छत्तीसगढ़ साहित्य हिन्दी राकेश गुप्त निर्मल की गजल Gendlal Shukla August 9, 2020 विकास के पीछे हादसों का मंजर देखा है।शिलान्यास के पाषाणों का मंजर देखा है।काल का आना तो तय है जिंदगी में,उस पे बहानों का बवंडर देखा है।ख्वाब देखने की मनाही भला किसे है,शेखचिल्ली के सपनों का खंडहर देखा है।वो गहराई जहाँ मिलती है ऊचाईयाँ,कभी मां-बाप के आँखों का समंदर देखा है।बदचलन हुई हवा तालीमगाह की,कलम वाले हाथों का खंजर देखा है।औरों से मदद की चाह में निर्मल,ख्वाहिशों का अस्थि पंजर देखा है।संस्थापक/संयोजक*कविता चौराहे पर*मुंगेली, जिला-मुंगेली, छत्तीसगढ़मो- 093027 76220 Spread the word Continue Reading Previous कोल कम्पनी में नौकरी हासिल करने बदल लिया बाप का नाम, एफ आई आर दर्जNext महिला डाॅक्टर ने मायके में लगाई फाँसी… पुलिस के सामने उलझन… Related Articles कोरबा छत्तीसगढ़ सुरक्षा हाथी समस्या हाथियों की आवाजाही पर वन विभाग ने लोगों को किया सर्तक Gendlal Shukla November 17, 2024 कानून कोरबा छत्तीसगढ़ पर्यटन सुरक्षा ठण्ड बढने के साथ पिकनिक स्पॉट में बढ़ी लोगों की संख्या, पुलिस की निगरानी जारी Gendlal Shukla November 17, 2024 कोरबा छत्तीसगढ़ लापरवाही समस्या नशे में धुत पत्नी से नाराज पति चढ़ा हाईटेंशन तार के टावर पर Gendlal Shukla November 17, 2024