भ्रम में आने से बचें, अग्निपथ योजना के हर एक तथ्य को जानिए…

केंद्र सरकार द्वारा देश के अधिकांश युवाओं को सशस्त्र बलों में सेवा का अवसर देने के उद्देश्य से शुरू की गई अग्निपथ योजना के बारे में कई मिथक सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि रक्षा विशेषज्ञ और पूर्व अधिकारियों से कोई परामर्श नहीं लिया गया। कई लोग यह भी भ्रम फैला रहे हैं कि 21 साल के नौजवान अपरिपक्व और अविश्वसनीय होते हैं, और सबसे बड़ी बात यह भ्रम फैलाई जा रही है कि 4 साल की नौकरी के बाद अग्निवीरों के पास रोजगार का कोई विकल्प नहीं होगा! तो चलिए इन मिथकों को तोड़ते हैं और जानते हैं अग्निपथ योजना की सच्चाई क्या है?


मिथक: 4 साल की सेवा के बाद अग्निवीरों का भविष्य असुरक्षित

तथ्य: अधिकांश लोगों का मानना है कि 4 साल की सेवा के बाद नौजवानों का भविष्य सुरक्षित और अंधेरे में चला जाएगा, उनके पास रोजगार के विकल्प नहीं होंगे लेकिन यह पूरी तरह से झूठ है क्योंकि 4 साल की सेवा के बाद केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालय और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के अलावा सार्वजनिक कंपनियों में भी इन्हें वरीयता दी जाएगी, जिसकी घोषणा कई मंत्रालय और राज्य सरकारें कर चुकी हैं।

मिथक: पढ़ाई पूरी नहीं कर पाएंगे अग्निवीर

सशस्त्र बलों की आयु सीमा में कमी लाने के उद्देश्य से सरकार के द्वारा इसमें 17.5 साल से 23 साल के नौजवानों को मौका दिया जा रहा है, ऐसे कई लोगों का मानना है कि जो लोग दसवीं या 12वीं पास होंगे उनका भविष्य क्या होगा ? उनकी पढ़ाई पूरी नहीं होगी। लेकिन यह पूरी तरह से भ्रामक है। सरकार के द्वारा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग को यह निर्देशित किया गया है कि वह अग्निवीरों के लिए विशेष कोर्स डिजाइन करें, जिससे अग्निवीरों को कोई समस्या ना हो।

मिथक: यह सशस्त्र बलों की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाएगा

कुछ लोगों का मानना है कि 17.5 से 21 साल के नौजवान इतने परिपक्व नहीं है, उन पर देश की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण बिंदु की जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए‌। लेकिन यह गलत है क्योंकि पहले चयनित अग्निवीरों को 6 महीने की गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण दी जाएगी, जिससे राष्ट्र की सुरक्षा पर कोई आंच नहीं आएगा। इस योजना के तहत यह भी प्रावधान किया गया है कि 4 साल की सेवा के बाद अग्निवीरों के प्रदर्शन की जांच की जाएगी और योग्य उम्मीदवारों को स्थाई तौर पर नौकरी दी जाएगी।

मिथक: सशस्त्र बलों के पूर्व अधिकारियों से कोई परामर्श नहीं लिया गया

कई लोग बिना सच्चाई को जाने यह भ्रम फैला रहे हैं कि केंद्र सरकार के द्वारा इस योजना को बनाने के क्रम में किसी सशस्त्र बलों के पूर्व अधिकारियों और रक्षा विशेषज्ञों का परामर्श नहीं लिया गया, लेकिन यह झूठ है क्योंकि इस योजना का प्रस्ताव सैन्य विभाग के सैन्य अधिकारियों के द्वारा ही तैयार किया गया है। इस योजना के ऐलान के बाद कई पूर्व अधिकारियों ने फायदे गिनाए और इसका स्वागत किया।

तो किसी भी भ्रम और दुविधा में ना रहे क्योंकि सरकार द्वारा शुरू की गई इस महत्वाकांक्षी योजना के माध्यम से देश के युवा शक्ति को एक नई ऊर्जा मिलेगी। अपने जीवन के प्रारंभिक वर्षों में ही सशस्त्र बलों से जुड़ने और प्रशिक्षण पाने की वजह से वो स्किल्ड, और जिम्मेदारियों के निर्वहन को अच्छी तरह से समझ पाएंगे। उनमें धैर्य, समर्पण राष्ट्रभक्ति जैसे कई गुण विकसित होंगे।

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