खाद्य पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि से आमजन परेशान, वामपंथी पार्टियों ने सौंपा ज्ञापन
कोरबा 1 जून। बढ़ती मंहगाई, बेरोजगारी व बेहाल अर्थव्यवस्था के खिलाफ वामपंथी पार्टियों ने संयुक्त प्रदर्शन कर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। बाद में प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर सरकार पर आरोप लगाते हुए नेताओं ने कहा कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि से जनता परेशान हो गई है।
देशव्यापी आह्वान के तहत तानसेन चौक कोरबा में माकपा, भाकपाए भाकपा माले ने संयुक्त रूप से आंदोलन किया। इसमें मजदूर संगठन, किसान सभा, जनवादी नौजवान सभा,आदिनिवासी गण परिषद के कार्यकर्ता भी शामिल हुए। प्रदर्शन को एटक के महासचिव हरिनाथ सिंह, माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, भाकपा सचिव एमएल रजक, माले के सचिव बीएल नेताम, सीटू जिलाध्यक्ष एसएन बेनर्जी, एस घोष, डीएल टंडन, किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, नौजवान सभा के दामोदर श्याम, मनोज विश्वकर्मा ने संबोधित किया। वामपंथी नेताओं ने केंद्र सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि पिछले एक वर्ष में देश में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में 70 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। सब्जी की कीमतें आसमान छू रहा है। नेताओं ने कहा कि देश में बेकार के मुद्दों पर चर्चा हो रही है। युवा बेरोजगार है, उनका ध्यान लगातार भटकाया जा रहा है। मंहगाई के साथ बढ़ती बेरोजगारी की दोहरी मार ने जनता की कमर ही तोड़ दी है। दूसरी ओर रोजगार की कोई गारंटी नहीं है। सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण किया जा रहा है और पदों को लगातार समाप्त किया जा रहा है। वामपंथी नेताओं ने मंहगाई और बेरोजगारी के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इस दौरान अमित गुप्ता, आरडी चंद्रा, रामपूजन, वाईकर, जेपी सिंह, राजेश नागराज, नंद कुमार, सुनील सिंह, धर्मेंद्र सिंह, पीके वर्मा, एसके सिंह, रामजी शर्मा, भूपेंद्र गोंड़, डिकेश्वर देवांगन, शिव कुमार यादव, जय कौशिक, जनरैल सिंह, अभिजीत गुप्ता, दिलहरण बिंझवार, संजय यादव,पुरषोत्तम,सुराज सिंहए बृजपाल, मनोहर साहू, साजी के साथ काफी संख्या में वामपंथी कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
वामपंथी दलों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि पेट्रोलियम उत्पादों पर लगे सारे सरचार्ज व टैक्स वापस ले, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए दाल और खाद्य तेल समेत अन्य आवश्यक वस्तुओं को सस्ती दरों पर मुहैया कराने, आयकर की सीमा से बाहर वाले सभी परिवारों को 7500 रुपये प्रतिमाह नगद सहायता देने, मनरेगा के लिए आवंटन बढ़ाने और बकाया मजदूरी का भुगतान करने, बेरोजगारी भत्ते के लिए केंद्रीय कानून बनाने, शहरी क्षेत्रों के लिए भी रोजगार गारंटी कानून बनाने, गरीबों के बिजली बिल माफ करने, वन भूमि में काबीजों को वनाधिकार पट्टा देने तथा केंद्र और राज्य सरकार के विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र में रिक्त पड़े पदों को भरा जाए।