सुखी ।हम भी दुखीतुम भी दुखी । Spread the word Continue Reading Previous राकेश गुप्त निर्मल की गजलNext कमलेश भट्ट कमल, दो गज़ल Related Articles आयोजन कोरबा छत्तीसगढ़ प्रेरणा समीक्षा संस्कृति साहित्य एनटीपीसी कोरबा में हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन Gendlal Shukla November 12, 2024 आयोजन कोरबा छत्तीसगढ़ राजकाज हिन्दी निबंध लेखन में छात्राओं, एसईसीएल की महिला कर्मियों ने लिया हिस्सा Gendlal Shukla September 23, 2024 Good News INDIA अच्छी ख़बर दिवस विशेष देश हिन्दी 2030 तक दुनिया का हर पांचवां व्यक्ति बोलेगा हिंदी : प्रो. द्विवेदी Gendlal Shukla September 16, 2024